18 साल तक फर्जी वकील करता रहा वकालत,खुद का भी लड़ा केस, अब कोर्ट ने फर्जी वकील को सुनाई 3 साल की सजा, लगाया जुर्माना

आरोपित अधिवक्ता न होकर विगत वर्ष 1999 से काला कोट पहनकर न्यायालय, पुलिस, पक्षकारों को धोखा देकर उनसे अवैध राशि वसूल कर अवैधानिक सलाह देता है जिसे ऐसा करने का कोई वैधानिक अधिकार नहीं था।

18 साल तक फर्जी वकील करता रहा वकालत,खुद का भी लड़ा केस, अब कोर्ट ने फर्जी वकील को सुनाई 3 साल की सजा, लगाया जुर्माना

1999 से वर्ष 2017 तक फर्जी दस्तावेजों के आधार पर वकालत की।

बार काउंसल आफ एमपी का फर्जी प्रमाण पत्र भी तैयार कर लिया।

बाद में उसे नोटिस जारी कर असल दस्तावेजों की मांग की गई थी।

Fake Lawyer Bhopal Court case: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में फर्जी प्रमाण पत्र बनवाकर वकालत करने वाले आरोपी रविंद्र कुमार गुप्ता को कोर्ट ने तीन साल की सजा सुनाई है। दरअसल इस आरोपी ने करीब 18 सालों तक कोर्ट, पुलिस और पक्षकारों को गुमराह करता रहा। इतना ही नहीं खुद को वकील बताकर केस भी लड़ा। अब मामले में कोर्ट ने उसे दोषी करार देते हुए 3 साल की कैद और 10 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है। यह फैसला अपर सत्र न्यायाधीश प्रहलाद सिंह कैमेथिया ने सुनाया।

कैसे हुआ खुलासा ?

दरअसल, आरोपी की फर्जीवाड़े की पोल 2017 में खुली, जब 3 अप्रैल को बार काउंसिल ऑफ इंडिया की भोपाल इकाई की ओर से एडवोकेट राजेश व्यास ने आरोपी के खिलाफ शिकायत की थी। ये शिकायत कोहेफिजा थाने में दर्ज करवाई गई। राजेश व्यास ने बताया कि रविंद्र गुप्ता ने मध्यप्रदेश राज्य अधिवक्ता परिषद का फर्जी सनद प्रमाण पत्र बनवाया और 14 अगस्त 2013 को भोपाल बार एसोसिएशन का सदस्य बन गया।.बाद में 14 मई 2016 को बार काउंसिल ऑफ एमपी की ओर से जानकारी दी गई कि रविंद्र कुमार गुप्ता ने जो प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया है, वह नकली है। उसमें दिए गए पंजीकरण नंबर 1629/1999 को जब जांचा गया, तो वह उज्जैन के अधिवक्ता प्रदीप कुमार शर्मा के नाम पर दर्ज मिला।

जब मामले की जांच की गई तो सामने आया कि आरोपी द्वारा कोर्ट में पेश किए गए दस्तावेज भी फर्जी हैं। इसके बाद पुलिस ने केस दर्ज कर जांच शुरू की और पर्याप्त साक्ष्य जुटाने के बाद आरोपी के खिलाफ कोर्ट में चालान पेश किया गया। शासन की ओर से अपर लोक अभियोजक सतीष सिमैया ने कोर्ट में पैरवी की। सभी दस्तावेज, गवाह और साक्ष्यों के आधार पर कोर्ट ने आरोपी को दोषी पाया और उसे तीन साल की कैद तथा 10 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई।