प्रशासनिक अकादमी में "अल्पविराम आनंदम सहयोगी" कार्यक्रम का शुभारंभ, तीन दिवसीय कार्यशाला में आत्मचिंतन, सकारात्मक सोच और जीवन संतुलन पर मिलेगा विशेष प्रशिक्षण
कार्यशाला के दौरान प्रतिभागियों को विभिन्न सत्रों और समूह गतिविधियों के माध्यम से सकारात्मक सोच, भावनात्मक संतुलन, नैतिक मूल्यों पर आधारित निर्णय क्षमता, और सहयोगपूर्ण कार्य वातावरण के निर्माण की दिशा में प्रशिक्षित किया जा रहा है। कार्यक्रम में योग, ध्यान, रचनात्मक लेखन, तथा आंतरिक संवाद जैसे अनुभवात्मक अभ्यास भी सम्मिलित हैं।

भोपाल। राज्य आनंद संस्थान, आनंद विभाग द्वारा सोमवार को प्रशासनिक अकादमी, भोपाल में “अल्पविराम आनंदम सहयोगी कार्यक्रम” का शुभारंभ किया गया। यह तीन दिवसीय विशेष कार्यशाला मध्यप्रदेश के विभिन्न जिलों से आए खाद्य नागरिक आपूर्ति विभाग के 42 अधिकारी-कर्मचारियों के लिए आयोजित की गई है, जिसका उद्देश्य है प्रशासनिक सेवाओं में कार्यरत कार्मिकों को आंतरिक आनंद, संतुलन और आत्मविकास की ओर प्रेरित करना।
शुभारंभ सत्र में संस्थान के निदेशक सत्य प्रकाश आर्य ने प्रतिभागियों को आनंद विभाग की मूल अवधारणा, उसकी पृष्ठभूमि और उद्देश्यों से परिचित कराया। उन्होंने 'लाइफ बैलेंस शीट' नामक सत्र के माध्यम से प्रतिभागियों को आत्मनिरीक्षण और आत्मसंवाद का व्यावहारिक अनुभव कराया। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक जिम्मेदारियों के बीच मानसिक शांति और आंतरिक संतुलन बनाए रखना न केवल व्यक्तिगत बल्कि संस्थागत प्रभावशीलता के लिए भी अत्यंत आवश्यक है।
कार्यक्रम की मुख्य विशेषता 'अल्पविराम तकनीक' है, जो व्यक्ति को अपने भीतर झांकने, दैनिक जीवन में ठहराव लाने, और जागरूकता से कार्य करने की कला सिखाती है। यह तकनीक न तो कोई आध्यात्मिक उपदेश है, न ही पारंपरिक ध्यान-पद्धति—बल्कि यह एक सरल, व्यावहारिक और वैज्ञानिक तरीका है जो आधुनिक जीवन की दौड़ में खोए व्यक्ति को खुद से जोड़ने का माध्यम बनता है।
कार्यशाला के दौरान प्रतिभागियों को विभिन्न सत्रों और समूह गतिविधियों के माध्यम से सकारात्मक सोच, भावनात्मक संतुलन, नैतिक मूल्यों पर आधारित निर्णय क्षमता, और सहयोगपूर्ण कार्य वातावरण के निर्माण की दिशा में प्रशिक्षित किया जा रहा है। कार्यक्रम में योग, ध्यान, रचनात्मक लेखन, तथा आंतरिक संवाद जैसे अनुभवात्मक अभ्यास भी सम्मिलित हैं।
आर्य ने अपने संबोधन में यह भी रेखांकित किया कि राज्य आनंद संस्थान का यह प्रयास प्रशासनिक तंत्र में एक ऐसा सकारात्मक परिवर्तन लाना है, जिससे अधिकारी सिर्फ कर्तव्यपरायण प्रशासक न रहें, बल्कि संवेदनशील, जागरूक और आनंदित मनुष्य बनकर समाज की सेवा करें।
कार्यक्रम के आगामी सत्रों में प्रतिभागी ‘मेरी जीवन यात्रा’, ‘मूल्य आधारित निर्णय’, ‘ध्यान की व्यावहारिक विधियाँ’ एवं ‘सारांश और साझा अनुभव’ जैसी गतिविधियों में भी भाग लेंगे। यह कार्यशाला इस बात का प्रमाण है कि शासन-प्रशासन अब केवल परिणाम आधारित नहीं, बल्कि व्यक्ति-आधारित बदलाव की दिशा में भी गंभीरता से कार्य कर रहा है।