सनातन धर्म का गौरव बनाए रखें, कानून से ऊपर कोई नहीं : स्वामी बालकानंद गिरी महाराज संतों ने नेताओं को चेताया, तिलक-चोटी विवाद पर दी एकजुटता की सीख

नेताओं से आग्रह किया कि इस विषय को वोटों की राजनीति का औजार न बनाया जाए।यदि कोई दोषी है तो प्रशासन और न्यायालय हैं, आम जनता को कोई अधिकार नहीं कि वह बीच बाजार में किसी की चोटी काटे या तिलक मिटाए। यह धर्म नहीं, अधर्म है।

सनातन धर्म का गौरव बनाए रखें, कानून से ऊपर कोई नहीं : स्वामी बालकानंद गिरी महाराज  संतों ने नेताओं को चेताया, तिलक-चोटी विवाद पर दी एकजुटता की सीख

13 अखाड़ों के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी महाराज ने धर्म के प्रचार-प्रसार में लगे ऐतिहासिक पात्रों का उदाहरण देते हुए कहा, शबरी से कभी जाति नहीं पूछी गई।

भोपाल। देश में हाल ही में घटित कुछ घटनाओं के बाद सनातन धर्म की मूल आत्मा और उसके प्रतीकों को लेकर उपजे विवादों के बीच, देश के प्रमुख संतों और अखाड़ों के महामंडलेश्वरों ने एक सशक्त और सामूहिक स्वर में हिंदू समाज से संयम, विवेक और एकता की अपील की है। विशेषकर तिलक और चोटी को लेकर सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में उठ रही चर्चाओं पर उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि सनातन धर्म जाति, भेदभाव या प्रतिशोध का नाम नहीं, बल्कि समरसता, करुणा और आत्मबोध की संस्कृति है।

महामंडलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरी महाराज महाराज ने शुक्रवार को कहा, आज आवश्यकता है कि हम सनातन धर्म के गौरव को ऊँचा उठाएँ, न कि उसे अपने संकीर्ण स्वार्थों या आक्रोश से कलंकित करें। तिलक और चोटी हमारी सांस्कृतिक पहचान हैं, लेकिन यदि किसी व्यक्ति ने कोई अपराध किया है, तो उसका दंड कानून देगा। आमजन को कानून हाथ में लेने का अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि धर्म का प्रचार करने का समय है, प्रतिशोध की राजनीति करने का नहीं। उन्होंने धर्म की गरिमा बनाए रखने की अपील की और सभी हिंदुओं से संयम बरतने का आग्रह किया।

ऋषियों से जाति नहीं पूछी गई, राजनीति के लिए धर्म का अपमान न हो : महंत रविंद्र पुरी

13 अखाड़ों के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी महाराज ने धर्म के प्रचार-प्रसार में लगे ऐतिहासिक  पात्रों का उदाहरण देते हुए कहा, शबरी से कभी जाति नहीं पूछी गई। निषादराज जैसे गुरुओं से राम ने कभी उनका वंश या वर्ग नहीं पूछा।  ऋषि वाल्मीकि ने रामायण जैसा ग्रंथ रचा, पर समाज ने उन्हें ऋषि कहा, न कि किसी जाति विशेष से जोड़ा। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि कुछ लोग तिलक या चोटी के आधार पर अपमानजनक कृत्य कर रहे हैं, तो वह सनातन धर्म के सिद्धांतों के विपरीत है। उन्होंने नेताओं से आग्रह किया कि इस विषय को वोटों की राजनीति का औजार न बनाया जाए।यदि कोई दोषी है तो प्रशासन और न्यायालय हैं, आम जनता को कोई अधिकार नहीं कि वह बीच बाजार में किसी की चोटी काटे या तिलक मिटाए। यह धर्म नहीं, अधर्म है।

हिंदू समाज को जातियों में मत बांटो, हम सब सनातनी हैं : स्वामी वैराग्यानंद गिरी महाराज

पंचायती श्रीनिरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी वैराग्यानंद गिरी महाराज ने और भी स्पष्ट शब्दों में कहा कि कुछ नेता और राजनीतिक दल समाज को बांटने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने चेताया कि, हमें जातियों में बांटने की साजिश न की जाए। हम सब सनातनी हैं, यह हमारी मूल पहचान है। उन्होंने हिंदू समाज को एकजुट रहने का संदेश देते हुए कहा, एक रहेंगे तो नेक रहेंगे, नेक रहेंगे तो अनेक रहेंगे। उन्होंने जोर देकर कहा कि ऋषियों की परंपरा को जातिवाद से अपमानित करना सनातन धर्म की आत्मा के साथ विश्वासघात है। स्वामी वैराग्यनंद गिरी महाराज ने सामाजिक समरसता और आध्यात्मिक जागरूकता की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि सनातन का मतलब समावेश है, संकीर्णता नहीं। सनातन धर्म जातियों से परे है, यह आत्मा की शुद्धि और लोककल्याण की परंपरा है।