आदिवासी महिला ने तहसीलदार के पकड़े पैर, कार में बैठ निकल गईं मैडम , बेबस सास-बहू ने लगाई न्याय की गुहार, बोलीं–न्याय नहीं मिला तो दे देंगे जान
अपनी पुश्तैनी जमीन पर जबरन कब्जे से परेशान दिव्यांग आदिवासी महिला सावित्री बाई अपने बेटे की बहू के साथ तहसील पहुंची और तहसीलदार रोशनी शेख के पैरों पर गिरकर न्याय की गुहार लगाई। महिला का आरोप है कि शिकायत किए आठ दिन बीत चुके हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। तहसीलदार कोई आश्वासन देने के बजाए गाड़ी में बैठकर चली गईं।
अपनी पुश्तैनी जमीन पर जबरन कब्जे से परेशान दिव्यांग आदिवासी महिला।
बेटे की बहू के साथ तहसील कार्यालय पहुंची थी महिला, लगाई गुहार।
अब इस मामले को लेकर कलेक्टर अर्पित वर्मा ने संज्ञान लिया है।
मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले के कराहल तहसील मुख्यालय में शनिवार दोपहर एक हैरान करने वाला दृश्य देखने को मिला. अपनी पुश्तैनी जमीन पर हो रहे अवैध कब्जे से परेशान एक आदिवासी महिला और उसकी बूह तहसील कार्यालय पहुंची और वहां तहसीलदार के सामने रोते हुए पैर पकड़कर न्याय की गुहार लगाने लगीं. दोनों ने अधिकारी को चेतावनी दी कि अगर उनकी जमीन पर कब्जा रोका नहीं गया तो वे आत्महत्या करने को मजबूर होंगी.
पुश्तैनी जमीन पर हो रहा है कब्जा
पीड़ित महिला सावित्री बाई आदिवासी का कहना है कि उनके परिवार के 3 हेक्टेयर जमीन है, जिस पर वे कई सालों से खेती कर रहे हैं और रह रहे हैं. लेकिन खिरखिरी गांव के कुछ लोग अब उनकी जमीन पर जबरन कब्जा करने की कोशिश कर रहे है. सावित्री बाई के अनुसार, दबंगों ने पहले उनकी टपरिया तोड़ दी और अब रात के समय वहां पक्का निर्माण कर रहे हैं.
पुलिस ने नहीं लिया एक्शन
महिला ने बताया कि उन्होंने जमीन पर कब्जे की सूचना कई बार पुलिस और प्रशासन को दी. यहां तक कि 112 नंबर पर भी कॉल किया, लेकिन आठ दिनों तक किसी अधिकारी या पुलिसकर्मी ने न कोई एक्शन लिया और न ही वहां पहुंचे. इसी बीच निर्माण कार्य लगातार जारी रहा. इस अवैध कब्जे से परिवार परेशान हो गया है. शनिवार को महिला और उसकी बहू तहसील पहु्ंचे. वहां तहसीलदार के सामने वे रो पड़ी.
सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल
सोशल मीडिया पर आदिवासी महिला का एक वीडियो भी वायरल हो रहा है. जिसमें महिला और उसकी बहू तहसील कार्यालय की सीढ़ियों पर बैठकर तहसीलदार के पैर पकड़ते हुए दिखाई दे रही हैं. इस मामले को लेकर तहसीलदार रौशनी शेख का कहना है आवेदन मिला है, पटवारी और आर आई से बोलकर मामले की जांच कराई जाएगी.
महिलाओं का कहना है कि तहसीलदार ने ठोस आश्वासन देने के बजाय गाड़ी में बैठकर कार्यालय से निकलना उचित समझा। यह रवैया उस समय सवालों के घेरे में है जब राज्य शासन और जिला प्रशासन दोनों ही जनता की समस्याओं के त्वरित समाधान के लिए निरंतर प्रयासरत हैं। तहसीलदार ने अब संबंधित राजस्व निरीक्षक व पटवारी को जांच के निर्देश दिए हैं। हालांकि, ग्रामीणों का कहना है कि अगर तहसील स्तर पर ऐसी बेरुखी रही तो समाधान ऑनलाइन और जनसुनवाई जैसे कार्यक्रमों का असर जमीनी स्तर तक नहीं पहुंच पाएगा।
प्रखर न्यूज़ व्यूज एक्सप्रेस