परस्पर एकता के लिए भारतीय और विदेशी भाषाओं के लिए नागरी लिपि का भी प्रयोग हो – डॉ पाल

विश्व भाषा हिंदी एवं नागरी लिपि की सफलता एवं संभावनाएं पर केंद्रित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी संपन्न

परस्पर एकता के लिए भारतीय और विदेशी भाषाओं के लिए नागरी लिपि का भी प्रयोग हो – डॉ पाल

हिंदी सेवी साहित्यकार डॉ. हरिसिंह पाल और श्री हरेराम वाजपेयी का हुआ सारस्वत सम्मान

उज्जैन,नागरी लिपि परिषद् की मध्य प्रदेश इकाई एवं राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के तत्वावधान में विश्व भाषा हिंदी एवं नागरी लिपि की सफलता एवं संभावनाएं पर केंद्रित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार एवं हिंदी सेवी डॉ. हरिसिंह पाल और श्री हरेराम वाजपेयी का सारस्वत सम्मान किया गया।

अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में अपना मंतव्य देते हुए डॉ हरिसिंह पाल, महामंत्री, नागरी लिपि परिषद् नई दिल्ली ने कहा, देश की सांस्कृतिक एकता के लिए हमें ज्यादा से ज्यादा भाषाएं सीखनी चाहिए। परस्पर एकता के लिए सभी भारतीय और विदेशी भाषाओं के लिए नागरी लिपि का भी प्रयोग हो ऐसा प्रयास जरूरी है।

श्री हरेराम वाजपेयी, अध्यक्ष, हिंदी परिवार इंदौर ने कहा कि हिंदी भाषी लोग सीमित न रहें हमें भी अपनी भाषा के साथ सभी भाषाओं को सम्मान देना चाहिए।

श्री सुरेश चंद्र शुक्ल, शरद आलोक, नार्वे ने मुख्य अतिथि के रूप में कहा, सभी को हिंदी और नागरी लिपि के अंकों का प्रयोग करना चाहिए।

अध्यक्षीय भाषण में पूर्व संयुक्त संचालक, शिक्षा श्री बी के शर्मा ने कहा कि नागरी लिपि और हिंदी भाषा श्रेष्ठता की कसौटी पर सर्वोपरि हैं।

मुख्य वक्ता प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने कहा कि सूचना संचार क्रांति के दौर में दुनिया भर की भाषाएँ और संस्कृति परस्पर निकट आ रही हैं। इस दिशा में हिंदी के साथ नागरी लिपि महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

विशेष वक्ता डॉ. शहनाज शेख नांदेड़, महासचिव राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने कहा, देवनागरी लिपि में प्रत्येक ध्वनि के लिए चिन्ह हैं। राष्ट्रीय एकता संस्कृति का साधन है हिंदी भाषा। राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना उज्जैन के संगठन महामंत्री डॉ. प्रभु चौधरी ने कहा कि नागरी लिपि में जैसा बोला जाता है वैसा ही लिखा जाता है परंतु अन्य लिपियों में ऐसा नहीं होता है। हिंदी हमारी मातृभाषा, राजभाषा एवं राष्ट्रभाषा है जिसे पूरे विश्व में बोला जाता है और समझा जाता है, इसलिए हमको अपनी लिपि एवं भाषा पर गर्व है इनका अधिक से अधिक व्यावहारिक जीवन में उपयोग होना चाहिए।

डॉ रश्मि चौबे, गाजियाबाद, प्रवक्ता राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने गाया सब भाषाओं को अपनाने तैयार नागरी, अंतरराष्ट्रीय हो जाएगी लिपि नागरी। राष्ट्रीय संयोजक श्री पदमचंद गांधी ने कहा कि वर्तमान में 105 करोड़ लोग हिंदी भाषा का प्रयोग कर रहे हैं।

विशिष्ट अतिथि श्रीमती सुवर्णा जाधव, राष्ट्रीय मुख्य संयोजक राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने कहा, हिन्दी राष्ट्रीय ही नहीं अंतरराष्ट्रीय दर्जा प्राप्त कर रही है, फिल्मी गानों का भी योगदान है। विशेष अतिथि डॉ अरुणा शुक्ला, महाराष्ट्र ने कहा नागरी लिपि अनेक देशों के व्यक्तियों को पास ला रही है। कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ.रश्मि चौबे गाजियाबाद की सरस्वती वंदना एवं नागरी लिपि वंदना से हुआ। स्वागत भाषण से डॉ. शहनाज शेख, महाराष्ट्र ने स्वागत किया। प्रस्तावना मुमताज पठान, महाराष्ट्र ने प्रस्तुत करते हुए कहा कि डॉ हरिसिंह पाल और हरेराम वाजपेयी ने भारत वर्ष के कोने कोने में शब्दों के दीप जला ज्ञान का प्रकाश फैलाया। आभार डॉ. मुक्ता कान्हा कौशिक, रायपुर ने माना।

कार्यक्रम में आथर्स गिल्ड के महामंत्री डॉ. शिव शंकर अवस्थी, मॉरीशस से डॉ सोमदत्त काशीनाथ, कुवैत से संगीता चौबे, दीनबंधु आर्या, अनिल शर्मा, बबिता गर्ग, नवाब कौशिक, अनिल चौधरी, पोपट जी, डॉ शंकर सिंह परिहार, नवाब केसर, दिव्यांशी, डॉ. राज मुनि, संगीता गुप्ता, अंजू, दिव्या, डॉ. राज मुनि, ललित शर्मा, डिब्रूगढ़, असम, संगीता गुप्ता, अनिल, डॉ.रतिराम गरेहवाल, जसवीरसिंह आदि अन्य अनेक विद्वान उपस्थित रहे।