शादी, राशन कार्ड और वोट: ISI एजेंटों का भारत में घुसपैठ का खतरनाक तंत्र, "पाकिस्तान-बांग्लादेश की साजिश: शादी, फर्जी दस्तावेज और वोटर आईडी के जरिये भारत में जासूसी का जाल"
(विशेष संवाददाता) सुनील त्रिपाठी/रविंद्र आर्य |
पिछले कुछ वर्षों में भारत की आंतरिक सुरक्षा के समक्ष जो सबसे बड़ा अदृश्य खतरा उभरकर सामने आया है, वह है — पाकिस्तान समर्थित आईएसआई जासूसी एजेंटों, बांग्लादेशी घुसपैठियों और रोहिंग्या तत्वों का सुनियोजित तंत्र, जो न केवल जासूसी में संलिप्त हैं बल्कि भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को भी बाधित कर रहे हैं।
पाकिस्तानी नागरिक — शादी के बहाने भारत में घुसपैठ
हाल के घटनाक्रमों में यह उजागर हुआ है कि कई पाकिस्तानी नागरिक विवाह के बहाने भारत में प्रवेश कर रहे हैं और यहां रहकर भारतीय नागरिकता, आधार कार्ड, राशन कार्ड और यहां तक कि वोटर आईडी जैसे संवेदनशील दस्तावेज भी हासिल कर ले रहे हैं। रावलपिंडी के एक युवक ने स्वयं स्वीकार किया कि वह भारत में रहकर मतदान कर चुका है। यह भारत की सुरक्षा व्यवस्था में गंभीर चूक का स्पष्ट प्रमाण है।
दोहरा रवैया — पाकिस्तान वीजा नीति और अटारी बॉर्डर
वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान का दोहरा रवैया भी उजागर हुआ है। एक तरफ पाकिस्तान अपने ही नागरिकों के लिए अटारी बॉर्डर बंद कर रहा है, तो दूसरी तरफ वह ‘इलाज’ के बहाने अपने नागरिकों को भारत भेज रहा है। यह भी सामने आया है कि मेडिकल वीजा पर इलाज के लिए भारत आये कुछ पाकिस्तानी नागरिक अचानक लापता हो गये हैं। जिन पतों का उन्होंने वीजा आवेदन में उल्लेख किया था, वहां पुलिस जांच में ताले लटके मिले। कई पाकिस्तानी नागरिकों ने जानबूझकर अपने पासपोर्ट नष्ट कर दिये ताकि उनकी पहचान छुपी रहे और वे पाकिस्तान न लौटकर अधिकतम समय तक भारत में रह सकें। जब पुलिस द्वारा पकड़े गये तो स्वयं पाकिस्तानी नागरिकों ने स्वीकार किया कि पासपोर्ट नष्ट करना सुनियोजित रणनीति का हिस्सा था। दिन-प्रतिदिन जैसे-जैसे वीजा नीति सख्त हो रही है, वैसे-वैसे इन गतिविधियों के नए-नए खुलासे सामने आ रहे हैं।
भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला का आरोप है कि विपक्षी दल इस विषय पर मौन हैं और पाकिस्तानियों के ‘संरक्षक’ बनते दिख रहे हैं।
एनआरसी और विपक्ष की राजनीति
जब 2019 में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) का प्रस्ताव आया, तब विपक्षी नेताओं — चाहे वे वामपंथी हों या कांग्रेस — ने इसका पुरजोर विरोध किया। यही वह समय था जब PFI (पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया) द्वारा दंगे भड़काये गये और देश को अस्थिर करने की कोशिश हुई। अब सवाल यह उठता है कि यदि विपक्ष वास्तव में देशहितैषी है तो उन्होंने घुसपैठियों के खिलाफ कड़ा रुख क्यों नहीं अपनाया?
नागपुर में सर्वाधिक पाकिस्तानी बसावट — चिंता का विषय
रिपोर्टों के अनुसार नागपुर में सर्वाधिक पाकिस्तानी नागरिकों की बसावट देखी गई है। माना जाता है कि आरएसएस के मुख्यालय की निकटता के कारण सुरक्षा एजेंसियों का ध्यान इस ओर केंद्रित नहीं रहा। यह लापरवाही बड़ी चूक के रूप में चिन्हित की जा रही है।
अहमदाबाद में बांग्लादेशी घुसपैठियों का नेटवर्क उजागर
हाल ही में अहमदाबाद में बुलडोजर कार्रवाई के दौरान सैकड़ों बांग्लादेशी नागरिकों के अवैध घरों को तोड़ा गया, जहां भारी मात्रा में बंगाल के फर्जी राशन कार्ड और वोटर आईडी बरामद हुए। यह इस बात का प्रमाण है कि बांग्लादेशी घुसपैठिए स्थानीय नागरिकों की पहचान बनाकर लोकतांत्रिक प्रक्रिया में सेंध लगा रहे हैं।
तीन खतरनाक गिरोह* — रोहिंग्या, बांग्लादेशी और पाकिस्तानी एजेंट
वर्तमान में भारत में तीन प्रमुख घुसपैठिया गिरोह सक्रिय हैं —
• रोहिंग्या मुस्लिम गिरोह
• बांग्लादेशी मुस्लिम गिरोह
• पाकिस्तानी आईएसआई समर्थित एजेंट
इनका उद्देश्य न केवल जासूसी करना बल्कि आंतरिक अस्थिरता, सांप्रदायिक तनाव और आतंकवादी नेटवर्क को मज़बूती देना है।
OGW — ओवर ग्राउंड वर्कर का छुपा हुआ नेटवर्क
ISI एजेंसी अपने ओवर ग्राउंड वर्कर्स (OGW) के माध्यम से बुद्धिजीवी, वृद्ध, सामान्य नागरिक के वेश में जासूसी करवा रही है। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा, पहलगाम, पठानकोट जैसे क्षेत्रों में पहले ही यह पैटर्न उजागर हो चुका है।
बीजेपी सरकार की कड़ी कार्रवाई— 'Get Out Pakistan' नीति
वर्तमान में केंद्र सरकार इस खतरे को गंभीरता से लेते हुए सख्त कदम उठा रही है —
– अवैध पाकिस्तानियों की पहचान और निष्कासन।
– फर्जी दस्तावेजों पर कठोर दंड।
– एनआरसी की तर्ज पर राष्ट्रव्यापी पहचान प्रक्रिया।
देश की अखंडता, सुरक्षा और लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए यह आवश्यक हो गया है कि अवैध घुसपैठियों, विशेष रूप से पाकिस्तानी और बांग्लादेशी जासूसी नेटवर्क को जड़ से समाप्त किया जाये। यह न केवल कानून व्यवस्था का प्रश्न है, बल्कि राष्ट्रीय अस्मिता और अस्तित्व का भी विषय है।
लेखक : रविंद्र आर्य