कहटा खंड संख्या 2 में यदि नियम विरुद्ध खनन पाया गया तो होगी सख्त कार्रवाई । उप जिलाधिकारी
टीम का गठन कर जल्द कहटा खंड 2 में जांच कराई जाएगी । जिला खनिज अधिकारी

उरई । राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने नदियों में खनन के कुछ नियम बनाए जिससे नदियों का अस्तित्व तो बचा ही रहे साथ ही उसमें रहने वाले जीव जंतु के साथ साथ भूगर्व के जल स्तर को भी सामान्य रख सके यह नियम समूचे देश में लागू है । इसी क्रम में बुंदेलखंड की नदियों के लिए भी यही नियम है जिनको अक्षरशः पालन कराने की जिम्मेदारी खनिज विभाग एवं प्रशासन की होती है ।
जालौन की बात करे तो यहां कालपी तहसील के कहटा खंड संख्या 2 जो लक्ष्मी खाद्य भंडार प्रोपराइटर भगवानदास कानपुर के नाम स्वीकृत मार्च 2025 में स्वीकृत हुआ जिसके संचालन के पूर्व उक्त ठेकेदार को एनजीटी और शासन के नियमों को भलीभांति समझा दिया गया था इस खंड की 2030 तक के लिए स्वीकृति हुई है । ठेकेदार और खनिज विभाग के बीच जो करार हुआ है उसमें भी सारी शर्तों को बाकायदा लिखा गया है और यदि नियमों को थोड़ा जाएगा तो पट्टेधारक के विरुद्ध कार्रवाई भी अनुमन्य होगी । राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने प्रमुखता से कुछ नियमों पर जोर दिया है जिनसे नदियों का अस्तित्व बचा रहे इसमें पहला नियम है कि नदी के तल से 3 मीटर की गहराई से अधिक खनन नहीं किया जाएगा दूसरा पोकलैंड जैसी हैवी मशीनों का प्रयोग खनन में नहीं होगा और नदी के तल पर किसी प्रकार का निर्माण नहीं होगा अंतिम नदी की धारा से खनन वर्जित होगा यहां इन चारों नियमों को ताक पर रखकर खनन किया जा रहा है क्योंकि कहटा खंड संख्या 2 में पट्टेधारक के द्वारा खनन नहीं हो रहा है इस खंड को पट्टेधारक किराए पर दिया है इसलिए यहां किरायेदार खनन कर रहे है अब किराएदार को किराया देना और कुछ लाभ अपने लिए कमाना इसलिए अवैध ठेकेदारों द्वारा माफियागिरी हावी है जिसके चलते राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के जो भी गाइड लाइन है उसके खिलाफ सारा खनन होगा जिसमें नदी के तल से 25 से 30 फुट की गहराई से खनन हो रहा है एक स्थान से दो पोकलैंड लगाकर नदी की गहराई से मौरंग निकालकर ट्रकों में भरी का रही है । वहीं नदी की बीच धारा से पोकलैंड मशीन खनन करती साफ देखी जा सकती इसके अलावा हैवीवेट मशीनों से नदी की जीवन लीला समाप्त की जा रही यही नदी के बीचों बीच एक कच्चा पुल भी देखा जा सकता है जिससे लोड ट्रक पास कराए जाते है । कहटा खंड संख्या 2 में गैर जनपद के माफिया सक्रिय है जो सारे नियम विरुद्ध कार्य को अंजाम देने में माहिर है । इसके अलावा नदी के किनारे की अधिकांश भूमि वन क्षेत्र की होती है इस भूमि से खनन की अनुमति प्रदेश सरकार से नहीं मिलती केंद्र सरकार इसकी परमिशन देता है इसलिए इसकी अनुमति बहुत विषम परिस्थितियों में मिलती है लेकिन जब माफिया नजर यहां पढ़ती है तो खनिज विभाग की मिलीभगत से यह कार्य भी बहुत आसानी से हो जाता है । माफियाओं ने नदी के तल को बड़े बड़े गड्ढों को तब्दील कर दिया है इनको रोकने बाली मशीन जो विभाग है वह फेल दिखाई दे रहा है । जब जिला खनिज अधिकारी जी के दत्ता से इस संबंध में बात की तो उनका कहना था कि में क्या करूं पूरे प्रदेश को जो देखना पढ़ रहा है। अब आपके द्वारा जो समाचार प्रकाशित हुआ है तो संज्ञान में आया टीम गठित करके एक या दो दिन में उक्त खंड की जांच कराते है वहीं कालपी के उपजिलाधिकारी सुशील कुमार सिंह से इस संबंध में बात हुई तो उन्होंने कहा कि संज्ञान में आया है में स्वयं जाकर जांच करूंगा यदि नियम विरुद्ध कुछ भी पाया गया तो सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी ।