अनुराग जैन बने रहेंगे मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव: एक साल के एक्सटेंशन पर सीएम मोहन यादव ने दी बधाई

मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव अनुराग जैन का कार्यकाल बढ़ाया गया: एक साल का विस्तार, आदेश जारी; 31 अगस्त को समाप्त होने वाला कार्यकाल अब जारी रहेगा।

अनुराग जैन बने रहेंगे मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव: एक साल के एक्सटेंशन पर सीएम मोहन यादव ने दी बधाई

मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव अनुराग जैन का कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ा दिया गया। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने उन्हें कार्यकाल विस्तार पर बधाई दी। अन्य वरिष्ठ अफसरों को मुख्य सचिव पद की दावेदारी के लिए अब एक साल इंतजार करना पड़ेगा

भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव अनुराग जैन का कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ा दिया गया है। उनका कार्यकाल पहले 31 अगस्त को समाप्त होने वाला था। केंद्रीय कार्मिक प्रशिक्षण मंत्रालय ने इस एक्सटेंशन के आदेश जारी कर दिए हैं।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सोशल मीडिया अकाउंट X पर अनुराग जैन को उनके कार्यकाल विस्तार पर बधाई दी। उन्होंने कहा कि उनके दीर्घ प्रशासनिक अनुभव, नवाचार और सतत प्रयास प्रदेश की विकास यात्रा को नए प्रतिमान स्थापित करने में मदद करेंगे।

मुख्य सचिव पद के लिए दावेदारी कर रहे अन्य वरिष्ठ अफसरों को अब एक साल का इंतजार करना पड़ेगा। इस आदेश से प्रशासन में स्थिरता बनी रहेगी और प्रदेश के विकास कार्य सुचारू रूप से चलते रहेंगे।

अनुराग जैन 1989 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के अधिकारी हैं. अपने तीन दशक से अधिक के प्रशासनिक अनुभव में उन्होंने केंद्र और राज्य सरकारों के विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है. वर्तमान में वे मध्यप्रदेश शासन में मुख्य सचिव के रूप में सेवा दे रहे हैं.

अनुराग जैन को उनकी स्पष्ट सोच, संयमित कार्यशैली और तेज निर्णय क्षमता के लिए जाना जाता है. कोरोना प्रबंधन, निवेश प्रोत्साहन, अधोसंरचना विकास और डिजिटल गवर्नेंस जैसे क्षेत्रों में उनका योगदान सराहनीय रहा है.

मुख्य सचिव के रूप में उन्होंने मुख्यमंत्री के नेतृत्व में कई प्रमुख योजनाओं को जमीन पर उतारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना, युवाओं के लिए रोजगार कार्यक्रम और बुनियादी सेवाओं की निगरानी में उनकी कार्यशैली प्रशंसनीय रही है.

इस फैसले से प्रशासनिक स्थिरता बनी रहेगी और राज्य सरकार की योजनाएं और भी सुचारु रूप से लागू हो सकेंगी. राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में इसे एक सकारात्मक और व्यावहारिक निर्णय माना जा रहा है.