पिता द्वारा नाबालिग बेटी से दुष्कर्म – न्यायालय ने सुनाई आजीवन कारावास की सजा
. पीड़िता ने साहस के साथ दादा के सहयोग से दर्ज कराई रिपोर्ट

अजय राज केवट
प्रखर न्यूज़ व्यूज एक्सप्रेस
तीन दिनों तक लगातार किया गया दुष्कर्म, न्यायालय ने गंभीरता से लिया मामला
अभियोजन की प्रभावी पैरवी से आरोपी को दिलाई सजा
शाजापुर के विशेष न्यायालय (पॉक्सो एक्ट) ने एक बेहद संवेदनशील मामले में दोषी पाए गए आरोपी पिता को कठोर आजीवन कारावास और ₹1,02,000 के जुर्माने की सजा सुनाई है। न्यायालय ने यह सजा भारतीय दंड संहिता की धाराएं 376(3), 376(2)(एन), 376(2)(एफ) और पॉक्सो अधिनियम की धारा 4(2) के तहत दी है।
पीड़िता को हुई मानसिक, शारीरिक और सामाजिक क्षति के मद्देनज़र न्यायालय ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को पीड़िता को ₹1,00,000 की सहायता राशि पीड़िता प्रतिकर योजना के अंतर्गत प्रदान करने की भी अनुशंसा की है।
मामले का विवरण
पीड़िता, जो अपने दादा-दादी के साथ रहती थी, ने 16 अप्रैल 2024 को थाना सुन्दरसी में अपने ही पिता के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई। रिपोर्ट के अनुसार, आरोपी पिता लगातार तीन दिनों तक उसके साथ जबरन दुष्कर्म करता रहा, जबकि घर में अन्य कोई सदस्य मौजूद नहीं था।
पीड़िता ने साहस दिखाते हुए अपने दादा को आपबीती सुनाई, जिसके बाद उसे थाने लेकर जाया गया और आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। पुलिस द्वारा तत्काल विवेचना शुरू की गई और पर्याप्त साक्ष्य जुटाए गए। बाद में मामला न्यायालय में प्रस्तुत किया गया।
अभियोजन पक्ष की भूमिका
प्रकरण में उपनिदेशक अभियोजन प्रेमलता सोलंकी एवं अतिरिक्त जिला लोक अभियोजन अधिकारी रमेश सोलंकी द्वारा न्यायालय में प्रभावी पैरवी की गई। न्यायालय ने अभियोजन द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों और तर्कों को स्वीकार करते हुए आरोपी को दोषी माना और कठोरतम दंड से दंडित किया।
न्याय का संदेश
यह फैसला समाज में एक सख्त और स्पष्ट संदेश देता है कि मासूमों के साथ अपराध करने वाले किसी भी हाल में बख्शे नहीं जाएंगे। साथ ही यह मामला उन पीड़ितों के लिए भी एक उदाहरण है कि न्याय के लिए आवाज उठाना जरूरी है और कानून उनके साथ है।