मां ताप्ती के प्रवाह को अवरुद्ध करना धर्म और संस्कृति के विरुद्ध: शंकराचार्य सदानंद सरस्वती, आदिकाल से चला आ रहा है सनातन धर्म, इसका कोई प्रारंभ और प्रवर्तक नहीं: शंकराचार्य सदानंद सरस्वती
नर्मदापुरम रवाना होने से पहले शंकराचार्य ने किया सनातन धर्म और ताप्ती उद्गम पर मंथन सनातन धर्म शाश्वत और अनादि है, इसका पालन परमात्मा श्रीराम और श्रीकृष्ण ने किया: शंकराचार्य

मैं आपको जानता हूं… भीड़ में वरिष्ठ पत्रकार रामकिशोर पंवार को पहचान कर बोले शंकराचार्य सदानंद सरस्वती
बैतूल। पवित्र नगरी में धार्मिक आयोजन में भाग लेने के लिए पहुंचे शारदा पीठ के जगतगुरू शंकराचार्य सदानंद सरस्वती नर्मदापुरम के लिए रवाना हो गए। रवाना होने से पूर्व उन्होंने पत्रकारों से चर्चा की। इस दौरान उन्होंने कहा कि सनातन शब्द का अर्थ होता है वह जो शाश्वत हो, जो हमेशा बना रहता है। आज जितने भी धर्म प्रचलित हैं, उनके प्रवर्तक, तिथि और समय की जानकारी उपलब्ध है, लेकिन सनातन धर्म कब प्रारंभ हुआ, किसने किया और इसका प्रवर्तक कौन है, इन प्रश्नों का कोई निष्कर्ष आज तक नहीं निकला। यह निश्चित है कि सनातन धर्म आदिकाल से चला आ रहा है। परमात्मा श्रीराम और श्रीकृष्ण ने भी सनातन धर्म का पालन किया है, जिससे यह सिद्ध होता है कि यह धर्म आदि और अनादि काल से स्थापित है।
शंकराचार्य सदानंद सरस्वती ने कहा कि हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम सनातन धर्म से जुड़े स्थलों की रक्षा करें। उन्होंने सूर्यपुत्री मां ताप्ती के पौराणिक महत्व पर विशेष बल देते हुए कहा कि अनेक पुराणों जैसे श्रीमद् भागवत, वामन पुराण और स्कंद पुराण में मां ताप्ती के उद्गम स्थल का उल्लेख है। मध्यप्रदेश का यह स्थल एक प्रमुख तीर्थ है। लेकिन वर्तमान में ताप्ती नदी का प्रवाह उसके मूल उद्गम से अवरुद्ध कर दिया गया है। उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि इसके लिए कोई आवाज नहीं उठा रहा है, जबकि गजेटियर में भी ताप्ती नदी का उल्लेख मिलता है।
उन्होंने कहा कि नदियों में भारतीय संस्कृति और संस्कार निवास करते हैं। नदियों में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति मानी गई है। मां ताप्ती के प्रवाह को मूल स्थान से ही सुचारू रूप से प्रारंभ किया जाना चाहिए। साथ ही यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि नदियां अतिक्रमण मुक्त और प्रदूषण मुक्त रहें। देश की वर्तमान राजनीति पर टिप्पणी करने से इनकार करते हुए शंकराचार्य ने केवल इतना कहा कि ताप्ती उद्गम क्षेत्र का विकास आवश्यक है।
पत्रकार रामकिशोर पंवार से चर्चा के दौरान शंकराचार्य सदानंद सरस्वती ने अपने ब्रह्मलीन पूज्य गुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती महाराज को याद किया और कहा, मैं आपको जानता हूं। यह वाक्य उन्होंने तब कहा जब वरिष्ठ पत्रकार, लेखक और साहित्यकार रामकिशोर पंवार उनसे मिलने पहुंचे।
रामकिशोर पंवार ने बताया कि शंकराचार्य सदानंद सरस्वती धार्मिक आयोजन में भाग लेने पवित्र नगरी पहुंचे थे। इस दौरान जब वे अपनी पुस्तक मेरा बैतूल की एक प्रति सप्रेम भेंट करने पहुंचे तो सैकड़ों भक्तों की भीड़ में से शंकराचार्य ने उन्हें पहचान लिया और कहा कि आप हमारे पूज्य गुरुदेव स्वरूपानंद सरस्वती महाराज से मिलने आए थे। रामकिशोर पंवार ने बताया कि वर्ष 2015 में वे भारत के पांचवें धाम बालाजीपुरम में ब्रह्मलीन पूज्य शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के दर्शन के लिए गए थे। उस समय वे उनसे भेंट करने पहुंचे थे और आज उनके उत्तराधिकारी ने उन्हें पहचान लिया, यह क्षण उनके लिए अत्यंत भावुक और गौरवपूर्ण रहा।