सावन के पहले सोमवार पर शुजालपुर में निकली भगवान भोलेनाथ की भव्य पालकी यात्रा, हजारों श्रद्धालुओं ने किया हर-हर महादेव के जयघोष के साथ स्वागत, पुष्प वर्षा से महक उठी गलियाँ
सावन के पहले सोमवार पर शुजालपुर में श्री चामुंडा माता मंदिर से भगवान भोलेनाथ की भव्य पालकी यात्रा निकाली गई। शहर के प्रमुख मार्गों से गुजरती इस यात्रा में हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया और जगह-जगह पुष्पवर्षा कर स्वागत किया। यात्रा का आयोजन युवाओं द्वारा लगातार दसवें वर्ष किया गया।

संवाददाता: विनोद सक्सेना
प्रखर न्यूज व्यूज एक्सप्रेस
शुजालपुर,सावन माह के प्रथम सोमवार के पावन अवसर पर शुजालपुर शहर भक्ति, श्रद्धा और शिवमय वातावरण से सराबोर हो उठा। वार्ड क्रमांक 2, किला क्षेत्र स्थित श्री चामुंडा माता मंदिर से भगवान भोलेनाथ की भव्य पालकी यात्रा निकाली गई, जिसमें हजारों की संख्या में शिवभक्तों ने भाग लेकर भगवान भोलेनाथ की दिव्य आराधना की।
यह पालकी यात्रा क्षेत्र के लोकप्रिय शिव भक्त युवाओं द्वारा लगातार दसवें वर्ष आयोजित की जा रही है, जो नगरवासियों में विशेष उत्साह और आस्था का केंद्र बन चुकी है। पालकी यात्रा की शुरुआत नाचते-गाते श्रद्धालुओं के साथ हुई, जहां भक्तों ने "हर हर महादेव" और "बोल बम" के जयघोष से पूरा माहौल शिवमय बना दिया।
यात्रा ने वार्ड क्रमांक 2 से प्रारंभ होकर छोटा बाज़ार, बड़ा बाज़ार, काली माता चौक, मुख्य नगर मार्ग सहित अनेक प्रमुख स्थानों से होकर नगर भ्रमण किया। यात्रा के दौरान जगह-जगह श्रद्धालुओं द्वारा पुष्पवर्षा कर भगवान भोलेनाथ की पालकी का भव्य स्वागत किया गया।
शहर के अन्य वार्डों से भी शिवभक्तों ने अपनी-अपनी पालकियाँ लेकर यात्रा में भाग लिया, जिससे यह आयोजन पूरे नगर के लिए एक महाआध्यात्मिक पर्व बन गया। ढोल-नगाड़ों और भक्ति गीतों की मधुर ध्वनि के बीच श्रद्धालु शिव भक्ति में लीन दिखे।
इस अवसर पर नगर प्रशासन की ओर से भी यात्रा मार्गों पर विशेष साफ-सफाई, पानी वितरण एवं सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किए गए थे। युवाओं द्वारा अनुशासित रूप से यात्रा का संचालन करना और श्रद्धालुओं की सेवा में तत्पर रहना, पूरे आयोजन की एक विशेष झलक रही।
शिव की भक्ति में डूबा शुजालपुर
सावन के पहले सोमवार ने शुजालपुर को भक्ति, उत्साह और सामूहिक श्रद्धा से भर दिया। इस प्रकार की यात्राएँ न केवल धार्मिक चेतना को जाग्रत करती हैं, बल्कि नगरवासियों के बीच एकता और संस्कृतिक समरसता का संदेश भी देती हैं।