मध्यप्रदेश में संविधान की नहीं, अराजकता की सरकार : पुलिस पर हमले सत्ता की नाकामी का प्रतीक — 

मध्यप्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता डॉ. संदीप सबलोक ने कहा कि प्रदेश में पुलिस पर बढ़ते हमले और भाजपा नेताओं के हस्तक्षेप ने पुलिस तंत्र की निष्पक्षता को खत्म कर दिया है। जनवरी 2024 से जून 2025 के बीच पुलिस पर 461 हमले हुए, 612 पुलिसकर्मी घायल और 5 की मौत हुई। हाल ही में पन्ना व कटनी में भीड़ ने पुलिस पर हमला कर हथियार छीने।

मध्यप्रदेश में संविधान की नहीं, अराजकता की सरकार : पुलिस पर हमले सत्ता की नाकामी का प्रतीक — 

मध्यप्रदेश में कानून-व्यवस्था चरमराई, पुलिस पर बढ़ते हमले सरकार की नाकामी का प्रतीक — डॉ. संदीप सबलोक

भोपाल, 24 अक्टूबर 2025 / मध्यप्रदेश में पुलिस पर बढ़ते हमले और भाजपा नेताओं के राजनीतिक हस्तक्षेप ने पुलिस तंत्र की निष्पक्षता और मर्यादा को तार-तार कर दिया है। पुलिस पर हो रहे हमलों पर मुख्यमंत्री और सरकार की चुप्पी स्पष्ट संकेत है कि सरकार और प्रशासन अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ चुके हैं। वर्तमान कानून-व्यवस्था की स्थिति बेहद चिंताजनक है। प्रदेश में अब संविधान नहीं, बल्कि अराजकता का बोलबाला है।

           यह बात मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता डॉ. संदीप सबलोक ने प्रदेश में पुलिस बल पर लगातार हो रहे हमलों पर कही है। उक्त शर्मनाक घटनाओं पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया में उन्होंने सरकार पर लगाते हुए कहा है कि राज्य में बढ़ते अपराधों और गिरती कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी केवल पुलिस पर नहीं, बल्कि भाजपा सरकार की राजनीतिक व्यवस्था पर है जो पुलिस को स्वतंत्र रूप से काम करने नहीं देती है। शासन और सत्ता की इच्छानुसार कार्रवाई करने की बाध्यता ने पुलिस के नैतिक आधार और निष्पक्षता को कुचल दिया है।

 “राज्य में अब संविधान की नहीं, बल्कि अराजकता की सरकार चल रही है। पुलिस बल, जो ‘दुष्टों को दंड, सज्जनों की सुरक्षा’ का प्रतीक था, आज राजनीति की जकड़ में अपनी निष्पक्षता और गरिमा दोनों खो चुका है।”

           उन्होंने राज्य में पुलिस के साथ हुई हिंसा व मारपीट की आपराधिक घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि जनवरी 2024 से जून 2025 के बीच प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में जिनमें भोपाल, इंदौर, उज्जैन और राजगढ़ जैसे बड़े जिले प्रमुख रूप से शामिल हैं, पुलिसकर्मियों पर 461 हमले हुए हैं, जिनमें 612 पुलिस कर्मी घायल हुए और 5 की अकाल मौत हो गई। मऊगंज (रीवा) में पुलिसकर्मी एएसआई रामचरण गौतम की ग्रामीणों द्वारा पीट‑पीटकर हत्या कर दी गई।। इन हमलों में पुलिसकर्मियों के साथ शारीरिक हिंसा के साथ-साथ उनकी संपत्ति और वाहन भी निशाना बने हैं।

 गत बुधवार को एक ही दिन में पन्ना और कटनी जिलों में हुई हिंसक घटनाओं में पुलिस टीमों पर भीड़ ने हमला कर राइफलें छीन लीं व थाने के अंदर घुसकर मारपीट की। इन घटनाओ में कई जवान गंभीर रूप से घायल हुए हैं। राजधानी भोपाल और इंदौर, जहाँ पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू है, वहीं अपराध दर में इजाफा दर्ज हुआ है।हत्या, महिला अत्याचार और लूट के मामलों में ये दोनों शहर शीर्ष पर हैं।

      डॉ. सबलोक ने उक्त शर्मनाक स्थिति पर तीखा आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि पुलिस पर हुए लगातार हमले केवल सुरक्षा बलों पर नहीं, बल्कि स्वयं सरकार पर सीधा तमाचा हैं। राजनीतिक संरक्षण और दबाव ने पूरे पुलिस तंत्र की गरिमा और विश्वसनीयता को नष्ट कर दिया है। अपराधी तत्वों में शासन और पुलिस का भय समाप्त हो चुका है और उनके हौसले इस कदर बढ़ गए हैं कि अब वे वर्दीधारी कानून‑रक्षकों को भी निशाना बना रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि अपराधियों में भय का अभाव और जनता में सुरक्षा की कमी यह सिद्ध करती है कि राज्य की प्रशासनिक रीढ़ टूट चुकी है।

मांग और चेतावनी

मध्यप्रदेश कांग्रेस की ओर से डॉ संदीप सबलोक ने सरकार से मांग की है कि पुलिस बल को राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्त किया जाए, पुलिसकर्मियों के सम्मान और मनोबल की पुनर्स्थापना की जाए, और जनता के विश्वास को फिर से बहाल करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। यदि सरकार ने अभी भी आत्म-अवलोकन नहीं किया, तो यह स्थिति जनता के व्यापक आक्रोश का रूप लेगी, क्योंकि अब जनता डर नहीं, जवाब चाहती है। उन्होंने कहा कि उनका यह बयान प्रदेश के भीतर बढ़ रही कानून‑व्यवस्था की गिरावट, पुलिस के मनोबल पर आए संकट और सत्ता की नाकामी के खिलाफ स्पष्ट और सशक्त राजनीतिक आह्वान है।