धर्म चक्रवर्ती’ की उपाधि से सम्मानित हुए PM मोदी, कहा- संतों के अमर विचारों के कारण भारत सबसे प्राचीन जीवंत सभ्यता है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शनिवार को ‘धर्म चक्रवर्ती’ की उपाधि से सम्मानित किया गया. इस दौरान उन्होंने विनम्रता के साथ कहा कि वे स्वयं को इसके योग्य नहीं मानते, लेकिन संतों से प्राप्त हर उपहार को ‘प्रसाद’ मानकर स्वीकार करना हमारी परंपरा है. उन्होंने कहा, मैं इसे विनम्रतापूर्वक स्वीकार करता हूं और मां भारती के चरणों में अर्पित करता हूं.

धर्म चक्रवर्ती’ की उपाधि से सम्मानित हुए PM मोदी, कहा- संतों के अमर विचारों के कारण भारत सबसे प्राचीन जीवंत सभ्यता है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जैन आध्यात्मिक गुरु आचार्य विद्यानंद महाराज की जयंती के शताब्दी समारोह में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने कार्यक्रम में मौजूद लोगों को संबोधित भी किया। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि जैन आध्यात्मिक गुरु आचार्य विद्यानंद महाराज के विचारों ने सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को प्रेरित किया है। पीएम मोदी ने एक जैन संत के पिछले प्रवचन का भी जिक्र किया और कहा कि वे 'ऑपरेशन सिंदूर' को आशीर्वाद दे रहे थे। इस दौरान प्रधानमंत्री की ओर से यह कहे जाने पर कि जो हमें छेड़ेगा..., वहां मौजूद लोगों ने जमकर 'भारत माता की जय' के नारे लगाए। हालांकि, पीएम मोदी ने इस मुद्दे पर आगे कुछ नहीं कहा।

कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने अपने नौ संकल्पों को दोहराया और लोगों से उनका पालन करने की अपील की। संकल्प हैं- पानी बचाना, मां की याद में एक पेड़ लगाना, स्वच्छता, 'वोकल फॉर लोकल', देश में अलग-अलग जगहों की यात्रा करना, प्राकृतिक खेती को अपनाना, सेहतमंद जीवनशैली अपनाना, खेल व योग अपनाना और गरीबों की मदद करना।

पीएम मोदी ने कहा, 'आज हम सब भारत की अध्यात्म परंपरा के एक महत्वपूर्ण अवसर के साक्षी बन रहे हैं। पूज्य आचार्य विद्यानंद जी मुनिराज, उनकी जन्म शताब्दी का ये पून्य पर्व... उनकी अमर प्रेरणाओं से ओत-प्रोत यह कार्यक्रम एक अभूतपूर्व प्रेरक वातावरण का निर्माण हम सबको प्रेरित कर रहा है। मैं आप सभी का अभिनंदन करता हूं। मुझे आने का अवसर देने के लिए आप सब का आभार व्यक्त करता हूं। आज का ये दिन एक और वजह से बहुत विशेष है। 28 जून यानी, 1987 में आज की तारीख पर ही आचार्य विद्यानंद जी मुनिराज को आचार्य पद की उपाधि प्राप्त हुई थी। ये सिर्फ एक सम्मान नहीं था, बल्कि जैन परंपरा को विचार, संयम और करूणा से जोड़ने वाली एक पवित्र धारा प्रवाहित हुई।'

उन्होंने कहा, 'आज जब हम उनकी जन्म शताब्दी मना रहे हैं, तब ये तारीख हमें उस ऐतिहासिक क्षण की याद दिलाती है। इस अवसर पर आचार्य विद्यानंद मुनिराज की चरणों में नमन करता हूं। उनका आशीर्वाद हम सभी पर बना रहे, ये प्रार्थना करता हूं। आज इस अवसर पर आपने मुझे 'धर्म चक्रवर्ती' की उपाधि देने का जो निर्णय लिया है, मैं खुद को इसके योग्य नहीं समझता हूं, लेकिन हमारा संस्कार है कि हमें संतों से जो कुछ मिलता है उसे प्रसाद समझकर स्वीकार किया जाता है। इसलिए मैं आपके इस प्रसाद को विनम्रता पूर्वक स्वीकार करता हूं और मैं भारती के चरणों में अर्पित करता हूं।'

पीएम मोदी ने कहा, 'भारत विश्व की सबसे प्राचीन जीवंत सभ्यता है। हम हजारों वर्षों से अमर हैं, क्योंकि... हमारे विचार अमर हैं, हमारा चिंतन अमर है, हमारा दर्शन अमर है। इस दर्शन के स्रोत हैं- हमारे ऋषि-मुनि, महर्षि, संत और आचार्य। आचार्य विद्यानंद जी मुनिराज, भारत के इसी परंपरा के आधुनिक प्रकाश स्तंभ हैं। आचार्य विद्यानंद महाराज कहते थे कि जीवन तभी धर्ममय हो सकता है, जब जीवन स्वयं ही सेवामय बन जाए। उनका ये विचार जैन दर्शन की मूल भावना से जुड़ा हुआ है, ये विचार... भारत की चेतना से जुड़ा हुआ है।'

उन्होंने कहा, 'भारत सेवा प्रधान देश है, मानवता प्रधान देश है। दुनिया में जब हजारों वर्षों तक हिंसा को हिंसा से शांत करने के प्रयास हो रहे थे.... तब भारत ने दुनिया को अहिंसा की शक्ति का बोध कराया। हमने मानवता की सेवा की भावना को सर्वोपरि रखा। सब साथ चलें, हम मिलकर आगे बढ़ें... यही हमारा संकल्प है।'

पीएम मोदी ने कहा, 'प्राकृत भारत की सबसे पुरानी भाषाओं में से एक है। ये भगवान महावीर के उपदेशों की भाषा है, लेकिन अपनी संस्कृति की उपेक्षा करने वालों के कारण ये भाषा सामान्य प्रयोग से बाहर होने लगी थी। हमने आचार्य श्री जैसे संतों के प्रयासों को देश का प्रयास बनाया। हमारी सरकार ने प्राकृत को 'शास्त्रीय भाषा' का दर्जा दिया। हम भारत की प्राचीन पाण्डुलिपियों को डिजिटलीकरण करने का अभियान भी चला रहे हैं। हमें विकास और विरासत को एक साथ लेकर आगे बढ़ना है। इसी संकल्प को केंद्र में रखकर हम भारत के सांस्कृतिक स्थलों का, तीर्थ स्थानों का भी विकास कर रहे हैं।'