मेंथा की फसल से हो रहे जल दोहन को कम करने के लिए मूंग की फसल को दिया जा रहा बढ़ावा,किसानों की आमदनी में नहीं होगी कमी। जिलाधिकारी

मेंथा की फसल से हो रहे जल दोहन को कम करने के लिए मूंग की फसल को दिया जा रहा बढ़ावा,किसानों की आमदनी में नहीं होगी कमी। जिलाधिकारी

जिलाधिकारी राजेश कुमार पाण्डेय ने एक निजी मुलाकात में बताया कि मेंथा की फसल जिले में बहुत मात्रा में पैदा हो रही

उरई । जिले में मेंथा की फसल बड़े पैमाने पर होने लगी थी जिससे जमीन के अंदर का पानी का दोहन अधिक होने लगा था। जिले की कोंच तहसील और उरई तहसील में मेंथा की पैदा का क्षेत्रफल लगभग एक सौ हेक्टेयर तक पहुंच गया था धीरे धीरे यह फसल माधौगढ़ और कालपी तहसील में भी पैर पसारने लगी थी । तभी 2008 में जिले में भीषड़ सूखा पढ़ा उस समय जमीन के अंदर के पानी के लेवल में भारी गिरावट देखी गई थी शासन स्तर से कई उच्च अधिकारियों ने जिले के दौरे किए थे । उस समय मेंथा पर प्रतिबंध की बात कही गई थी लेकिन ऐसा करने की जुर्रत सरकार की नहीं हुई । लेकिन कुछ वर्षों से मेंथा की फसल में कमी देखी जा रही है इसमें प्रशासन का बड़ा योगदान है क्योंकि किसानों की छोटी, बड़ी बैठकों में उनको मेंथा से जिले के पानी का हो रहा नुकसान के बारे में बहुत बारीक से समझाया जा रहा। वहीं किसान की आमदनी में कमी न आए इसके लिए उनको मूंग जैसी फसल की पैदावार करने के लिए हौसला बढ़ाया जा रहा । जिलाधिकारी राजेश कुमार पाण्डेय ने एक निजी मुलाकात में बताया कि मेंथा की फसल जिले में बहुत मात्रा में पैदा हो रही है इसको खत्म करा दिया जाएगा जिससे पानी की बचत हो सके । वहीं मूंग की फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए किसानों की हर संभव मदद करने के लिए प्रशासन तैयार है मूंग की सरकारी खरीद भी शुरू करा दी गई है उन्होंने कहा कि किसानों की आमदनी को भी ध्यान में रखा जा रहा है उन्होंने कहा कि मूंग की फसल से भी किसानों को मेंथा के बराबर लाभ होगा । उन्होंने एक चौंकाने वाला तथ्य बताया कि प्रदेश की राजधानी लखनऊ जिले के 88 गांव जमीन के अंदर के पानी का स्तर डार्कजॉन में आ गया है जहां जमीन के अंदर से पानी नहीं निकाला जा सकता न ही एक इंची का भी ड्रिल नहीं किया जा सकता । उन्होंने कहा बुंदेलखंड में जल के मामले में जालौन की स्थिति बेहतर है । उन्होंने कहा कि जालौन की स्थिति लखनऊ जैसी न हो इसलिए अभी से किसानों को प्रेरित कर मेंथा की जगह मूंग की फसल को बढ़ावा दिया जा रहा है जिससे पानी को बचाया जा सके ।