विजय शाह को सीएम ने दी अहम जिम्मेदारी, कर्नल सोफिया विवाद के बाद हाशिए पर चल रहे मंत्री

मध्यप्रदेश के केबिनेट मंत्री विजय शाह को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अहम जिम्मेदारी सौंपी है। उन्हें खिवनी अभयारण्य में वन विभाग की कार्रवाई से गुस्साए आदिवासियों को समझाने बुझाने का दायित्व दिया गया है।

विजय शाह को सीएम ने दी अहम जिम्मेदारी, कर्नल सोफिया विवाद के बाद हाशिए पर चल रहे मंत्री

कर्नल सोफिया कुरैशी पर विवादित टिप्पणी के बाद से ही हाशिए पर चल रहे मध्यप्रदेश के केबिनेट मंत्री विजय शाह को सीएम डॉ. मोहन यादव ने अहम जिम्मेदारी सौंपी है।

देवास जिले के खिवनी अभ्यारण्य में वन विभाग ने 23 जून को आदिवासियों के 50 से अधिक कच्चे मकानों को अतिक्रमण बताकर जेसीबी से तोड़ दिया था। बारिश के दौरान की गई इस कार्रवाई का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। इससे सरकार और वन विभाग की जमकर आलोचना हुई।

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस मामले में शनिवार को बताया कि मंत्री विजय शाह को घटनास्थल का दौरा करने के निर्देश दिए हैं। उनसे कहा गया है कि आप मौके पर जाकर देखें और आदिवासियों भाई-बहनों की जो मदद हो सकती है। वह जरूर करें। साथ ही प्रशासन को कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन के साथ संवेदनशीलता बरतने को कहा है।

प्रभावित लोगों ने दो रातें खुले आसमान में बिताईं

बता दें, कार्रवाई के बाद से आदिवासी समाज में नाराजगी है। प्रभावित परिवारों ने बारिश के बीच खुले आसमान के नीचे दो रातें बिताईं। 26 जून को देवास कलेक्टर, एसपी, डीएफओ और विधायक ने मौके पर पहुंचकर पीड़ितों को मदद का आश्वासन दिया।

एक दिन पहले लोगों ने कार्रवाई का विरोध किया था

27 जून को खातेगांव में आदिवासी नेता रामदेव काकोड़िया और कांग्रेस नेता राहुल इनानिया की अगुवाई में विरोध प्रदर्शन हुआ। इसमें 10 से अधिक जिलों के 5 हजार आदिवासी शामिल हुए। पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया भी आंदोलन में शामिल हुए थे।

एडीएम बिहारी सिंह ने प्रभावित लोगों को राहत का आश्वासन दिया है। उन्होंने टीन शेड, सड़क-पुलिया निर्माण, मुआवजा और प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ देने की घोषणा की है। कार्रवाई में शामिल वन विभाग के अधिकारियों पर कार्रवाई का भी आश्वासन दिया गया है।

29 जून को खातेगांव में आंदोलन

इधर, जयस के संस्थापक और विधायक हीरालाल अलावा ने भी 29 जून को खातेगांव में एक और आंदोलन करने की घोषणा की है। इस आंदोलन में भी बड़ी संख्या में आदिवासियों के जुटने का दावा किया जा रहा है।