कतिया समाज की वीरांगना गौरा देवी की समाधि स्थल की साफ सफाई तक नहीं कोई भी श्रद्धांजलि तक नहीं करते कतिया समाज के लोग आगें आये

मूलचन्द मेंधोनिया
देश की आजादी के लिए अनुसूचित जाति वर्गों के हजारों महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने अपनी जान की परवाह न करते हुए देश के लिए कुरबानी दी है। लेकिन ऐसे महापुरुषों को जो सम्मान मिलना चाहिए वह आज तक नसीब नहीं हुआ। जिसका मात्र एक ही कारण है वह है जातंकवाद, भेदभाव व ऊंच नीच की भावना जिसका जिता जागता उदाहरण है मध्यप्रदेश के जिला नरसिंहपुर के नगर चीचली में जहां पर सन 1942 के स्वतंत्रता आंदोलन में चीचली गोंड राजा के राजमहल की देखभाल करने वाले सेवादार वीर मनीराम अहिरवार ने अंग्रेजी सेना के द्वारा महल पर चढ़ाई करने आई सेना से युद्ध कर उन्हें महल तक नहीं आने दिया।
वीर मनीराम ने अपनी वीरता शौर्य के दम पर अंग्रेजों को पत्थरों के अचूक निशाने से अंग्रेजों को लहूलुहान कर गांव में प्रवेश तक नहीं होने दिया था। अंग्रेजों द्वारा गोली मनीराम पर चलाई जा रही थी। वही वीर मनीराम उन पर पत्थरों से बार पर बार कर रहे थे। अपना सीना तानते हुए आगे बढ़ रहें थे। इनके भय से अंग्रेजी सेना थर थर कांप रही थी, इनके खोपड़ियों को लहूलुहान कर दिया था। वह फिरंगी गोली मनीराम पर चला रहे थे। इनकी ऊपर चली गोली में कतिया समाज की वीरांगना गौरा देवी के सीने में लगी और वह युद्ध स्थल पर ही वीरगति को प्राप्त हुई। जिनकी समाधि अवस्था की शिकार है। न कभी साफ सफाई होती और न ही रंग रोगन होता।
जातिवादी मानसिकता के लोगों द्वारा श्रद्धां सुमन समाधि स्थल पर नहीं अर्पित करते है। केवल 23 अगस्त जब भी आता है तब ही कुछ लोगों को याद आती है कि इस दिन अंग्रेजों से वीर मनीराम अहिरवार के युद्ध के द्वारा वीरांगना गौरा देवी शहीद हुई थी। तभी कोई फूल अर्पित करते है। बाकी कोई नमन तक नहीं करते है। ऐसी मानसिकता रखने वाले लोग अनुसूचित जाति के महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की उपेक्षा करते है। जो कि यह दर्शाता है कि आज के समय भी जाति पांति की भावना से कुछ लोग ग्रसित है। वीरांगना गौरा देवी जो कि कतिया समाज की होने के कारण उनकी समाधि स्थल की उपेक्षा तो है ही उनके नाम पर कोई भी भवन, या कोई नामकरण नहीं किया गया है।
अनुसूचित जाति के अन्तर्गत आने वाली कतिया समाज के लोगों को सरकार का ध्यान दिलाना चाहिये और उनकी कुरबानी को यादगार बनाने हेतु उनकी स्मृति दिवस मनाना चाहिए। उनकी समाधि पर हर वर्ष सामाजिक संगठनों के लोगों द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित करने हेतु एकत्रित होना चाहिए। यदि समाज के ही लोग ध्यान नही देगें तो सरकार व प्रशासन को क्या मतलब वह तो जब ध्यान देते है कि कोई लोग आगे आये। शूरवीर मनीराम अहिरवार के सुपौत्र मूलचन्द मेंधोनिया ने सभी कतिया समाज के नागरिकों से अपील करते हुए आगे आने का अनुरोध किया है। इन्होंने अपना मोबाईल नंबर 8878054839 देते हुए निवेदन किया है कि सभी सामाजिक लोग अपनी समाज की वीरांगना को याद कर सामाजिक गौरव बढ़ाये।