आज़ दलित समाज को सुरक्षा कौन देगा?  "सत्ता की लालसा में समाज को बांटने पर आमादा है समाजवादी पार्टी?"----- उपेंद्र सिंह 

सपा ने दलित समाज के सांसद का राजनैतिक इस्तेमाल किया है, सांसद स्वयं तो अपनी सुरक्षा के लिए उच्च न्यायालय तक पहुँच गए लेकिन आज दलित समाज को सुरक्षा कौन देगा? ----- उपेंद्र सिंह 

आज़ दलित समाज को सुरक्षा कौन देगा?   "सत्ता की लालसा में समाज को बांटने पर आमादा है समाजवादी पार्टी?"----- उपेंद्र सिंह 

ब्यूरो सुनील त्रिपाठी

उपेंद्र सिंह का आरोप ---- "सपा अपने राजनीतिक स्वार्थ की पूर्ति के लिए किसी भी हद तक जा सकती है।

देशभर में दलित समाज के प्रति हो रहे अत्याचारों और समाज में बढ़ते तनाव को लेकर आम ग़रीब लोगों में गहरी चिंता

"क्या समाजवादी पार्टी दलित और क्षत्रिय समाज को आपस में लड़ाकर सत्ता में आने का षड्यंत्र रच रही है?

विशेष रूप से आंबेडकर जी की जयंती के अवसर पर देश के विभिन्न राज्यों में उनकी प्रतिमाओं के अपमान की घटनाएं अत्यंत निंदनीय और शर्मनाक रही हैं

मुरैना जिले में बाबा साहेब की जयंती के जुलूस के दौरान एक गरीब मासूम दलित युवक की हत्या और कई अन्य मासूम लोगों के घायल होने की खबर ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है।

उनका असली उद्देश्य दलितों के वोट हासिल करना है, न कि उनके सम्मान की रक्षा करना। इसलिए दलित समाज को ऐसे दोहरे चरित्र वाली पार्टियों से सतर्क रहने की आवश्यकता है।-

देशहित में, प्रधानमंत्री और ग्रहमंत्री तत्काल भड़काऊ, गुमराहु और भ्रमित करने वाले ब्यानवाजों पर कठोर कार्यवाही करनी चाहिए।

जनता की आवाज साफ है — ऐसी विभाजनकारी राजनीति को नकारें और न्याय के पक्ष में खड़े हों।------उपेंद्र सिंह

आगरा।देशभर में दलित समाज के प्रति हो रहे अत्याचारों और समाज में बढ़ते तनाव को लेकर आम ग़रीब लोगों में गहरी चिंता देखने को मिल रही है। इसी सिलसिले में अनेक आम ग़रीब लोगों ने और उपेंद्र सिंह ने तीखे सवाल खड़े करते हुए कहा है, "क्या समाजवादी पार्टी दलित और क्षत्रिय समाज को आपस में लड़ाकर सत्ता में आने का षड्यंत्र रच रही है?" सपा ने दलित समाज के सांसद का राजनैतिक इस्तेमाल किया है, सांसद स्वयं तो अपनी सुरक्षा के लिए उच्च न्यायालय तक पहुँच गए लेकिन आज दलित समाज को सुरक्षा कौन देगा?

उपेंद्र सिंह और आम ग़रीब जनता का आरोप है कि सपा अपने राजनीतिक स्वार्थ की पूर्ति के लिए किसी भी हद तक जा सकती है। हाल ही में महान योद्धा राणा सांगा जी के खिलाफ दिए गए विवादित बयान को इसी साजिश का हिस्सा बताया जा रहा है। इससे पहले भी पार्टी के एक वरिष्ठ नेता द्वारा एक विदेशी आक्रांता को 'महान' बताए जाने पर भारी विरोध हुआ था।

उपेंद्र सिंह ने और आम ग़रीब लोगों ने यह भी कहा कि आज की राजनीति में यह आम बात हो गई है कि दलित समाज को भावनात्मक रूप से भड़काकर राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश की जाती है। समाजवादी पार्टी भी इसी राह पर चल रही है और अपने कार्यक्रमों, बयानों और सार्वजनिक मंचों पर जानबूझकर विवाद खड़े कर रही है, जिससे समाज में तनाव और असंतोष फैल रहा है।

उपेंद्र सिंह ने बताया कि दलित समाज ने भी महान राणा सांगा जी पर दिए गए विवादित बयान की कड़ी निंदा की थी, परंतु कुछ असामाजिक तत्व अब भी अपने स्वार्थ के चलते समाज में नफरत फैलाने से बाज नहीं आ रहे। विशेष रूप से संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर की जयंती के अवसर पर देश के विभिन्न राज्यों में उनकी प्रतिमाओं के अपमान की घटनाएं अत्यंत निंदनीय और शर्मनाक रही हैं।

उन्होंने यह भी बताया कि मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में बाबा साहेब की जयंती के जुलूस के दौरान एक गरीब दलित युवक की हत्या और कई अन्य लोगों के घायल होने की खबर ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इन घटनाओं में शामिल असामाजिक तत्वों पर अभी तक सख्त कार्रवाई नहीं होने से राज्य सरकारों की मंशा पर भी सवाल उठने लगे हैं।

उपेंद्र सिंह ने और आम जनता ने साफ शब्दों में कहा कि समाजवादी पार्टी द्वारा बाबा साहेब आंबेडकर जी की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम केवल दिखावा हैं — उनका असली उद्देश्य दलितों के वोट हासिल करना है, न कि उनके सम्मान की रक्षा करना। इसलिए दलित समाज को ऐसे दोहरे चरित्र वाली पार्टियों से सतर्क रहने की आवश्यकता है।

उपेंद्र सिंह ने और आम ग़रीब लोगों ने यह भी कहा कि सपा जैसी पार्टियों के नेताओं को आत्मचिंतन करना चाहिए और समाज में नफरत फैलाने की बजाय अपने आचरण और नीतियों में सुधार लाना चाहिए। लेकिन वर्तमान में समाजवादी पार्टी अपने संकीर्ण स्वार्थ और सत्ता की भूख के चलते समाज विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा दे रही है, जिससे जनता में रोष बढ़ता जा रहा है। 

आखिर में उपेंद्र सिंह और आम ग़रीब लोगों ने कहा, "देशहित में, प्रधानमंत्री और ग्रहमंत्री तत्काल भड़काऊ, गुमराहु और भ्रमित करने वाले ब्यानवाजों पर कठोर कार्यवाही करनी चाहिए। जनता की आवाज साफ है — ऐसी विभाजनकारी राजनीति को नकारें और न्याय के पक्ष में खड़े हों।"