6 साल बाद लगाए पौधे में खिला दिव्य एव आलौकिक ब्रह्मकमल, दर्शन मात्र से होती है सौभाग्य में वृद्धि, लोगों में खुशी की लहर
ब्रह्मकमल का यह फूल स्थानीय न्यू मीनाल रेसीडेंसी निवासी जीबी गुप्ता एवं सीमा गुप्ता के निज निवास में खिला है। छह साल पहले घर पर इस पौधे का रोपण किया था। सीमा गुप्ता ने बताया कि हिमालय में खिलने वाले इन फूलों के पौधों की काफी देखभाल करनी पड़ती है। सालों के इंतजार के बाद इसमें 6 कलियां आई थीं, लेकिन 3 चिड़ियों से टूट गई । अब तीन में से जन्माष्टमी के दिन शनिवार की रात पुष्प खिला है। यह ब्रह्मकमल का फूल कई सालों में एक बार उगते हैं और केवल चार से पांच घंटे के लिए खिलते हैं। पूरे परिवार ने इसके दर्शनकर पौराणिक मान्यता के अनुसार उसे भगवान श्रीकृष्ण और शिव को अर्पित कर मंगलमय जीवन प्रार्थना की
 
                                ब्रह्मकमल – दर्शन मात्र से सौभाग्य की वृद्धि, लोगों में उमंग और श्रद्धा का माहौल
भोपाल। हिंदू धर्म में सबसे ज्यादा चमत्कारी ब्रह्म कमल का फूल को मना गया है। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति ब्रह्म कमल के फूल को खिलते हुए देख लेता है, उसके सौभाग्य में वृद्धि होती है और जिस घर में ब्रह्म कमल का फूल खिलता है, वहां मां लक्ष्मी हमेशा निवास करती हैं। इसे अति दुर्लभ और पौराणिक महत्व का फूल भी कहा जाता है।
ब्रह्मकमल का यह फूल स्थानीय न्यू मीनाल रेसीडेंसी निवासी जीबी गुप्ता एवं सीमा गुप्ता के निज निवास में खिला है। छह साल पहले घर पर इस पौधे का रोपण किया था। सीमा गुप्ता ने बताया कि हिमालय में खिलने वाले इन फूलों के पौधों की काफी देखभाल करनी पड़ती है। सालों के इंतजार के बाद इसमें 6 कलियां आई थीं, लेकिन 3 चिड़ियों से टूट गई । अब तीन में से जन्माष्टमी के दिन शनिवार की रात पुष्प खिला है। यह ब्रह्मकमल का फूल कई सालों में एक बार उगते हैं और केवल चार से पांच घंटे के लिए खिलते हैं। पूरे परिवार ने इसके दर्शनकर पौराणिक मान्यता के अनुसार उसे भगवान श्रीकृष्ण और शिव को अर्पित कर मंगलमय जीवन प्रार्थना की। शास्त्रों की मानें तो इसको भगवान विष्णु और लक्ष्मी का साक्षात स्वरूप भी माना गया है। वहीं, ये फूल कम समय के लिए ही खिलता है, और कुछ समय बाद ही मुरझा जाता है। ऐसे में इस फूल का राजभोज की नगरी में खिलना लोगों के लिए कौतूहल का विषय बना हुआ है।
सिर्फ रात को खिलता है यह ब्रह्मकमल
दरअसल यह फूल हिमालय की वादियों में मिलता है। इसका नाम है ब्रह्मकमल। यह फूल तीन हजार मीटर की ऊंचाई पर सिर्फ रात में खिलता है। सुबह होते ही इसका फूल बंद हो जाता है। इसे देखने दुनियाभर से लोग वहां पहुंचते हैं। इसे उत्तराखंड का राज्य पुष्प भी कहते हैं। ब्रह्मकमल को अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग नामों से जाना जाता है। उत्तराखंड में ब्रह्मकमल, हिमाचल में दूधाफूल, कश्मीर में गलगल और उत्तर-पश्चिमी भारत में बरगनडटोगेस कहा जाता है।
ब्रह्मकमल से ही जल छिड़ककर गणेश जी को किया था जीवित :
पौराणिक मान्यता के अनुसार ब्रह्म कमल फूल को ब्रह्मदेव का रूप माना जाता है और जब यह फूल खिलता है तो भगवान विष्णु की आकृति इस फूल पर दिखाई देती है। मान्यता है कि भगवान शंकर ने ब्रह्मकमल से ही जल छिड़ककर भगवान श्रीगणेश को जीवित कर दिया था इसलिए इसे जीवन देने वाला फूल भी माना जाता है।
औषधीय गुणों से परिपूर्ण होता है ब्रह्मकमल :
कहते हैं कि ब्रह्मकमल औषधीय गुणों से भी परिपूर्ण होता है। इसे सूखाकर कैंसर की दवा के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। साथ ही इस फूल से स्वास संबंधी बीमीरियां भी दूर हो जाती है। पूरे साल में सिर्फ एक बार खिलने वाले ब्रह्मकमल फूल का लोग लंबे समय से इंतजार करते हैं। कहते हैं कि जिस घर में यह फूल खिलता है वह सौभाग्यशाली होते हैं और घर में सुख समृद्धि में बढ़ोतरी होती है।
बताते हैं ब्रह्मकमल के ऊपर बैठकर भगवान ब्रह्मा ने संपूर्ण सृष्टि की रचना की। इसी ब्रह्मकमल में बैठकर भगवान ब्रह्मा ने 84 लाख योनियों की रचना की है। जिनके घर ब्रह्मकमल खिलता है। उनके पास भगवान का आशीर्वाद बना रहता है।
 प्रखर न्यूज़ व्यूज एक्सप्रेस
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