दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण की पार्टी से निलंबन की सिफारिश, AICC को भेजा गया प्रस्ताव
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के छोटे भाई लक्ष्मण सिंह को कांग्रेस जल्द ही पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा सकती है। ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी की अनुशासन समिति के सदस्य सचिव तारिक अनवर ने लक्ष्मण सिंह के निष्कासन का प्रस्ताव कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को भेजा है।

हमेशा अपने नेताओं पर विवादित टिप्पणी करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह को कांग्रेस से बाहर करने की तैयारी.
मध्य प्रदेश कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह के भाई और पूर्व विधायक लक्ष्मण सिंह को पार्टी से निलंबित करने का प्रस्ताव मध्यप्रदेश कांग्रेस ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) को भेज दिया है।
लक्ष्मण सिंह ने 24 अप्रैल को कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी, राबर्ट वाड्रा और जम्मू कश्मीर के सीएम उमर अब्दुल्ला को लेकर बयान दिया था। लक्ष्मण सिंह ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला आतंकवादियों से मिले हुए हैं।
लक्ष्मण सिंह ने राहुल गांधी को भी सोच समझकर बात करने की नसीहत देते हुए कहा था कि पार्टी को मुझे निकालना हो तो आज निकाल दे। हमारी पार्टी के नेता सोच समझकर बोले, नहीं तो उन्हें चुनाव में परिणाम भुगतना पड़ेंगे।
कांग्रेस ने नोटिस जारी कर मांगा था जवाब लक्ष्मण सिंह के बयान पर कांग्रेस ने संज्ञान लेते हुए 9 मई को उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया था। पार्टी की अनुशासन समिति के सदस्य सचिव तारिक अनवर ने उनसे 10 दिन में जवाब मांगा था। लेकिन, जवाब संतोषजनक नहीं होने के चलते उनके निष्कासन की अनुशंसा की गई है।
इस बार लक्ष्मण सिंह के बयान बनेंगे मुसीबत
बता दें कि कुछ दिन पहले लक्ष्मण सिंह ने अपनी ही पार्टी के नेताओं को घेरा था. लक्ष्मण सिंह ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को सोच समझकर बोलन की सलाह दी थी. उन्होंने राबर्ट वाड्रा पर भी टिप्पणी की. कहा था ठइन दोनों का बचपना जाने कब जाएगा." इसी तरह से उन्होंने उमर अब्दुल्ला को लेकर विवादित बयान दिया था. पहलगाम में हुई घटना पर सवाल उठाते हुए ये तक कह दिया था "उमर अब्दुल्ला आतंकवादियों से मिले हुए हैं."
नेतृत्व के प्रति असम्मान जनक व्यवहार स्वीकार्य नहीं कांग्रेस ने लक्ष्मण सिंह को दिए नोटिस से यह स्पष्ट संदेश दिया गया था कि पार्टी की छवि और नेतृत्व के प्रति असम्मान जनक व्यवहार किसी भी स्तर पर स्वीकार्य नहीं होगा।
यह स्पष्ट है कि कोई भी नेता, चाहे वह किसी भी पद पर हो, उसे अभद्र या अनुशासनहीन टिप्पणी करने का अधिकार नहीं है। विशेष रूप से सोशल मीडिया जैसे सार्वजनिक मंचों पर इस तरह की प्रतिक्रियाएं पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाती हैं और आम कार्यकर्ताओं में भ्रम की स्थिति पैदा करती हैं।