MP विधानसभा में गूंजी संस्कृत: BJP विधायक ने संस्कृत में पूछा सवाल, शिक्षा मंत्री ने भी संस्कृत में ही दिया जवाब

मध्य प्रदेश विधानसभा में पहली बार विधायक अभिलाष पांडे ने संस्कृत में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव प्रस्तुत किया. शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने भी संस्कृत में उत्तर देकर इसे ऐतिहासिक बना दिया.

MP विधानसभा में गूंजी संस्कृत: BJP विधायक ने संस्कृत में पूछा सवाल, शिक्षा मंत्री ने भी संस्कृत में ही दिया जवाब

मध्य प्रदेश विधानसभा पहली बार संस्कृत भाषा की गूंज सुनाई दी. बीजेपी विधायक अभिलाष पांडे ने सदन में संस्कृत भाषा में अपना ध्यानाकर्षण प्रस्ताव रखा

मध्य प्रदेश विधानसभा. मध्य प्रदेश विधानसभा का दृश्य उस समय ऐतिहासिक बन गया, जब सदन में संस्कृत भाषा की गूंज सुनाई दी. यह अवसर था जब भारतीय जनता पार्टी के विधायक अभिलाष पांडे ने सदन में संस्कृत भाषा में अपना ध्यानाकर्षण प्रस्ताव प्रस्तुत किया. यह पहली बार था, जब किसी जनप्रतिनिधि ने पूरी तरह शुद्ध संस्कृत भाषा में किसी विषय को सदन में उठाया. उनकी इस पहल ने सभी विधायकों और मंत्रियों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया और एक नई परंपरा की शुरुआत की.

विधायक अभिलाष पांडे ने संस्कृत भाषा के संरक्षण और संवर्धन से जुड़ा विषय उठाया. उन्होंने अपने पूरे वक्तव्य को संस्कृत भाषा में प्रस्तुत करते हुए यह बताया कि यह भाषा केवल हमारी सांस्कृतिक धरोहर नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक आत्मा है. उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा देवनागरी लिपि में लिखी जाती है और इसकी विशेषता है कि जैसी बोली जाती है, वैसी ही लिखी और समझी भी जाती है. पांडे ने यह भी प्रश्न उठाया कि क्यों हम संवाद के लिए केवल हिंदी या अंग्रेजी पर निर्भर रहते हैं, जबकि संस्कृत हमारी प्राकृतिक भाषा है. उन्होंने सुझाव दिया कि संस्कृत को स्कूलों और कॉलेजों में और अधिक सशक्त रूप से पढ़ाया जाए.

अभिलाष पांडे के संस्कृत में प्रश्न का जवाब स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने भी संस्कृत में ही दिया. इससे विधानसभा की गरिमा और भी बढ़ गई. उन्होंने संस्कृत में उत्तर देने के बाद उसका हिंदी अनुवाद भी प्रस्तुत किया ताकि सभी सदस्य उत्तर को बेहतर तरीके से समझ सकें. मंत्री ने बताया कि राज्य सरकार संस्कृत के विकास के लिए निरंतर प्रयास कर रही है. वर्तमान में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत तीन भाषा फॉर्मूले में संस्कृत को प्राथमिकता दी जा रही है. प्रदेश में संस्कृत शिक्षकों की भर्ती भी की गई है.

उन्होंने जानकारी दी कि पतंजलि संस्कृत भाषा संस्थान के माध्यम से 38 जिलों में 271 संस्कृत माध्यम स्कूल संचालित किए जा रहे हैं. इन विद्यालयों में छात्रों की संस्कृत के प्रति रुचि बढ़ाने के लिए विभिन्न गतिविधियाँ कराई जा रही हैं. अब ओलंपियाड परीक्षाओं में संस्कृत विषय को भी शामिल किया गया है. इसके अलावा स्कूलों में लोकनृत्य, नाटक और संस्कृत संवाद जैसी रचनात्मक गतिविधियाँ भी की जा रही हैं.

विधायक पांडे ने यह भी मांग की कि कक्षा 6 से 8 तक संस्कृत पढ़ाई जाती है, लेकिन इसे कक्षा 9 से 12 तक भी अनिवार्य किया जाना चाहिए. उन्होंने संस्कृत को भावनात्मक और सांस्कृतिक स्तर पर जोड़ने वाली भाषा बताया और इसे सुरक्षित रखने को हमारी नैतिक जिम्मेदारी कहा.इस ऐतिहासिक घटना ने स्पष्ट किया कि यदि सदन के सदस्य चाहें, तो प्राचीन भाषाओं का उपयोग करते हुए भी आधुनिक समस्याओं पर चर्चा की जा सकती है. संस्कृत को लेकर यह पहल न केवल एक भाषा के प्रति सम्मान है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक पहचान को फिर से जीवंत करने की दिशा में एक प्रेरणादायक कदम भी है.