ATS के पूर्व अधिकारी का बड़ा खुलासा मालेगांव ब्लास्ट केस में भागवत को गिरफ्तार करने का मिला था आदेश
मालेगांव बम धमाका मामले में नया मोड़ आया है। एटीएस के पूर्व अधिकारी महबूब मुजावर ने दावा किया कि उन्हें आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को गिरफ्तार करने का आदेश मिला था। मुजावर के अनुसार, इसका मकसद 'भगवा आतंकवाद' की थ्योरी को स्थापित करना था। उन्होंने आदेश का पालन नहीं किया, जिसके बाद उनके खिलाफ झूठा मामला दर्ज हुआ।
पूर्व एटीएस अधिकारी महबूब मुजावर ने मीडिया से बातचीत में बताया कि मालेगांव ब्लास्ट के बाद उस समय के जांचकर्ता अधिकारी परमवीर सिंह ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) चीफ मोहन भागवत को गिरफ्तार करने के आदेश दिए थे.
Mohan Bhagwat arrest order: एक दिन पहले ही 2008 के मालेगांव बम धमाके मामले में एनआईए की स्पेशल कोर्ट ने 17 साल बाद फैसला सुनाते हुए सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया है. इनमें बीजेपी सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, रिटायर्ड मेजर रमेश उपाध्याय सहित अन्य आरोपी शामिल थे. कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष ठोस सबूत और विश्वसनीय गवाह पेश नहीं कर सका, इसलिए सिर्फ नैरेटिव के आधार पर दोषी नहीं ठहराया जा सकता. इसी बीच मामले में एक बड़ा ट्विस्ट सामने आया है.
इस केस में एक बड़ा खुलासा..
हुआ यह कि कोर्ट के फैसले के एक दिन बाद अब इस केस में एक बड़ा खुलासा सामने आया है. मामले की शुरुआती जांच में शामिल रहे रिटायर्ड एटीएस अधिकारी महबूब मुजावर ने दावा किया है कि उन पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को गिरफ्तार करने का दबाव था. उन्होंने बताया कि उन्हें यह आदेश तत्कालीन जांच अधिकारी परमवीर सिंह ने दिया था लेकिन उन्होंने इसका विरोध किया क्योंकि वे किसी झूठे केस में शामिल नहीं होना चाहते थे.
भगवा आतंकवाद की थ्योरी को सिद्ध करने के लिए'
मुजावर ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उस समय भगवा आतंकवाद की थ्योरी को सिद्ध करने के लिए अधिकारियों पर दबाव बनाया जा रहा था. उन्होंने कहा कि जब उन्होंने झूठी चार्जशीट बनाने और मृतकों को जिंदा दिखाने से इनकार किया तो उनके खिलाफ फर्जी केस दर्ज कर दिए गए. हालांकि वे बाद में कोर्ट से इन सभी आरोपों से बरी हो गए.
उन्होंने यह भी बताया कि इस केस में सिर्फ एक विशेष नैरेटिव बनाने की कोशिश की गई थी जो पूरी तरह से झूठा था. मुजावर ने कोर्ट के फैसले पर संतोष जताते हुए कहा कि न्याय की जीत हुई है और अब सच सामने आ गया है. उन्होंने यह भी कहा कि जिन अधिकारियों ने उन पर दबाव बनाया उनके खिलाफ जांच होनी चाहिए.
इस पूरे मामले की शुरुआत तब हुई थी जब 29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव के भीकू चौक पर धमाका हुआ था. एक दोपहिया वाहन में रखे गए बम से हुए विस्फोट में 6 लोगों की मौत और 101 लोग घायल हुए थे. मृतकों में फरहीन उर्फ शगुफ्ता शेख लियाकत, शेख मुश्ताक यूसुफ, शेख रफीक मुस्तफा, इरफान जियाउल्लाह खान, सैयद अजहर सैयद निसार और हारून शाह मोहम्मद शाह शामिल थे.
प्रखर न्यूज़ व्यूज एक्सप्रेस