विधायक बनते ही तोड़ा रिश्ता, अब कोर्ट में गुहार लगा रहा दिव्यांग पति,दमोह में सियासी भूचाल: पूर्व विधायक के पति ने कोर्ट में लगाई अर्जी

"जिसे विधायक बनाया, उसी ने रिश्ता तोड़ा!" पूर्व भाजपा विधायक सोना बाई अहिरवाल के दिव्यांग पति ने कोर्ट में 25 हजार रुपये गुजारा भत्ता की अर्जी दी। बोले — पत्नी ने राजनीति में आते ही साथ छोड़ दिया, अब रोटी के भी लाले हैं!

विधायक बनते ही तोड़ा रिश्ता, अब कोर्ट में गुहार लगा रहा दिव्यांग पति,दमोह में सियासी भूचाल: पूर्व विधायक के  पति ने कोर्ट में लगाई अर्जी

पत्नी बनी विधायक, पति बना बेसहारा! कोर्ट से मांगा न्याय

दमोह:मध्यप्रदेश के दमोह जिले में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां पूर्व भाजपा विधायक सोना बाई अहिरवाल के दिव्यांग पति सेवक राम ने पत्नी से गुजारा भत्ता मांगते हुए कुटुंब न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। सेवक राम का कहना है कि उन्होंने ही अपनी पत्नी को राजनीति में आगे बढ़ाया, लेकिन विधायक बनने के बाद पत्नी ने उन्हें छोड़ दिया और बिना तलाक के सागर में जाकर रहने लगीं। अब जीवन यापन के लिए जूझ रहे सेवक राम ने कोर्ट से हर माह 25 हजार रुपये भत्ते की मांग की है। इस मामले ने राजनीतिक गलियारों में खलबली मचा दी है।

सेवक राम का दावा है कि उन्होंने ही सोना बाई को राजनीति में आने के लिए प्रेरित किया और उनके लिए भोपाल-दिल्ली तक दौड़-धूप की. इसी प्रयास का नतीजा रहा कि 2003 में भाजपा ने सोना बाई को टिकट दिया और वे जीतकर विधायक बनीं. उस समय राज्य में उमा भारती के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी थी और सोना बाई को उमा भारती की करीबी बताया गया. लेकिन विधायक बनने के बाद, सेवक राम के अनुसार, सोना बाई का व्यवहार पूरी तरह बदल गया. बड़े नेताओं से जुड़ाव के बाद उन्होंने पति को तवज्जो देना कम कर दिया और आखिरकार 2009 में बिना तलाक लिए ही उन्हें छोड़ दिया. वर्तमान में सोना बाई सागर में एक आलीशान मकान में रह रही हैं जबकि सेवक राम दमोह में जीवन यापन के लिए संघर्ष कर रहे हैं

अर्जी स्वीकार अब पूर्व विधायक को नोटिस जारी होगा

सेवक राम ने कहा कि वे दिव्यांग हैं और अब मेहनत करने की स्थिति में नहीं हैं. ऐसे में जीवन बसर के लिए उन्हें अपनी नेता पत्नी से ही उम्मीद है. उन्होंने बताया कि सोना बाई के पास संपत्ति, गाड़ियां और विधायक पेंशन की सुविधा है, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने कभी पलटकर नहीं देखा. सेवक राम के वकील नितिन मिश्रा ने बताया कि कोर्ट ने उनकी अर्जी स्वीकार कर ली है और पूर्व विधायक को नोटिस जारी किया जाएगा. कोर्ट में पेश होकर सोना बाई को अपना पक्ष रखना होगा, जिसके बाद अदालत तय करेगी कि गुजारा भत्ता कितना और किस आधार पर मिलेगा. फिलहाल सोना बाई इस पूरे मामले पर चुप हैं और मीडिया के सवालों से दूरी बनाए हुए हैं. लेकिन यह मामला अब केवल पारिवारिक नहीं रहा, बल्कि एक महिला नेत्री की निजी ज़िंदगी और उसके राजनीतिक सफर का अहम मोड़ बन गया है, जिस पर सबकी नजरें हैं.