7 वर्षीय जसविका ने कथक नृत्य में बटोरी तालियाँ, हाई रेंज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स से हुई सम्मानित

जसविका को यह उपलब्धियाँ उनके कथक गुरु, अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त डॉ. रागिनी मक्कड़ के मार्गदर्शन में प्राप्त हुईं। डॉ. मक्कड़ भारतीय शास्त्रीय नृत्य के क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित नाम हैं। उनकी देखरेख में अनेक बाल कलाकारों ने देश-विदेश में अपनी पहचान बनाई है। जसविका की प्रतिभा को पहचानते हुए उन्होंने उसे उपयुक्त मंचों तक पहुँचाया और मार्गदर्शन प्रदान किया।

7 वर्षीय जसविका ने कथक नृत्य में बटोरी तालियाँ, हाई रेंज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स से हुई सम्मानित

विनोद कुमार सक्सेना

प्रखर न्यूज व्यूज एक्सप्रेस 

कालापीपल (ग्राम लसूड़िया मलक):ग्राम लसूड़िया मलक निवासी  प्रकाश परमार एवं  कल्याणी परमार की सुपुत्री जसविका परमार ने अपनी प्रतिभा के बल पर न केवल अपने परिवार, बल्कि समस्त क्षेत्र का नाम भी गौरवान्वित किया है। मात्र 7 वर्ष की आयु में जसविका ने तीन वर्षों के कठिन परिश्रम और समर्पण से कथक नृत्य में अद्भुत दक्षता अर्जित की है।

हाल ही में भारतीय संस्कृति फाउंडेशन द्वारा आयोजित गंगा नृत्य कला महोत्सव–2025 के अंतर्गत हरिद्वार में आयोजित गंगा आरती महोत्सव में देशभर से आए हज़ारों कलाकारों के बीच जसविका ने कथक नृत्य की प्रभावशाली प्रस्तुति दी। यह आयोजन हाई रेंज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स से सम्बद्ध था, जिसके अंतर्गत जसविका के उत्कृष्ट प्रदर्शन को रिकॉर्ड में दर्ज किया गया। इस उपलब्धि के लिए उन्हें प्रमाणपत्र, ट्रॉफी और मेडल प्रदान कर सम्मानित किया गया।

इसके अतिरिक्त, जसविका ने वर्ष 2023 में आयोजित “यूनिवर्सल हार्मनी” प्रतियोगिता में भी भाग लिया था, जो अखिल लोककला कल्चरल ऑर्गनाइज़ेशन, पुणे द्वारा आयोजित की गई थी। यह एक अखिल भारतीय स्तर की नृत्य, नाटक, वाद्य संगीत एवं गायन प्रतियोगिता थी, जो मई 2023 में पुणे, महाराष्ट्र में आयोजित हुई। इसमें भाग लेने के लिए जसविका को प्रमाणपत्र evm trophy प्रदान किया गया, जिससे यह सिद्ध होता है कि वह निरंतर विभिन्न मंचों पर अपनी कला का प्रदर्शन कर रही हैं।

जसविका को यह उपलब्धियाँ उनके कथक गुरु, अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त डॉ. रागिनी मक्कड़ के मार्गदर्शन में प्राप्त हुईं। डॉ. मक्कड़ भारतीय शास्त्रीय नृत्य के क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित नाम हैं। उनकी देखरेख में अनेक बाल कलाकारों ने देश-विदेश में अपनी पहचान बनाई है। जसविका की प्रतिभा को पहचानते हुए उन्होंने उसे उपयुक्त मंचों तक पहुँचाया और मार्गदर्शन प्रदान किया।

इस अद्वितीय सफलता से पूरे परिवार में हर्ष की लहर है। जसविका के परदादा श्री रामनारायण जी परमार (बड़ा बाजी), दादा श्री भैयालाल जी परमार, दादी श्रीमती अनुसुइया परमार, छोटे दादा श्री लखन परमार एवं कमल परमार सहित समस्त परिजनों, ग्रामवासियों एवं शुभचिंतकों ने जसविका के उज्ज्वल भविष्य की मंगलकामनाएँ व्यक्त की हैं।

जसविका की माता  कल्याणी परमार ने कहा

जसविका ने बहुत मेहनत की है। वह प्रतिदिन नियमित अभ्यास करती है और नृत्य में उसकी गहरी रुचि है।

जसविका की इस सफलता पर उनके परिवार, गुरुजन, स्थानीय समाज व कथक प्रेमियों ने उन्हें हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ दी हैं।