बैठक में सीएम मोहन यादव को आया गुस्सा, अफसरों से बोले- छवि सुधारें
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने ग्लोबल स्किल पार्क की खाली सीटों पर नाराजगी जताई। उन्होंने युवाओं को रोजगारोन्मुख प्रशिक्षण देने, ब्रांड वैल्यू बढ़ाने और योजनाओं को परिणामोन्मुखी बनाने के निर्देश दिए। उद्योगों की मांग के अनुसार प्रशिक्षण सुनिश्चित करने पर भी जोर दिया गया।

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव बुधवार 9 अप्रैल को तकनीकी शिक्षा, कौशल एवं रोजगार विभाग की समीक्षा बैठक में नाराज हो गए। ग्लोबल स्किल पार्क की खाली पड़ी सीटों के बारे में जैसे ही सीएम को जानकारी लगी तो उन्होंने अधिकारियों पर नाराजगी जताई। सीएम मोहन यादव ने कहा कि ग्लोबल स्किल पार्क सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट है जो युवाओं को कौशल और रोजगार देने के लिए बनाया गया था लेकिन प्रोगेस नजर नहीं आ रही है।
योजनाओं की प्रगति से असंतुष्ट
मुख्यमंत्री ने विभाग की योजनाओं और कार्यक्रमों की प्रगति पर असंतोष जताया। उन्होंने कहा कि युवाओं के कौशल विकास और रोजगारपरक कार्यक्रमों के लक्ष्य समय पर पूरे होने चाहिए। इसके लिए गतिविधियों को परिणामोन्मुखी बनाना होगा। डॉ. यादव ने जोर दिया कि प्रशिक्षण के बाद युवाओं को रोजगार के अवसर सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।
डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश में मौजूद उद्योगों की मांग के अनुसार कौशल प्रशिक्षण की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए और इसमें निजी क्षेत्र की भागीदारी को भी प्रोत्साहित किया जाए। मुख्यमंत्री ने हर विकासखंड में आईटीआई की स्थापना के निर्देश दिए और कहा कि स्थानीय औद्योगिक इकाइयों के सहयोग से आईटीआई और पॉलिटेक्निक संस्थानों के विद्यार्थियों को व्यवहारिक प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जाए, जिससे युवाओं को स्थानीय स्तर पर ही रोजगार मिल सके।
बैठक में तकनीकी शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार, कौशल विकास एवं रोजगार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गौतम टेटवाल, मुख्य सचिव अनुराग जैन, अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा सहित विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने विभागीय योजनाओं और कार्यक्रमों की प्रगति पर असंतोष जताते हुए कहा कि युवाओं के कौशल विकास और रोजगार की दिशा में परिणाममूलक गतिविधियां संचालित की जाएं। इसके लिए स्पष्ट लक्ष्य और समय-सीमा तय की जाए।
डॉ. यादव ने कहा कि विदेशी भाषाओं जैसे जर्मन और जापानी में दक्षता रखने वाले युवाओं के लिए वैश्विक स्तर पर रोजगार के अच्छे अवसर हैं। ऐसे में उन भाषाओं के प्रशिक्षण की भी समुचित व्यवस्था की जाए, जिनमें रोजगार की संभावना अधिक है।
मुख्यमंत्री ने तकनीकी रूप से दक्ष विश्वविद्यालयों और निजी औद्योगिक इकाइयों को शैक्षणिक संस्थानों से जोड़ने की बात भी कही, ताकि युवाओं को व्यवहारिक प्रशिक्षण मिल सके और प्रदेश को उद्योगों के लिए कुशल मानव संसाधन प्राप्त हो।
बैठक में कौशल विकास नीति, रोजगार कार्यालयों एवं कौशल विकास विभाग के विलय, स्थानीय और पारंपरिक प्रशिक्षण विधाओं की पहचान के लिए प्रारंभ किए गए ‘श्रुति’ कार्यक्रम की भी समीक्षा की गई।