राष्ट्रीय जल पुरस्कार 2025: बाड़मेर बना जल प्रबंधन का राष्ट्रीय रोल मॉडल सीमांत और रेगिस्तानी जिले को वर्षा जल संचय में उत्कृष्टता के लिए प्रथम स्थान, राष्ट्रपति ने ₹2 करोड़ के पुरस्कार से नवाजा :  चम्पालाल बोथरा सूरत

राष्ट्रीय जल पुरस्कार 2025 में राजस्थान का सीमांत जिला बाड़मेर देशभर में जल प्रबंधन का राष्ट्रीय रोल मॉडल बनकर उभरा। वर्षा जल संचयन, टांका निर्माण और सामुदायिक जल प्रबंधन में उत्कृष्ट कार्यों के लिए जिले को प्रथम स्थान मिला और ₹2 करोड़ का राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया गया। नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने यह सम्मान जिला कलेक्टर सुश्री टीना डाबी को प्रदान किया

राष्ट्रीय जल पुरस्कार 2025: बाड़मेर बना जल प्रबंधन का राष्ट्रीय रोल मॉडल सीमांत और रेगिस्तानी जिले को वर्षा जल संचय में उत्कृष्टता के लिए प्रथम स्थान, राष्ट्रपति ने ₹2 करोड़ के पुरस्कार से नवाजा :  चम्पालाल बोथरा सूरत

बाड़मेर को वर्षा जल संचयन और सामुदायिक भागीदारी में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए मिला राष्ट्रीय प्रथम स्थान, राष्ट्रपति ने 2 करोड़ रुपये का पुरस्कार प्रदान किया

राजस्थान के सीमांत और रेगिस्तानी जिले बाड़मेर ने राष्ट्रीय स्तर पर जल प्रबंधन में अपनी असाधारण सफलता का परचम लहराया है। जिले को 'राष्ट्रीय जल पुरस्कार 2025' के तहत वर्षा जल संचयन और सामुदायिक भागीदारी के उत्कृष्ट कार्यों के लिए प्रथम श्रेणी का सम्मान प्रदान किया गया है। इस उपलब्धि के लिए बाड़मेर को ₹2 करोड़ का राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला है।
रविवार, 18 नवंबर को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित एक भव्य समारोह में राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने यह प्रतिष्ठित पुरस्कार प्रदान किया। इस अवसर पर भारत सरकार के जल शक्ति मंत्री श्री सी. आर. पाटिल भी उपस्थित रहे। जिले की ओर से यह सम्मान जिला कलेक्टर सुश्री टीना डाबी ने ग्रहण किया।


सबसे कठिन परिस्थितियों में मिला सबसे बड़ा सम्मान
बाड़मेर एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ पीने के पानी की भारी किल्लत, अत्यधिक खारा पानी, भूजल संकट और बारिश की कमी जैसी गंभीर चुनौतियाँ लगातार जनजीवन को प्रभावित करती हैं। इन कठिन परिस्थितियों के बावजूद, बाड़मेर ने जल संचय, टांका निर्माण, वर्षा जल संरक्षण और सामुदायिक जल प्रबंधन में देश भर को पीछे छोड़कर पहला स्थान हासिल किया है, जो इसे वास्तव में ऐतिहासिक और अनुकरणीय बनाता है।
बाड़मेर मॉडल: जनभागीदारी से जल सुरक्षा
'कैच द रेन' अभियान के तहत, पारंपरिक तकनीकों को आधुनिक योजनाओं के साथ जोड़कर बाड़मेर ने एक प्रभावी जल मॉडल प्रस्तुत किया है। बड़े पैमाने पर टांका निर्माण और सामुदायिक जल प्रबंधन के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में 3–4 महीने तक मीठे पानी की स्थायी उपलब्धता सुनिश्चित हुई है, जिससे हजारों परिवारों को गर्मियों में बड़ी राहत मिली है।
JSJB (जल शक्ति जीवन भर) अवॉर्ड के अंतर्गत मिला यह सम्मान इस बात का प्रमाण है कि स्थानीय समुदाय, प्रशासन और तकनीकी नवाचार के संयुक्त प्रयास से मरुस्थल में भी जल संकट को मात दी जा सकती है।
इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, सूरत निवासी, सामाजिक अग्रणी और बाड़मेर के प्रवासी प्रतिनिधि श्री चम्पालाल बोथरा ने इसे पूरे बाड़मेर की जनता, पंचायतों और जल संरक्षण में जुटी टीम की सामूहिक मेहनत का परिणाम बताया।
श्री बोथरा ने कहा, "यह गर्व का विषय है कि आज बाड़मेर राष्ट्रीय मंच पर जल प्रबंधन का अग्रणी जिला बनकर उभरा है। बाड़मेर का यह मॉडल उन सभी जिलों के लिए प्रेरणादायक है जो जल सुरक्षा और सतत विकास के मार्ग पर कार्य कर रहे हैं।"