स्वास्थ्य मंत्री को हटाएं मोहन यादव',जीतू पटवारी ने कफ सिरप मामले की CBI जांच की मांग की,ड्रग कंट्रोलर को क्लीन चिट क्यों?

कांग्रेस नेता जीतू पटवारी ने कफ सिरप मामले में राज्य सरकार और केंद्र सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि जब तक सरकार ने कफ सिरप पर बैन किया, तब तक कई बच्चों की मौत हो चुकी थी. कांग्रेस नेता ने सवाल किया कि जब नागपुर से रेड अलर्ट जारी हुआ तो केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा क्या कर रहे थे? उन्होंने नड्डा के पीएस के दोस्त पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं.

स्वास्थ्य मंत्री को हटाएं मोहन यादव',जीतू पटवारी ने कफ सिरप मामले की CBI जांच की मांग की,ड्रग कंट्रोलर को क्लीन चिट क्यों?

पटवारी ने सवाल उठाया कि कंपनी के मालिक को गिरफ्तार किया गया, लेकिन मुख्य दोषी ड्रग कंट्रोलर को क्यों छोड़ा गया। उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री से इस्तीफा देने और सीएम से अधिकारियों को बर्खास्त करने की मांग भी की।

Madhya Pradesh Cough Syrup Case: छिंदवाड़ा में कफ सिरप से मासूम बच्चों की मौत के मामले में डॉक्टर की गिरफ्तारी का जहां एक ओर विरोध हो रहा है। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस दोषियों पर कार्रवाई के लिए आवाज बुलंद किए हुए है। कोल्ड्रिफ कफ सिरप से मौत के मामले में अब तक कई लोगों पर कार्रवाई की गई है। दवा निर्माता कंपनी श्रीसन फार्मा के मालिक एस रंगनाथन को गिरफ्तार किया गया है। इसके बाद भी कांग्रेस मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने सरकार की कार्रवाई पर हमलावर बने हुए हैं। जीतू ने एस रंगनाथन के लिए मौत की सजा की मांग की है।  

प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने स्वास्थ्य मंत्री के साथ सोनू राणा का फोटो भी जारी किया। कहा- सोनू राणा स्वास्थ्य मंत्री का बेहद खास है और इनकी भूमिका की जांच होनी चाहिए। जीतू पटवारी ने आगे कहा कि हमारे स्वास्थ्य मंत्री से जापान का एक डेलिगेशन मिलने आया। ये डेलिगेशन को मिलवाने वाला कोई और नहीं सोनू राणा है। लेकिन किस विभाग का है और क्या कर्मचारी है कोई पता नहीं। क्या ये समाजसेवी है या स्वास्थ्य विभाग का है, क्या है सरकार का किसी भी प्रकार का हिस्सा है ये भी नहीं पता। उन्होंने आरोप लगाए कि जेपी नड्डा का मुख्य सचिव आदित्य सिंह और सोनू राणा के कॉल रिकॉर्ड चेक करने चाहिए तो सारा पता चल जाएगा।

जीतू ने आगे कहा कि सोनू राणा ये विभाग चलाता है और जितनी सप्लाई होती है, या अलग अलग तरह के टेंडर होते हैं उन सबमें जेपी नड्डा का विभाग और एमपी का स्वास्थ्य विभाग में दोनों के लिंक बने हुए हैं। हमारे स्वास्थ्य विभाग का पीएस यादव, सोनू राणा और आदित्य तीनों मिले हुए हैं। तीनों के फोन कॉल रिकॉर्ड की सीबीआई जांच होनी चाहिए।

जितेंद्र (जीतू) पटवारी ने सवाल करते हुए कहा, "तमिलनाडु से गिरफ्तार किए गए कंपनी के मालिक को मौत की सजा मिलनी चाहिए, लेकिन आप ड्रग कंट्रोलर को क्यों छोड़ रहे हैं, जो इस घटना का मुख्य दोषी है? स्वास्थ्य मंत्री उसे क्लीन चिट क्यों देते रहे? इसका मतलब है कि भ्रष्टाचार हुआ है। सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक इस एक महीने में कफ सिरप की 157 बोतलें बिक चुकी हैं। भाजपा हिंदू-मुस्लिम मुद्दे उठाकर और कांग्रेस के बारे में तरह-तरह की नकारात्मक बातें कहकर आपसे वोट लेती है। ड्रग कंट्रोलर को गिरफ्तार किया जाना चाहिए और उसके खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया जाना चाहिए। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री को जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा देना चाहिए। अगर वह इस्तीफा नहीं दे रहे हैं, तो सीएम को उन्हें बर्खास्त कर देना चाहिए"

सरकार को पहले से थी जानकारी – जीतू पटवारी

जीतू पटवारी ने कहा कि 19 सितंबर को भारत सरकार की मेट्रोपॉलिटन सर्विलांस यूनिट (MSU), नागपुर ने सरकार को जानकारी दी थी कि एक संदिग्ध बीमारी के तहत बच्चों की मौत हो रही है। इसके बाद केंद्र और मध्य प्रदेश सरकार को इस मामले की पूरी जानकारी मिल गई थी, लेकिन फिर भी सरकार ने इसे गंभीरता से नहीं लिया और बच्चों की मौतें होती रहीं। पटवारी ने कहा कि MSU की रिपोर्ट के अनुसार, नागपुर के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती छिंदवाड़ा के बच्चों की संदिग्ध एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) से मौत हो रही थी। उन्‍होंने कहा कि मेरे पास जो रिपोर्ट है, वह भारत सरकार का सरकारी दस्तावेज है, यह मेरा निजी आरोप नहीं है। उन्होंने बताया कि 3 सितंबर को पहले बच्चे की मौत हुई थी और 19 सितंबर तक 8 बच्चों की मौत हो चुकी थी, लेकिन किसी बच्चे का पोस्टमार्टम नहीं हुआ। उन्‍होंन आगे कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग ने 19 सितंबर को एमपी सरकार को सूचित कर दिया था, फिर भी सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया। पटवारी ने कहा कि प्रदेश में बच्चे मरते रहे, सब सोते रहे और सरकार दशहरा मनाती रही।