चुनाव आयोग को ना मिल जाएं असीम शक्तियां, 'एक राष्ट्र एक चुनाव' पर पूर्व CJI ने किया सावधान

पूर्व प्रधान न्यायाधीश जे एस खेहर और डी वाई चंद्रचूड़ ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विधेयक की समीक्षा कर रही संसदीय समिति के समक्ष पेश हुए। सूत्रों के अनुसार, दोनों न्यायविदों ने इस अवधारणा को संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन नहीं माना, लेकिन चुनाव आयोग की शक्ति पर सवाल उठाए। उन्होंने लोकतंत्र की संसदीय प्रणाली पर सुझाव भी दिए।

चुनाव आयोग को ना मिल जाएं असीम शक्तियां, 'एक राष्ट्र एक चुनाव' पर पूर्व CJI ने किया सावधान

एक देश एक चुनाव मसौदे की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति का गठन किया गया है। इस समिति की अब तक आठ बैठकें हो चुकी हैे। इसमें पूर्व न्यायाधीशों ने अपने सुझाव दिए हैं। शुक्रवार को पूर्व मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जेएस खेहर ने संसदीय समिति को सुझाव दिए। 

भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीशों (सीजेआई) ने एक देश एक चुनाव मसौदे को लेकर संसदीय समिति को सुझाव दिए हैं। पूर्व सीजेआई ने समिति को बताया है कि एक देश एक चुनाव से संविधान का उल्लंघन नहीं होगा। दोनों न्यायाधीशों ने प्रस्तावित कानून में चुनाव आयोग को दी गई 

शक्तियों पर सवाल उठाए हैं। 

भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर और डीवाई चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को एक देश एक चुनाव विधेयक की जांच कर रही संसदीय समिति से बात की। सूत्रों ने बताया कि संसदीय समिति की आठवीं बैठक में दोनों न्यायविदों ने कहा कि एक राष्ट्र एक चुनाव की अवधारणा संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन नहीं करती है। उन्होंने देश में लोकतंत्र की संसदीय प्रणाली की यात्रा पर प्रकाश डालते हुए कुछ सुझाव भी दिए हैं।

पूर्व CJI गोगोई भी जता चुके हैं चिंता

इससे पहले पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने भी इस बात पर चिंता जताई थी कि प्रस्तावित संशोधन कानून चुनाव आयोग को अत्यधिक अधिकार सौंपता है। उन्होंने समिति से कहा था कि इन अधिकारों पर पारदर्शी नियंत्रण जरूरी है।

क्या कहा पूर्व मुख्य न्यायाधीशों ने?

संसदीय समिति की आठवीं बैठक के दौरान दोनों पूर्व न्यायमूर्तियों ने अपने विचार रखे और संविधान विधेयक 2024 तथा केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक 2024 पर प्रस्तुति दी। एनडीटीवी सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को प्रस्तावित कानून के तहत बिना निगरानी और संतुलन के अत्यधिक शक्तियां दी जा रही हैं, जो लोकतंत्र के लिए खतरनाक हो सकता है। दोनों पूर्व CJI ने "चेक्स एंड बैलेंस" यानी नियंत्रण और संतुलन की प्रणाली की सिफारिश की है, जिससे चुनाव आयोग की शक्तियों पर निगरानी रखी जा सके।

सरकार का 5 साल का कार्यकाल 'गुड गवर्नेंस' के लिए जरूरी'

सूत्रों के मुताबिक, एक न्यायाधीश ने समिति के सामने कहा कि किसी भी निर्वाचित सरकार का पांच साल का कार्यकाल "गुड गवर्नेंस" के लिए आवश्यक है और इसे किसी भी स्थिति में छोटा नहीं किया जाना चाहिए।

पूर्व CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने पहले भी यह कहा था कि अगर सरकार का कार्यकाल एक साल या उससे कम रह जाए, तो आचार संहिता लागू हो जाती है और इससे सरकार कोई ठोस कार्य नहीं कर पाती।

संसदीय समिति के अध्यक्ष बीजेपी सांसद पीपी चौधरी ने कहा कि देश के अलग-अलग हिस्सों में अध्ययन के दौरान ज्यादातर लोग और नेता 'वन नेशन, वन इलेक्शन' के पक्ष में नजर आए। हालांकि कुछ राजनीतिक दलों ने चिंता जताई कि इससे राष्ट्रीय मुद्दों और राज्यीय मुद्दों का अंतर धुंधला हो सकता है।