ट्रम्पोसिन ' की शिकार दुनिया में खौफ ?

ट्रम्पोसिन ' की शिकार दुनिया में खौफ ?

राकेश अचल

आपने नाम सुना होगा ' एनासिन ' का ! ये एक एक दर्द निवारक दवा है। लेकिन ' ट्रम्पोसिन ' एक ऐसी दवा है जिससे पूरी दुनिया का सिरदर्द इन दिनों बढ़ा हुआ है। पूरी दुनिया ट्रम्पोसिन के साइड इफेक्ट्स से बचने की जुगत में लगी हुई है। क्या रूस,क्या चीन ,क्या भारत सबके सब ट्रम्पोसिन से घबड़ाये हुए हैं। अब आप समझ गए होंगे कि आखिर ये ट्रम्पोसिन क्या बला है ? नहीं समझे ! तो जान लीजिये कि ये ट्रम्पोसिन अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की नयी टैरिफ नीति है ,जिसकी वजह से दुनिया के तमाम शेयर बाजार औंधे मुंह पड़े हुए हैं। 

अमेरिका में दूसरी बार राष्ट्रपति बनते ही डोनाल्ड सर ने दुनिया के साथ टैरिफ युद्ध छेड़ दिया। ये तृतीय विश्व युद्ध का नया रूप है। डोनाल्ड सर ने ये टैरिफ वार क्यों शुरू किया,ये या तो ट्रम्प साहब जानते हैं या उनका भगवान। ट्रम्प साहब के टैरिफ वार के निशाने पर सबसे ऊपर चीन है। मंगलवार को व्हाइट हाउस ने चीन पर कुल 104 प्रतिशत टैरिफ लगाने की पुष्टि की, जो आज 9 अप्रैल से लागू होगा।

आपको बता दें कि महामहिम डोनाल्ड ट्रम्प साहब ने सोमवार को कहा था कि अगर चीन ने अमेरिका पर लगाया गया 34 प्रतिशत टैरिफ वापस नहीं लिया तो उसे मार्च में लगाए 20 प्रतिशत और 2 अप्रैल को लगाए गए 34 प्रतिशत टैरिफ के साथ बुधवार से 50 प्रतिशत एक्स्ट्रा टैरिफ का सामना करना पड़ेगा।हिन् ने अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ टैक्स के बदले में अमेरिका पर टैरिफ टैक्स बढ़कर 34 प्रतिशत कर दिया था 

अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ टैक्स को लेकर शुरू हुई तकरार थमने के बजाय लगातार बढ़ रही है। चीन ने कहा था कि हम ट्रेड वॉर के लिए तैयार हैं।चीन ने कहा था कि हमारे ऊपर लगे टैरिफ को और बढ़ाने की धमकी देकर अमेरिका गलती के ऊपर गलती कर रहा है। इस धमकी से अमेरिका का ब्लैकमेलिंग करने वाला रवैया सामने आ रहा है। चीन इसे कभी स्वीकार नहीं करेगा। अगर अमेरिका अपने हिसाब से चलने की जिद करेगा तो चीन भी आखिर तक लड़ेगा।अमेरिका के टैरिफ वार के खिलाफ जितना मुखर चीन है उतना मुखर और कोई देश नहीं है । भारत तो बिलकुल नहीं है । चीन ने दुनिया के लिए साफ संदेश भेजा था- ‘अगर ट्रेड वॉर हुआ, तो चीन पूरी तरह तैयार है- और इससे और मजबूत होकर निकलेगा।' चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र पीपल्स डेली ने रविवार को एक टिप्पणी में लिखा: 'अमेरिकी टैरिफ का असर जरूर होगा, लेकिन 'आसमान नहीं गिरेगा।अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 60 देशों पर टैरिफ लगा दिया है।

अमेरिका चीन पर टैरिफ थोपने से पहले शायद ये भूल गया किअमेरिका के करीब 760 अरब डॉलर के सरकारी बॉन्ड हैं। मतलब ये कि चीन के पास अमेरिकी इकोनॉमी को प्रभावित करने की बड़ी ताकत है। वहीं, चीन ने अपनी तैयारी भी शुरू कर दी है।चीन ने 1.9 लाख करोड़ डॉलर का अतिरिक्त लोन इंडस्ट्रियल सेक्टर को दिया है। इससे यहां फैक्ट्रियों का निर्माण और अपग्रेडेशन तेज हुआ। हुआवेई ने शंघाई में 35,000 इंजीनियरों के लिए एक रिसर्च सेंटर खोला है, जो गूगल के कैलिफोर्निया हेडक्वार्टर से 10 गुना बड़ा है। इससे टेक्नोलॉजी और इनोवेशन कैपेसिटी तेज होगी। 

महामिहम डोनाल्ड ट्रम्प के ट्रम्पॉसिन का असर भारत पर भी आज से पड़ने लगेगा । ट्रम्प के फैसले के मुताबिक, 9 अप्रैल यानी आज से भारतीय उत्पादों पर 26 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगना शुरू हो जाएगा। इससे अमेरिका को भेजे जाने वाले टेक्सटाइल प्रोडक्ट पर भी 26 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगेगा। इसे देखते हुए अमेरिका के खरीदारों ने पानीपत के एक्सपोर्टर्स को दिया ऑर्डर रोक दिया है। ट्रम्प प्रशासन अपनी हठधर्मी पर आमादा है। व्हाइट हाउस ने उन सभी खबरों को खारिज कर दिया है जिनमें दावा किया गया था कि ट्रम्प चीन को छोड़कर सभी देशों पर 90 दिनों तक रेसिप्रोकल टैरिफ रोकने पर विचार कर रहे हैं।

ट्रम्प प्रशासन ने दुनिया के तमाम गरीब देशों को भी नहीं छोड़ा है । अमेरिका ने कम्बोडिया पर सबसे ज्यादा 49 प्रतिशत,वियतनाम पर 46और श्रीलंका पर 44 प्रतिशत टैरिफ लगाया है। बांग्लादेश पर 37 और थायलॅण्ड पर 36 फीसदी टैरिफ थोपा गया है। योरोपीय यूनियन पर सबसे कम 20 फीसदी टैरिफ लगाया गया है। 

अमेरिका के इस टैरिफ वार का असर खुद अमेरिका पर भी पड़ रहा है।अमेरिकी शेयर बाजार में मंगलवार को फिर से बड़ी गिरावट देखने को मिली। एसएंडपी 500 इंडेक्स 1.6 फीसदी गिरा, जबकि पहले 4.1 फीसदी की बढ़त बाने के बाद यह एक अच्छे दिन की ओर बढ़ रहा था। इस गिरावट के बाद यह इंडेक्स फरवरी में बनाए गए अपने रिकॉर्ड से करीब 10 फीसदी नीचे चला गया। भारत के सेंसेक्स में 19 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हो चुका है।विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले दिनों में इसमें और इजाफा हो सकता है। भारत सरकार ने चीन की तरह अमेरिका के इस टैरिफ वार को लेकर चुप्पी साध रखी है। न संसद को कुछ बताया है और न सड़क को। हालाँकि ट्रम्पोसिन का असर दिखाई देने लगा है । दो दिन पहले ही भारत में पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में 2 रुपया प्रति लीटर के साथ ही रसोई गैस के दामों में 50 रूपये प्रति सिलेंडर का इजाफा किया गया है। 

चीन जहाँ एक और अमेरिका से टैरिफ वॉर के मुद्दे पर लगातार जड्ड ले रहा है वहीं दूसरी और भारत हिन्दू-मुस्लिम में हैउलझा है। देश में ताइर्फ वॉर पर कहीं कोई विमर्श नहीं हो रह। कांग्रेस तक इस मुद्दे पार मौन है। उसे भी वक्फ बोर्ड संषोधन क़ानून से फुरसत नहीं मिली है । कनग्रेस गुजरात में बैठकर चुनावों की तैयारी कर रही है जबकि जरूरत थी टैरिफ के मुद्दे पर सरकार को जगाने के लिए आंदोलन करने की। आने वाले द्दिन दुनिया के दूसरे देशों कि तरह भारत पर क्या कहर वरपा सकते हैं कहना कठिन है । लेकिन आप सावधान रहिये। सतर्कता में ही भलाई है।