मूंग खरीदी को लेकर कमलनाथ ने उठाए सवाल,सरकार का रवैया टालमटोल करने वाला, मूंग खरीदी को लेकर कमलनाथ
पूर्व सीएम ने कहा है कि "इस बार मध्य प्रदेश सरकार ने अब तक मूंग दाल ख़रीदी का प्रस्ताव ही केंद्र सरकार को नहीं भेजा है. सरकार ने आधिकारिक तौर पर यह भी नहीं बताया है कि मूंग दाल की ख़रीद क्यों नहीं की जा रही है?"

मध्यप्रदेश में मूंग खरीदी को लेकर जमकर बवाल मच रहा है। मूंग की सरकारी खरीदी नहीं होने और बाजार में इसके दाम बेहद कम होने से किसानों को जबर्दस्त घाटा हो रहा है।
भोपाल : इन दिनों में मध्य प्रदेश में मूंग खरीदी का मुद्दा जमकर चर्चा में है. किसान लगातार मूंग की खरीदी को लेकर सरकार से अपील कर रहे हैं. वहीं विपक्ष भी इसको लेकर सरकार पर निशाना साध रहा है. मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ ने इस बारे में लिखा है "मध्य प्रदेश सरकार मूंग के किसानों की माँग की तरफ बिलकुल ध्यान नहीं दे रही है. किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मूंग ख़रीदी की माँग कर रहे हैं जो सर्वथा वैध और न्यायोचित है. सरकार हर साल मूंग की ख़रीद करती है और केंद्र तथा राज्य सरकार की तरफ़ से अपना-अपना कोटा भी निर्धारित किया जाता है, लेकिन मूंग दाल की ख़रीद करना दूर तो सरकार इस संबंध में एक भी शब्द नहीं बोल रही है. किसान अलग-अलग तथा शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर अपनी माँग दोहरा रहे हैं. पहले किसानों को मूंग की दाल का उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित करना और उसके बाद दाल ख़रीदने से मुकर जाना, सरकार का किसानों के साथ धोखा है. मैंने पहले भी माँग की है और फिर से दोहराता हूँ कि सरकार तत्काल मूंग दाल की ख़रीद प्रक्रिया शुरू करे और किसानों को सरकार द्वारा निर्मित संकट से मुक्त कराए." वहीं सरकार ने इसके समाधान की बात कही है.
सीएम मोहन ने कहा केंद्रीय मंत्री से करेंगे बात
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने मूंग खरीदी को लेकर चले रहे हंगामे के बीच कहा है कि "राज्य सरकार केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और किसानों से चर्चा कर संवेदनशीलता के साथ मूंग खरीदी के मामले का समाधान करेगी"
कमलनाथ ने फिर उठाए सवाल
वहीं एक बार फिर कांग्रेस नेता कमलनाथ ने लिखा है कि "मध्य प्रदेश में मूंग दाल की ख़रीदी को लेकर प्रदेश सरकार का रवैया टालमटोल करने वाला है. हर साल राज्य सरकार केंद्र सरकार को मूंग दाल ख़रीदी का प्रस्ताव भेजती है और फिर उसके बाद केंद्र और राज्य का कोटा तय होकर न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ख़रीदी की जाती है. यह अत्यंत दुर्भाग्य की बात है कि इस बार मध्य प्रदेश सरकार ने अब तक मूंग दाल ख़रीदी का प्रस्ताव ही केंद्र सरकार को नहीं भेजा है. सरकार ने आधिकारिक तौर पर यह भी नहीं बताया है कि मूंग दाल की ख़रीद क्यों नहीं की जा रही है? प्रदेश के किसान मूंग दाल बेचने के लिए परेशान हो रहे हैं और सरकार की इस उपेक्षा के कारण उन्हें मजबूरन बाज़ार में बहुत कम दाम पर दाल बेचने को मजबूर होना पड़ रहा है. केंद्र और राज्य सरकार के बीच संवादहीनता कि यह स्थिति प्रदेश के लाखों मूंग उत्पादक किसानों के लिए ख़तरनाक बनती जा रही है. मैंने पूर्व में भी अनुरोध किया था और फिर आग्रह कर रहा हूँ कि अपने ही राज्य के किसानों के प्रति इतना निर्दयी, उपेक्षापूर्ण और क्रूर व्यवहार अत्यंत निंदनीय है. सरकार को तुरंत टालमटोल छोड़कर मूंग दाल ख़रीद सुनिश्चित करनी चाहिए."
वहीं जीतू पटवारी ने कहा, "मेरा सरकार और कृषि मंत्री से आग्रह है कि बिना राजनीतिक द्वेष के किसानों की मांगों को पूरा करें, क्योंकि किसान ईश्वर का स्वरूप होता है और वह अन्न उपजाता है, जिससे ऊर्जा मिलती है और लोगों को जीवन मिलता है. उस जीवन देने वाले किसान को कह रहे हैं कि इसमें पेस्टिसाइड है, यह सरकार का निकम्मापन है. सरकार पेस्टिसाइड पर टैक्स लेती है और अगर यह प्रदेश में बिक रहा है तो उसका अधिकार भी तो सरकार ने दिया है."