सीएम योगी का बड़ा निर्णय,30 साल बाद बढ़ेंगे PWD अफसरों के वित्तीय अधिकार, 1995 में तय सीमाएं अब पुरानी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों के वित्तीय अधिकारों में पांच गुना तक की वृद्धि करने का निर्णय लिया है। इस बदलाव से अधिकारियों को निर्णय लेने में अधिक स्वतंत्रता मिलेगी और निविदा प्रक्रिया में तेजी आएगी। वित्तीय अधिकारों का पुनर्निर्धारण 30 वर्षों बाद किया जा रहा है, जिससे प्रशासनिक दक्षता और पारदर्शिता बढ़ेगी।
 
                                उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने बड़ा फैसला किया है. यहां पीडब्ल्यूडी अधिकारियों का वित्तीय अधिकार 5 गुना तक बढ़ाया गया है. सीएम योगी का कहना है कि बदलावों से विभागीय अधिकारियों को निर्णय लेने में अधिक स्वायत्तता प्राप्त होगी.
लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) को 'बूस्टर पॉवर' दी है. दरअसल, महकमे के अधिकारियों के वित्तीय अधिकारों में बड़ी बढ़ोतरी का फैसला लिया गया है. यह बदलाव 30 साल बाद हो रहा है, जब 1995 में ये सीमाएं तय की गई थीं. अब अधिकार पांच गुना तक बढ़ाए जाएंगे, जिससे कामकाज में तेजी आएगी और परियोजनाएं जल्दी पूरी होंगी.
कितने गुना बढ़ा वित्तीय अधिकार:मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को कहा कि निर्माण लागत में पिछले तीन दशकों में पांच गुना से ज्यादा बढ़ोतरी हुई है. कॉस्ट इन्फ्लेशन इंडेक्स के मुताबिक, 1995 से 2025 तक लागत 5.52 गुना बढ़ी है. पुरानी सीमाओं से निर्णय लेने में देरी होती थी, इसलिए अब अधिकार बढ़ाना जरूरी था. इससे निविदा, अनुबंध और काम शुरू करने की प्रक्रिया तेज होगी. वित्तीय अनुशासन बरकरार रहेगा और प्रशासनिक दक्षता व पारदर्शिता बढ़ेगी. नई व्यवस्था में मुख्य अभियंता को पहले 2 करोड़ रुपये तक की कार्य स्वीकृति का अधिकार था, अब यह 10 करोड़ रुपये हो जाएगा. अधीक्षण अभियंता के अधिकार 1 करोड़ से बढ़कर 5 करोड़ रुपये होंगे. अधिशासी अभियंता को 40 लाख से 2 करोड़ रुपये तक की स्वीकृति मिलेगी. सहायक अभियंता के अधिकार भी बढ़ाए गए हैं, ताकि छोटे कामों और टेंडर में जल्दी फैसला हो सके. विद्युत और यांत्रिक कार्यों के लिए अधिकार कम से कम दो गुना बढ़ेंगे.
कई फैसले लिए गए: यह फैसला शुक्रवार को पीडब्ल्यूडी की बैठक में लिया गया. अपर मुख्य सचिव ने सिविल, विद्युत और यांत्रिक कार्यों की मौजूदा व्यवस्था बताई. चर्चा के बाद सिविल कार्यों में पांच गुना और अन्य में दो गुना बढ़ोतरी तय हुई. इससे उच्च स्तर पर अनुमोदन की जरूरत कम होगी और अधिकारियों को ज्यादा स्वायत्तता मिलेगी. बैठक में उत्तर प्रदेश अभियंता सेवा (लोक निर्माण विभाग) (उच्चतर) नियमावली, 1990 में संशोधन पर भी विचार हुआ. विद्युत और यांत्रिक संवर्ग में पहली बार मुख्य अभियंता (स्तर-एक) का नया पद जोड़ा गया है. मुख्य अभियंता (स्तर-दो) और अधीक्षण अभियंता के पदों की संख्या बढ़ाई गई.
प्रमोशन नीति और स्पष्ट हुईःपदोन्नति की प्रक्रिया स्पष्ट की गई है. मुख्य अभियंता (स्तर-एक) पर पदोन्नति वरिष्ठता के आधार पर होगी. सातवें वेतन आयोग के अनुसार अधिशासी अभियंता से मुख्य अभियंता (स्तर-एक) तक के वेतनमान और पे लेवल तय किए गए. चयन समिति की संरचना को अपडेट किया गया, ताकि पदोन्नति पारदर्शी और निष्पक्ष हो। मुख्यमंत्री ने कहा कि पीडब्ल्यूडी राज्य की विकास परियोजनाओं का प्रमुख विभाग है. नियमावली को समय के अनुकूल बनाना जरूरी है. योग्यता, अनुभव और वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति से विभाग की कार्यकुशलता, तकनीकी गुणवत्ता और सेवा भावना मजबूत होगी.यह संशोधन विभागीय अभियंताओं की सेवा संरचना को आधुनिक बनाएगा. नवसृजित पदों के स्रोत, प्रक्रिया और पे स्केल स्पष्ट हैं. कुल मिलाकर, ये बदलाव परियोजनाओं को समयबद्ध पूरा करने और प्रशासन को मजबूत बनाने में मदद करेंगे.
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