सैंड्रिंघम हाउस में मोदी की एंट्री: पहली बार किसी भारतीय नेता ने रखा कदम, किंग चार्ल्स से की मुलाकात
भारत ने ब्रिटेन के साथ एक मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसे आधिकारिक तौर पर व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौता (CETA) कहा गया है। यह अब तक का उसका 16वाँ व्यापार समझौता है। भारत का लक्ष्य द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को बढ़ावा देना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को ब्रिटेन की अपनी दो दिवसीय यात्रा शुरू की।

ब्रिटेन के राजा चार्ल्स तृतीय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगवानी 'सैंड्रिंघम पैलेस' में की. पहली बार किसी भारतीय नेता को ब्रिटिश सम्राट ने अपने इस पैलेस में आमंत्रित किया था. यह भारत के प्रति ब्रिटेन के सम्मान का सबूत
लंदन: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया ब्रिटेन यात्रा कई प्रतीकात्मक और रणनीतिक उपलब्धियों से भरी रही, लेकिन एक घटना ने विशेष ध्यान आकर्षित किया — उनका ‘सैंड्रिंघम पैलेस’ पहुंचना. यह पहली बार है जब कोई भारतीय प्रधानमंत्री इस अत्यंत निजी और ऐतिहासिक शाही निवास में औपचारिक रूप से आमंत्रित किया गया है. खुद राजा चार्ल्स तृतीय ने प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत किया, जो दोनों देशों के संबंधों की बदलती प्रकृति का स्पष्ट संकेत है.
सैंड्रिंघम हाउस: शाही परिवार का निजी परिसर
सैंड्रिंघम हाउस, इंग्लैंड के नॉरफोक काउंटी में स्थित एक विशाल शाही संपत्ति है, जिसे ब्रिटिश राजपरिवार के निजी अवकाश स्थल के रूप में जाना जाता है. 19वीं शताब्दी में प्रिंस अल्बर्ट (बाद में किंग एडवर्ड VII) के लिए खरीदे गए इस एस्टेट का क्षेत्रफल लगभग 8000 एकड़ है, जिसमें वन, जलाशय, कृषि-भूमि और एक ऐतिहासिक चर्च शामिल हैं.
यह वह स्थान है जहां ब्रिटेन के शाही परिवार वर्ष के सबसे निजी और पारिवारिक क्षण व्यतीत करता है — विशेषकर क्रिसमस और नववर्ष जैसे अवसरों पर. सामान्यतः यह स्थल राजनयिक बैठकों के लिए नहीं, बल्कि केवल पारिवारिक और घनिष्ठ मित्रों की मेजबानी के लिए आरक्षित रहता है.
राजनयिक दृष्टिकोण से इस यात्रा का महत्व
प्रधानमंत्री मोदी का सैंड्रिंघम में स्वागत केवल एक प्रोटोकॉल से अधिक है — यह एक राजनयिक संकेत है कि ब्रिटेन भारत को पारंपरिक संबंधों से आगे बढ़कर अब सांस्कृतिक और भावनात्मक निकटता के दायरे में देख रहा है. यह निमंत्रण इस बात को रेखांकित करता है कि भारत-ब्रिटेन संबंध केवल वाणिज्यिक और सामरिक नहीं, बल्कि ऐतिहासिक साझेदारी और आपसी सम्मान की नई ऊंचाइयों की ओर बढ़ रहे हैं.
ब्रिटिश राजशाही का यह इशारा बताता है कि भारत को अब न केवल राष्ट्रमंडल का एक प्रमुख सदस्य, बल्कि एक वैश्विक नेतृत्वकर्ता के रूप में स्वीकार किया जा रहा है.
राजा चार्ल्स द्वारा ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान को समर्थन
इस अवसर पर राजा चार्ल्स ने प्रधानमंत्री मोदी की ‘एक पेड़ मां के नाम’ पहल का समर्थन करते हुए सैंड्रिंघम एस्टेट में एक विशेष पेड़ लगाने की घोषणा की. यह कदम न केवल एक पर्यावरणीय सहयोग का प्रतीक है, बल्कि मातृत्व और प्रकृति के सम्मान में भारत की सांस्कृतिक अवधारणाओं को ब्रिटिश प्रतिष्ठान द्वारा स्वीकार करने का भी संकेत देता है.
यह भारत की वैश्विक पहलों — चाहे वो पर्यावरण संरक्षण, नारी सम्मान, या सांस्कृतिक कूटनीति हो — को अंतरराष्ट्रीय मान्यता देने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण पड़ाव है.
ऐतिहासिक संदर्भ और भारत से संबंध
अब तक भारत के कई प्रधानमंत्रियों ने बकिंघम पैलेस या विंडसर कैसल का दौरा किया है, जो ब्रिटिश राज्य की औपचारिक राजधानी और कूटनीतिक स्थलों में गिने जाते हैं. लेकिन सैंड्रिंघम, जो पूरी तरह से शाही परिवार की निजी संपत्ति है, आमंत्रण की प्रकृति को और अधिक व्यक्तिगत बनाता है.
यही वह स्थान है जहां किंग जॉर्ज VI का निधन हुआ था, और जहां महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय ने अपने जीवन के कई अहम पल बिताए. इस पृष्ठभूमि में, प्रधानमंत्री मोदी की यहां उपस्थिति एक ऐतिहासिक मोड़ है — जो यह दर्शाती है कि भारत अब ब्रिटेन के लिए केवल एक रणनीतिक साझेदार नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक रूप से घनिष्ठ सहयोगी भी बनता जा रहा है.