गर्भस्थ शिशु को बता दिया मृत, प्राइवेट में जन्मा बच्चा,जिला अस्पताल में लापरवाही की हद!

सतना ज़िला अस्पताल में डॉक्टर ने एक गर्भवती महिला के बच्चे को मृत घोषित कर दिया. लेकिन जब परिजन उसे निजी अस्पताल ले गए, तो उसने वहां एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया. यह घटना एक बड़ी लापरवाही को उजागर करती है.

गर्भस्थ शिशु को बता दिया मृत, प्राइवेट में जन्मा बच्चा,जिला अस्पताल में लापरवाही की हद!

मैहर में सरकारी अस्पताल के डॉक्टर की लापरवाही से छिन जाती परिवार की खुशियां. जिस अजन्मे बच्चे को कोख में मरा बताया उसका प्रायवेट अस्पताल में जन्म हुआ.

सतना: इलाज के लिए सरकारी अस्पताल पहुंचने वालों की सबसे बड़ी उम्मीद होती है कि कम से कम पैसों में इलाज हो जाएगा. खासतौर पर ग्रामीणों के लिए तो सरकारी अस्पताल ही उनकी लाइफ लाइन हैं लेकिन यहां दो-दो जिलों के सरकारी अस्पताल में एक गर्भवती महिला के प्रसव को लेकर डॉक्टरों ने जो जवाब दिया उससे परिजनों की पैरों तले जमीन खिसक गई.

कल्पना कीजिए कि उस गर्भवती महिला पर क्या गुजरी होगी जब उसे बता दिया कि आपका बच्चा पेट में मरा हुआ है. आप भी जब इस पूरे मामले को समझेंगे तो सरकारी अस्पतालों के इलाज पर कई सवाल उठाते नजर आएंगे.

सरकारी डॉक्टरों ने बच्चे को मार डाला!

एक नजर में जानिए कि क्या है पूरा मामला. दरअसल एक गर्भवती महिला प्रसव पीड़ा होने पर मैहर के सरकारी अस्पताल में पहुंचती है जहां बताया जाता है कि बच्चे की धड़कन बंद हो चुकी है और उसे सतना के जिला अस्पताल रेफर कर दिया जाता है. यहां इस गर्भवती महिला की सोनाग्राफी करवाई जाती है और उसके बाद बता दिया जाता है कि बच्चा मर चुका है.

पूरा परिवार जिस बच्चे की किलकारी सुनने के लिए बेताब था वह यह सुनकर हक्का-बक्का रह गया कारण नौ महीनों में ऐसा कुछ नहीं हुआ था. परिवार ने हार नहीं मानी और गर्भवती को निजी अस्पताल ले गए और यहां सोनोग्राफी और इलाज के दौरान पता चला कि बच्चा स्वस्थ है. यह सुनते ही पूरा परिवार खुशी से उछल पड़ा.

 पूरा मामला

मैहर जिले के चकरा गांव की गर्भवती महिला दुर्गा द्विवेदी उम्र 24 वर्ष को सोमवार और मंगलवार की देर रात्रि करीब 2 बजे प्रसव पीड़ा होने पर अमरपाटन सिविल ले जाया जाता है. जहां डॉक्टरों ने प्रसूता की जांच की और बोले कि बच्चे की धड़कन नहीं मिल रही है और उसे जिला चिकित्सालय सतना रेफर कर दिया. उसके बाद प्रसूता के परिजन उसे डिलीवरी ले लिए बुधवार की सुबह करीब 6 बजे सतना जिला अस्पताल लेकर पहुंचे.

डॉक्टरों के जवाब से सदमे में आया परिवार

सतना जिला अस्पताल में प्रसूता की लेवर रूम में गायनोकॉलोजिस्ट द्वारा जांच की गई. सोनाग्राफी करवाई गई और करीब 2 घंटे बाद प्रसूता के परिजनों को जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने यह जवाब दे दिया कि प्रसूता के पेट में बच्चे की मौत हो गई है. इस बच्चे को दवाई के द्वारा करीब 5 से 6 घंटे में बाहर निकाल देंगे. यह सुनते ही प्रसूता दुर्गा द्विवेदी के पति राहुल द्विवेदी सहित पूरा परिवार सदमे में आ गया. यहां पहुंचे परिजनों की पैरों तले जमीन खिसक गई.

निजी अस्पताल में गूंजी बच्चे की किलकारी

दुर्गा के परिजन सरकारी डॉक्टरों का जवाब सुनकर कुछ देर के लिए टूट गए. प्रसूता ने भी हिम्मत नहीं हारी और परिजन उसे लेकर निजी अस्पताल पहुंचे. यहां डॉक्टरों ने महिला की फिर से सोनोग्राफी जांच कराई. जिसमें यह सामने आया कि प्रसूता के पेट में पल रहा मासूम जीवित और पूरी तरह स्वस्थ है.

3 किलो 800 ग्राम वजन के साथ स्वस्थ बच्चे का जन्म

सोनाग्राफी रिपोर्ट आते ही प्रसूता समते परिजनों के चेहरे खिल उठे. उनके साथ पहुंची गांव की आशा कार्यकर्ता भी खुशी से झूम उठी. इसके बाद प्रसूता के परिजनों ने तत्काल उसकी डिलीवरी कराने के लिए निजी अस्पताल के डॉक्टर से कहा और फिर क्या था, कुछ देर के ऑपरेशन के बाद महिला ने एक नवजात शिशु को जन्म दिया. नवजात शिशु एक दम स्वस्थ था, जिसका वजन करीब 3 किलो 800 ग्राम है.

सरकारी डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप

निजी अस्पताल में बच्चे के जन्म से भले ही परिजन खुश हैं लेकिन सरकारी डॉक्टरों के रवैये को लेकर बेहद नाराजगी जाहिर की है. आशा कार्यकर्ता शीला तिवारीका कहना है कि जिला अस्पताल में प्रसूता को उसके बच्चे की पेट में ही डेथ होना बता दिया, तब हम सब लोग डर गए थे. सरकारी डॉक्टरों की बात मान लेते तो वे दवाई देकर स्वस्थ बच्चे को मार डालते. ऐसे में इससे बड़ी लापरवाही कुछ नहीं हो सकती. ऐसे डॉक्टरों पर कार्रवाई होनी चाहिए. प्रसूता के परिजन अखिलेश द्विवेदी का कहना है कि डॉक्टरों ने गुमराह कर जिंदा बच्चे को मरा बताने का काम किया है. डॉक्टरों पर कार्रवाई करना चाहिए.