मोहन सरकार अपने ही मंत्री की कराएगी जांच : संपतिया उइके मामले पर कैबिनेट में मंत्रियों ने जताया विरोध, मुख्यमंत्री ने दिए जांच के आदेश
मध्यप्रदेश में जल जीवन मिशन से जुड़े 1000 करोड़ रुपए के कथित घोटाले को लेकर मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में बड़ा हंगामा हुआ। पीएचई मंत्री संपतिया उइके के खिलाफ जांच आदेश को लेकर कई मंत्रियों ने आपत्ति जताई। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस पर सख्त रुख अपनाते हुए पूरे मामले की जांच के आदेश दिए और सवाल उठाया कि कोई अधीनस्थ अधिकारी मंत्री के खिलाफ जांच का आदेश कैसे दे सकता है। अब इस मामले में अधिकारियों पर भी कार्रवाई हो सकती है।

जल जीवन मिशन के लिए केंद्र द्वारा दिए गए फंड में भ्रष्टाचार के मामले ने सभी को हिला कर रख दिया है। इस घोटाले को लेकर मध्य प्रदेश की बीजेपी सरकार की किरकिरी हो गई है।
MP के पूर्व विधायक किशोर समरीते ने एक शिकायत में दावा किया है कि महिला मंत्री संपतिया उइके ने जल जीवन मिशन से 1000 करोड़ रुपए की कमीशन वसूली की है. साथ ही तत्कालीन प्रमुख अभियंता बीके सोनगरिया और उनके अकाउंटेंट महेंद्र खरे पर भी करोड़ों रुपये की घूसखोरी के आरोप लगाए गए हैं.
राज्य की मंत्री संपतिया उइके पर जल जीवन मिशन के केंद्र द्वारा मिले फंड में हेराफेरी करने के आरोप लगे हैं। इसके चलते सीएम मोहन यादव के निर्देश पर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग यानी PHE ने मंत्री के खिलाफ जांच का आदेश दिया है।
दरअसल, जांच इंजीनियर-इन-चीफ (ईएनसी) संजय अंधावन ने इस मामले में मंत्री संपतिया उइके और एक कार्यकारी अभियंता पर भ्रष्टाचार के मामले में जांच का आदेश दिया गया है। मामले में आरोप हैं कि इन्होंने जल जीवन मिशन के तहत भारत सरकार द्वारा मध्य प्रदेश को दिए गए 30,000 करोड़ रुपये के धन में हेराफेरी की और मंत्री के लिए पैसा जुटाया।
7 दिन में जांच की रिपोर्ट पेश करने के आदेश
ENC संजय अंधावन ने पीएचई विभाग के सभी क्षेत्रों के मुख्य अभियंता और एमपी जल निगम लिमिटेड, भोपाल के परियोजना निदेशक को पत्र भेजा है। इन सभी अधिकारियों को सात दिनों के भीतर विस्तृत रिपोर्ट जमा करने के लिए कहा गया है। हालांकि इस मामले में अभी तक राज्य सरकार की मंत्री संपतिया उइके ने कोई बयान नहीं दिया है।
किसकी शिकायत पर हो रही जांच?
यह जांच लांजी के पूर्व विधायक और संयुक्त क्रांति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष किशोर समरीते द्वारा 12 अप्रैल को दर्ज की गई शिकायत से शुरू हुई है, जिन्होंने आरोप लगाया था कि मंत्रियों, अधिकारियों और ठेकेदारों ने BJP शासित राज्य में ग्रामीण परिवारों को नल का जल कनेक्शन प्रदान करने के लिए केंद्रीय धन का दुरुपयोग किया है।
पूर्व विधायक समरीते की शिकायत में राज्य की जल आपूर्ति अवसंरचना परियोजनाओं में कई अधिकारियों और ठेकेदारों की संलिप्तता में व्यापक भ्रष्टाचार का भी आरोप लगाया गया है।
उनकी शिकायत में कहा गया है कि इस योजना में, भारत सरकार को 3,000 पूरी तरह से फर्जी कार्य पूर्णता और उपयोगिता प्रमाण पत्र भेजे गए हैं, जिन्हें तुरंत जब्त किया जाना चाहिए।