प्रधानमंत्री को रेडियो पर 'मन की बात' की जगह 'बदले की बात' ऑन कैमरा करना चाहिए?

प्रधानमंत्री को रेडियो पर 'मन की बात' की जगह 'बदले की बात' ऑन कैमरा करना चाहिए?

 प्रखर न्यूज़ व्यूज एक्सप्रेस भोपाल मध्य प्रदेश

 विदिशा संवादाता इंदर सिंह केवट

भोपाल पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद, विशेष रूप से 22 अप्रैल 2025 के पहलगाम हमले (26-28 पर्यटकों की मौत) ने भारत में जनता के आक्रोश को चरम पर पहुँचा दिया है। ऐसे में, कई लोगों का मानना है कि प्रधानमंत्री को रेडियो पर प्रेरणात्मक 'मन की बात' की बजाय ऑन कैमरा 'बदले की बात' करनी चाहिए, ताकि आतंकवाद के खिलाफ ठोस और निर्णायक रुख स्पष्ट हो।

बदले की बात' की आवश्यकता : पहलगाम हमले ने पाकिस्तान की संलिप्तता (लश्कर-ए-तैयबा और ISI) को फिर उजागर किया। जनता सर्जिकल स्ट्राइक (2016, 2019) जैसे कठोर जवाब की अपेक्षा रखती है। ऑन कैमरा संबोधन से प्रधानमंत्री न केवल देश को एकजुट कर सकते हैं, बल्कि पाकिस्तान और वैश्विक समुदाय को आतंकवाद के खिलाफ भारत की 'जीरो टॉलरेंस' नीति का कड़ा एवं स्पष्ट संदेश दे सकते हैं। यह जनता के गुस्से एवं राष्ट्रीय सुरक्षा भावना को संबोधित करेगा ! सरकार की जवाबी कार्रवाई की प्रतिबद्धता को दृश्यमान एवं राष्ट्रभक्ति की भावना को स्पष्ट बनाएगा।

वर्तमान कदम और सीमाएँ सरकार ने सिंधु जल समझौता रद्द करने (23 अप्रैल 2025), अटारी-वाघा बॉर्डर बंद करने, और PoK में संभावित सैन्य कार्रवाई जैसे कदम उठाए। हालाँकि, जल रोकने की तकनीकी सीमाएँ (नए बांधों में 6-10 साल) और अंतरराष्ट्रीय दबाव (विश्व बैंक, चीन) तत्काल प्रभाव को सीमित करते हैं। इन कदमों को जनता तक प्रभावी ढंग से संप्रेषित करने के लिए ऑन कैमरा संबोधन जरूरी है, सार्वजनिक पत्रकार वार्ता जो कि राष्ट्र की जनता को संबोधित करें एक विश्वसनीय संदेश का संचार करें रेडियो से ज्यादा प्रभावशाली एवं विश्वसनीय होगा।

'मन की बात' की प्रासंगिकता: 'मन की बात' सामाजिक और प्रेरणात्मक मुद्दों के लिए उपयुक्त है, लेकिन आतंकवाद जैसे गंभीर संकट में यह अपर्याप्त लगता है। राष्ट्र देश का आम नागरिक भारतीय जनमानस जनता ठोस कार्रवाई (जैसे, PoK में स्ट्राइक, आतंकी फंडिंग पर रोक) की योजना और समयसीमा सुनना चाहती है।

 ऑन कैमरा 'बदले की बात' से सरकार की रणनीति—सैन्य (42 आतंकी शिविरों पर हमले), आर्थिक (जल नियंत्रण), और कूटनीतिक (पाकिस्तान को अलग-थलग करना)—स्पष्ट होगी।

चुनौतियाँ: ऑन कैमरा कड़ा बयान सैन्य तनाव बढ़ा सकता है, क्योंकि पाकिस्तान जल नियंत्रण को "युद्ध का कार्य" मानता है। साथ ही, वैश्विक दबाव और गोपनीय सैन्य रणनीतियों को उजागर करने का जोखिम है। फिर भी, संतुलित और दृढ़ संबोधन इन जोखिमों को कम कर सकता है, जो कि वर्तमान परिस्थितियों में राष्ट्र की सुरक्षा एवं जनता के आत्मविश्वास को बनाए रखना के लिए अति आवश्यक कदम प्रतीत होता है।

 प्रधानमंत्री को 'मन की बात' की जगह ऑन कैमरा 'बदले की बात' करनी चाहिए, ताकि आतंकवाद के खिलाफ ठोस कदमों—सैन्य कार्रवाई, जल नियंत्रण, और कूटनीतिक दबाव—की स्पष्टता और जनता का विश्वास जीता जाए। यह न केवल पाकिस्तान को कड़ा संदेश देगा, बल्कि देश को एकजुट कर वैश्विक मंच पर भारत के रुख को मजबूत करेगा।