डायमंड टेक्सटाइल और आध्यात्मिक नगरी सूरत में छह मुमुक्षुओं को मिला दीक्षा मुहूर्त

डायमंड नगरी सूरत में छह मुमुक्षुओं को मिला दीक्षा मुहूर्त, खरतरगच्छाचार्य श्री जिनपीयूषसागर सूरीश्वरजी म.सा. ने पालीताणा हेतु की ऐतिहासिक घोषणा

डायमंड टेक्सटाइल और आध्यात्मिक नगरी सूरत में छह मुमुक्षुओं को मिला दीक्षा मुहूर्त

खरतरगच्छाचार्य श्री जिनपीयूषसागर सूरीश्वरजी म.सा. ने श्री शत्रुंजय महातीर्थ, पालीताणा हेतु घोषित किया ऐतिहासिक दीक्षा मुहूर्त

Surat: डायमंड, टेक्सटाइल और आध्यात्मिक नगरी सूरत की पावन धरा पर आज कार्तिक पूर्णिमा एवं विहार अवसर पर एक ऐतिहासिक धार्मिक प्रसंग संपन्न हुआ।

युगनायक धर्मशिरोमणि, संयम सारथी, शासन प्रभावक, जोगी पहाड़ी तीर्थ के प्रणेता परम पूज्य खरतरगच्छाचार्य श्री जिनपीयूषसागर सूरीश्वरजी म.सा. ने छह मुमुक्षुओं को संयम मार्ग पर अग्रसर होने हेतु दीक्षा मुहूर्त प्रदान किया।

छह मुमुक्षुओं को प्राप्त हुआ संयम का पथ

पहले तीन मुमुक्षु बहनों को आचार्य श्री ने दीक्षा मुहूर्त प्रदान किया—

 1. मुमुक्षु सविता बोहरा – सुपुत्री श्री घेवरचंद जी बोहरा, कोनरा (हाल सांचौर)

 2. मुमुक्षु डॉ. हर्षा काकरिया – सुपुत्री श्री दिनेश जी काकरिया, भोपालगढ़ (हाल धूलिया)

 3. मुमुक्षु मुस्कान सेठिया – सुपुत्री श्री रमेश जी सेठिया, चौहटन (हाल मालेगांव)

मुमुक्षु डॉ. हर्षा काकरिया, जो पेशे से डॉक्टर (M.B.B.S.) हैं, ने सूरत में आचार्य श्री से दीक्षा मुहूर्त प्राप्त किया।

उन्होंने अपनी पूर्व सांसारिक छोटी बहन — साध्वी श्री शाश्वतनिधि जी म.सा. — के दर्शन-वंदन कर भावपूर्ण क्षण का अनुभव किया।

इस प्रसंग में जब डॉ. हर्षा ने दीक्षा मुहूर्त ग्रहण किया, उसी क्षण उनके पिता श्री दिनेश जी काकरिया (चार्टर्ड अकाउंटेंट), माता श्रीमती अनामिका जी काकरिया और भाई विधान काकरिया ने भी एक साथ संयम मार्ग पर चलने की प्रेरणा ली। तब पूरे सभा मंडप में परिवार रिस्तेदार सभी के आंखों में आंसू की ये इजाजत कैसे दे भाई अपने विरह की बात को तय नहीं कर पा रहा था । सभी भाव विभोर हो गए ।

आचार्य श्री ने उन्हें भी दीक्षा मुहूर्त प्रदान किया।

इस प्रकार सूरत नगरी में एक ही परिवार के चार सदस्यों सहित कुल छह मुमुक्षुओं को संयम मार्ग पर अग्रसर होने का मुहूर्त प्राप्त हुआ।

दीक्षा तिथि एवं स्थल की घोषणा

आचार्य श्री ने घोषणा की —

“सभी छह मुमुक्षुओं की दीक्षा माघ वदी तेरस, शुक्रवार, दिनांक 16 जनवरी 2026 को श्री शत्रुंजय महातीर्थ, पालीताणा में संपन्न होगी।”

सभी मुमुक्षु अष्टापद जैन तीर्थ, आलोट से निकलने वाले 41 दिवसीय “छह रि पलीत संघ” के साथ पालीताणा पहुँचेंगे, जहाँ आचार्य श्री की निश्रा में यह पावन दीक्षा संपन्न होगी।

इस अवसर पर साध्वी श्री प्रज्ञा श्रीजी सहित अनेक साधु-साध्वी मंडलों की पावन उपस्थिति रहेगी।

सूरत का ऐतिहासिक आध्यात्मिक प्रसंग

सूरत चातुर्मास पूर्णाहुति के उपरांत, कार्तिक पूर्णिमा की प्रभात बेला में आचार्य श्री ने श्री शत्रुंजय पाट की दर्शन-वंदना विधि संपन्न करवाई।

तीनों मुमुक्षु बहनें मॉडल टाउन से भव्य वर्घोड़े में —

ढोल-नगाड़ों की गूंज, बैंड-बाजों के स्वर और पंचरंगी साफों में सजे श्रावकों की भीड़ के साथ —

कुशल दर्शन दादावाड़ी प्रवचन मंडप पहुँचीं।

प्रवचन मंडप में मुमुक्षुओं ने अपने वैराग्य भावों का हृदयस्पर्शी प्रकटीकरण किया।

साध्वी श्री प्रमोदिता श्रीजी म.सा. एवं मुनिश्री साश्वतरत्नसागर जी म.सा. ने “वैराग्य के सात अजूबे” विषय पर दिव्य प्रेरक प्रवचन दिया।

जब आचार्य श्री दीक्षा मुहूर्त पत्र का वाचन कर रहे थे, उसी क्षण कांकरिया परिवार ने एक साथ संयम मार्ग की भावना व्यक्त की —

वातावरण भावनाओं और अश्रुओं से ओतप्रोत हो उठा।

और जब छह दीक्षाओं की घोषणा हुई, तो सभागार में आनंद, श्रद्धा और उल्लास की तरंग दौड़ गई।

 सूरत संघ की आचार्य पदवी हेतु विनती

इस पावन अवसर पर सूरत-बाड़मेर जैन श्री संघ के वरिष्ठ सदस्य श्री चम्पालाल बोथरा (जैन) ने आचार्य श्री से विनम्र निवेदन किया —

“गुरुदेव, आपने सूरत चातुर्मास में शासन के उत्थान हेतु जो कार्य किए हैं, वे सूरत संघ के लिए गौरव का विषय हैं। अब संघ की ओर से निवेदन है कि

प. पू. सम्यक् रत्नसागर जी म.सा. को आचार्य पदवी का मुहूर्त प्रदान कर शासन और संघ के कार्य को और प्रभावशाली बनाया जाए।”

आचार्य श्री ने इस पर स्नेहपूर्ण आश्वासन दिया —

“शीघ्र ही इस विषय में शुभ घोषणा की जाएगी।”

समापन एवं मंगल विहार

दीक्षार्थी परिवारों ने आचार्य श्री को अक्षत वंदना अर्पित कर मंगलाशिष ग्रहण किया।

संपूर्ण संघ एवं श्रद्धालुजनों ने सभी छह मुमुक्षुओं का बहुमान कर उन्हें हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ दीं।

इसके पश्चात सभी चातुर्विध संघ के साथ दादावाड़ी मंदिर में जाकर दादा गुरुदेव की पूजा-अर्चना की गई।

आचार्य भगवंत एवं साध्वी भगवंत की पावन उपस्थिति में सैकड़ों श्रावकों के मध्य मांगलिक दिया गया, तत्पश्चात धवल सेना सहित अमरोली की ओर विहार हुआ। आचार्य श्री का ये चातुर्मास और जिन शासन के कार्यो से बाड़मेर जैन श्री संघ का डंका बजा दिया शानदार चातुर्मास की यादे सबको विहार के समय आँखे भीगा गई ।

आगामी दिनों में गुरुदेव पालीताणा की ओर विहार करेंगे।

 चम्पालाल बोथरा (जैन) ने बताया की “आज सूरत की धरती पर आचार्य भगवंत श्री जिनपीयूषसागर सूरीश्वरजी म.सा. की निश्रा में दीक्षा मुहूर्त का यह अलौकिक प्रसंग इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित होगा। 

चिकित्सा और वित्त क्षेत्र से जुड़े युवा जब संयम मार्ग चुनते हैं, तो यह पूरे समाज के लिए आध्यात्मिक प्रेरणा बनता है।

सूरत संघ को इस दुर्लभ अवसर की प्राप्ति पर गर्व और कृतज्ञता का अनुभव है।”

जैनं जयति शासनं

खरतरगच्छ जयवंत हो