सरेंडर ' मोदी या फिर ' केलेंडर' मोदी
जुमले गढना और सटीक जुमले गढना आसान काम नहीं है. जुमलों को आप व्यंग्य विधा का ड्रोन कह सकते हैं जो यदि सटीक बैठ जाए तो बडे से बडे फाइटर को चित कर सकता है. मै चूंकि खुद एक तुकबंद हूँ इसलिए इस विधा की ताकत को जानता हूं.

राकेश अचल
राहुल गांधी अब बाबा नहीं बाबू बन चुके हैं.
मोदी शब्द को लेकर लिखने या बोलने से पहले मुझे सौ बार सोचना पडता है. लेकिन लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता मोदी का नाम लेने पर लोकसभा की सदस्यता छीने जाने के बाद भी नहीं सुधरे. न सुधरने को आप निडरता भी कह सकते हैं और हठ भी. हठी तो मोदी जी भी कम नहीं हैं. दोनों की रीति न सुधरने के मामले में एक जैसी है. यानि ' प्राण जाएं पर 'हठ 'न जाई' जैसी.
मुझे आज लिखना था बेंगलूर में हुई भगदड पर. लेकिन लिख रहा हूँ. मोदी और राहुल गांधी पर. भगदड में मौतों के लिए हम अभिशप्त हैं. हमें अभी तक भीड को नियंत्रित करना, आपदा प्रबंधन करना नहीं आया. भगदड में दिवंगत हुए निर्दोष क्रिकेट प्रेमियों के परिजनों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदनाएं हैं. इससे ज्यादा न राज्य की सरकार कुछ करेगी और न समाज.
बात राहुल गांधी की है. राहुल गांधी अब बाबा नहीं बाबू बन चुके हैं. लगातार 11 साल विपक्ष में रहने के बाद भाजपा की भाषा सीख गए हैं. राहुल गांधी ने भोपाल में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी के लिए जो शब्द पर्यायवाची के रुप में इस्तेमाल किया है उसेज्ञसुनकर पूरी भाजपा और मोदी भक्तमंडल सदमें में है. किसी को उम्मीद न थी कि राहुल गांधी मोदी के गर्म सिंदूर से भी भारी जुमला गढ लेंगे. राहुल ने आपरेशन सिंदूर के बादक्षरहस्यमय तरीके से हुए सीजफायर के बाद कहा कि मोदी जी ' नरेंदर मोदी नहीं बल्कि अब सरेंडर मोदी बन गये हैं. भाजपा ने राहुल के जुमले को मोदीजी के साथ ही भारतीय सेना का अपमान मान लिया है, और राहुल गांधी पर पिल पडे हैं.
जुमले गढना और सटीक जुमले गढना आसान काम नहीं है. जुमलों को आप व्यंग्य विधा का ड्रोन कह सकते हैं जो यदि सटीक बैठ जाए तो बडे से बडे फाइटर को चित कर सकता है. मै चूंकि खुद एक तुकबंद हूँ इसलिए इस विधा की ताकत को जानता हूं. स्थापित साहित्यकार इसे तुकबंदी कहते हैं. ये नोटबंदी से बिल्कुल अलग विधा है. पिछली 12मयी को माननीय मोदी जी ने जब मोदी की रगों में खून नहीं गर्म सिंदूर दौडने का जुमला गढा तो वे हंसी के पात्र बन गये थे क्योंकि उनके जुमले में ऐसी तकनीकी खामी थी जिसे विशेषज्ञ ही नहीं बल्कि आम आदमी आसानी से पकड सकता था. मोदीजी पकडे भी गए, क्योंकि रगों में सिंदूर दौडने की बात आम हिंदुस्तानी ने प ली बार सुनी थी, जो पूरी तरह अवैज्ञानिक भी थी. लेकिन राहुल का जुमला सटीक साबित हुआ.
प्रधानमंत्री जी को राहुल गांधी के नये जुमले पर नाराज होने के बजाय मुस्कराना चाहिए और अपने जुमला लेखकों को राहुल से बेहतर जुमला गढने का फरमान जारीकरना चाहिए. राहुल का नरेंदर बनाम सरेंडर वाला जुमला मर्मभेदी साबित हुआ. साबित इसलिए हुआ क्योंकि देश ने एक जननायक को एक अमरीकी खलनायक के सामने सरेंडर करते देखा. ये सरेंडर हमारी सूरवीर सेना का सरेंडर नहीं था. सेना ने तो मक्तहस्त होते ही पाकिस्तान में भुस भर दिया था. सेना को पाकिस्तान के दैबारा टुकडे करने से अचानक रोका गया. यानि सरेंडर सेना ने नहीं अपितु सेना की वर्दी पहनकर फोटो सूट कराने वालों ने किया.
कहते हैं न कि खिसिया बिल्ली खंभा नोचती है, वैसा ही अब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्ढा समेत उनकी पूरी पार्ट कर रही है. नड्ढा ने राहुल गांधी द्वारा माननीय मोदीजी को ' सरेंडर मोदी' कहे जाने के जबाब में पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाधी को सरेंडर इंदिरा कहा. वे ऐसा कह सकते हैं क्योंकि उन्हे 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध का इतिहास पता ही नहीं है. वे नहीं जानते कि तब युद्ध पूरे 19 दिन चला था और पाकिस्तान के न सिर्फ दो भाग हो गए थे बल्कि तब के युद्धविराम के बाद भारतीय सेना के हाथों में पाकिस्तान के 90 हजार सैनिक थे. जिन्हे लिखित आत्मसमर्पण के बाद दरियादिली दिखाते हुए रिहा किया गया था.
नड्ढा जी को बताना चाहिए कि 2025 के 10 मयी को हुए युद्धविराम के बाद हमारी सेना के हाथ खाली क्यों हैं? नड्ढा जी को बताना चाहिए कि 1971 के युद्ध विराम के बाद भारत पाकिस्तान को किसी नये समझौते के लिए मजबूर क्यों नहीं किया जा सका ? शिमला समझौता अगर भाजपा को इंदिरा गांधी की भूल लगती है तो इसे 10 मयी 2025के युद्धविराम के बाद नया समझौता कर सुधारा क्यों नहीं गया? विपक्ष ने सरकार को रोका तो नहीं था. रोक तो अमेरिका ने लगाई, जिसके खिलाफ आज 5 जून 2025 तक महावीर, विश्वगुरू माननीय प्रधानमंत्री नरेंदर मोदी जी का मुखारविंद नहीं खुला.
मै सच कहता हूँ कि यदि माननीय मोदी जी इसी तरह मौनव्रत रखेंगे तो उन्हें लेकर विपक्ष रोज नये जुमले गढेगा. आज सरेंडर मोदी कहा है, कल कुछ और कहेगा. इसलिए महोदय मुँह खोलिये, देश को सच्चाई से रुबरू कराइए. अपनी बाडी लेंग्वेज बदलिए, अन्यथा आज कनाडा ने बहिष्कार किया है कल कोई और करेगा और परसों कोई और. भारत की मान प्रतिष्ठा को मिट्टी में मिलने से बचाइए गंगापुत्र! अब चौथा मौका और नहीं मिलने वाला आपको. आप 'टायर्ड हो चुके हैं. आपको रिटायरमेंट प्लान ले लेना चाहिए.मैं तो आपको अभी भी लेवेंडर मोदी मानता हूं. अभी आप केलेंडर मोदी भी नहीं बने हैं.