सेना का अपमान नहीं सहा जाएगा: भाजपा नेताओं की बदजुबानी के खिलाफ पूर्व सैनिक आए मैदान में, मोदी जी के चरणों में सेना को नतमस्तक कराकर की अपमान की सारी हदें पार, तिरंगा यात्राओं पर भी उठाए सवाल

Bhopal,अभी कुछ दिन पहले की बात है, भारतीय सेना ने पाकिस्तान के 9 आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया और फिर उनके हर हमले का मुँह तोड़ जवाब दिया। उनके अधिकतर ड्रोन और मिसाइलें हवा में ही तबाह कर दी गईं। यदि उन्होंने एक गोला फेंका तो हमने 10 गोले फेंके। चाहे आर्मी हो, नेवी हो या एयरफोर्स, हर क्षेत्र में हमारी सशस्त्र सेनाएँ पूरी तरह हावी रहीं। यदि संघर्ष विराम न होता तो शायद 1971 की तरह इस बार भी हम पाकिस्तान का नक्शा बदल देते। सेना के इस अद्भुत पराक्रम से हर देशवासी का सिर गर्व से ऊँचा हुआ है।
इस बार ही नहीं, हर बार, हर युद्ध में, चाहे वह 1948 का हो, 1965 का हो, 1971 का हो या 1999 का कारगिल युद्ध हो, हर बार हमारी सशस्त्र सेनाओं के वीर अफसरों और जवानों ने अपनी जान पर खेलकर देश को विजयश्री दिलवाई। 1971 में हमने 93,000 युद्धबंदी बनाए और 1999 में हमने बर्फीली रातों में खड़ी पहाड़ियों पर चढ़कर जीत हासिल की थी। इन लड़ाइयों में भाग लेने वाले सैनिक हिंदू भी थे, मुसलमान भी थे, सिख भी थे और ईसाई भी थे। उदाहरण के लिए, हम जो पूर्व सैनिक बैठे हुए हैं, उनमें मैं हिंदू हूँ, मेरे कुछ साथी हिंदू हैं, खान साहब और शब्बीर साहब मुस्लिम हैं, सोढ़ी साहब सिख हैं और कुरियन साहब क्रिश्चियन हैं। यानी हर धर्म के व्यक्ति ने अपनी जान दाँव पर लगाकर 20 से 40 साल तक देश की सेवा की। फौज में अफसर बनते ही हमारे साथ एक और धर्म जुड़ जाता है - राष्ट्र धर्म एवं सैनिक धर्म। यदि आप ऑफिसर हैं तो सैनिकों के हर धार्मिक पर्व में हमें उनके साथ भाग लेना पड़ता है। दूर जाने की जरूरत नहीं है, भोपाल की लालघाटी के पास सन सिटी में एक कर्नल खान रहते हैं। उनके घर के ड्राइंग रूम में जो फोटो लगा हुआ है, उसमें वह अपनी पत्नी के साथ यूनिट में रात को जन्माष्टमी पर पूजा करते हुए और पहली आरती करते हुए दिखाई दे रहे हैं, क्योंकि पहली आरती करने का अधिकार कमांडिंग ऑफिसर का होता है। हर त्योहार, चाहे वह किसी भी धर्म का हो, हम साथ मनाते हैं। ऐसे ही मैं एक मेजर जनरल हरकीरत सिंह को जानता हूँ, जो सिख हैं। जब वह अपनी कंपनी कमांड कर रहे थे, तब उनके ज्यादातर सैनिक मुस्लिम थे। 2 साल तक उन्होंने न सिर्फ ईद की नमाज़ पढ़ी, बल्कि पूरे 30 दिन रोज़ा भी रखा। धर्मनिरपेक्षता की इससे बड़ी मिसाल और कहीं नहीं मिल सकती।
दूसरी बात, सशस्त्र सेनाओं में जवानों को अपने अफसरों और विशेषकर अपने कमांडिंग ऑफिसर पर नाज़ होता है, और सेना को भी अपने अफसरों पर नाज़ होता है। कर्नल सोफिया कुरैशी एक फुल कर्नल हैं, जिन्होंने सेना को, अपने देश को अपना बेस्ट दिया है। यदि उनका आर्मी ब्रीफिंग के लिए चयन हुआ है, तो वह एक आउटस्टैंडिंग ऑफिसर हैं। दूसरी बात, वह भारतीय सेना की सेकंड जेनरेशन ऑफिसर हैं, उनके पिताजी भी फौज में थे। ऐसी ऑफिसर को मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह ने आतंकी की बहन कहकर संबोधित कर उनका और पूरी सेना का अपमान किया है। सबसे बड़ी बात यह है कि देश की महान सेना, जिसका पूरा देश जय-जयकार कर रहा है, का अपमान करके भी यह व्यक्ति अभी तक मंत्री बना घूम रहा है। प्रदेश के मुख्यमंत्री को इस अपमान से कोई फर्क नहीं पड़ता, बल्कि वह तो उसको बचाने की कोशिशों में लगे हुए हैं। यदि आप अपनी सशस्त्र सेनाओं का अपमान करने वाले व्यक्ति के विरुद्ध कार्रवाई नहीं करते, उसे मंत्री पद से नहीं हटा सकते, तो क्या यह माना जाए कि ऐसा करके आप भी सेना का अपमान कर रहे हैं? और यदि ऐसा कर रहे हैं, तो आपकी इन तिरंगा यात्राओं का क्या मतलब निकाला जाए?
अभी सेना के अपमान का बदला लेने की बात चल ही रही थी कि मध्यप्रदेश के उपमुख्यमंत्री श्री जगदीश देवड़ा जी ने भारतीय सेना को मोदी जी के चरणों में नतमस्तक कर दिया। देवड़ा जी, राष्ट्रपति तीनों सेनाओं की सुप्रीम कमांडर होती हैं और भारतीय सेना किसी व्यक्ति विशेष के लिए काम नहीं करती, सरकार के लिए काम करती है। सरकार चाहे बीजेपी की हो, कांग्रेस की हो या जनता दल की, उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। वे संविधान के अनुसार सिर्फ चुनी हुई सरकार के साथ काम करती हैं। भारतीय सेना यदि किसी के चरणों में नतमस्तक हो सकती है, तो वह सिर्फ हमारी भारत माता है। मोदी जी के चरणों में सेना को नतमस्तक कराकर आपने तो अपमान की सारी हदें पार कर दीं। सेना का अपमान करने वाले ऐसे लोगों को मंत्री पद से तुरंत निकाल देना चाहिए। सेवारत सेना जहाँ देश के दुश्मनों को मुँह तोड़ जवाब दे सकती है, वहीं देश में अपमान करने वालों के विरुद्ध सीधी कार्रवाई नहीं कर सकती। इसके लिए उसे सरकार पर, प्रशासन पर, पुलिस पर और कोर्ट पर भरोसा करना पड़ता है।
पर हम भूतपूर्व सैनिक, सशस्त्र सेनाओं पर किए जा रहे अपमान को बर्दाश्त नहीं करेंगे।
हम केंद्र सरकार और राज्य सरकार से अनुरोध करते हैं कि इन दोनों मंत्रियों को तुरंत मंत्रिमंडल से निकाल कर उनके विरुद्ध कार्रवाई करें, वरना देश भर से पूर्व सैनिक विरोध में सड़कों पर उतर आएंगे। यदि सेना के सम्मान के लिए पूर्व सैनिक सड़कों पर उतरेंगे, तो उनके साथ देश की सेना के सम्मान के लिए जनता भी साथ आएगी। हम नहीं चाहते ऐसी सिचुएशन आए, इसीलिए आपसे निवेदन है कि दोनों मंत्रियों पर तुरंत कार्रवाई करें।
उक्त पत्रकार वार्ता में मेजर जनरल श्याम श्रीवास्तव जी, ब्रिगेडियर कमांडर अरुण पांडे, कैप्टन सोढ़ी, सूबेदार मेजर बाई. डी. सिंघा, सूबेदार मेजर खान, पूर्व वायु सेना अधिकारी रमेश यादव, ए. पांडे और अन्य रिटायर्ड सैन्य अधिकारी उपस्थित रहे।