तेज प्रताप यादव ने ली 'भीष्म प्रतिज्ञा', मरना कबूल करेंगे, लेकिन...', लालू के लाल तेज प्रताप ने क्यों ली प्रतिज्ञा, अब क्या करेंगे तेजस्वी यादव?
तेज प्रताप यादव RJD से अलग होकर अपनी पार्टी 'जनशक्ति जनता दल' के बैनर तले चुनाव लड़ रहे हैं। महुआ से उनका चुनाव लड़ना RJD के मौजूदा विधायक मुकेश रोशन को सीधी चुनौती दे रहे है
तेज प्रताप यादव ने महुआ से नामांकन दाखिल करने के बाद भीष्म प्रतिज्ञा ली है, जिससे आरजेडी और तेजस्वी यादव धर्मसंकट में पड़ सकते हैं. क्या लालू यादव का यह सपना 2025 में पूरा नहीं होगा?
पटना. बिहार चुनाव 2025 में लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव एक बार फिर से चर्चा में आ गए हैं. तेज प्रताप यादव महुआ विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. रविवार को तेज प्रताप यादव ने महुआ की जनता से एक ऐसा वादा किया है, जो लोगों के दिल को छू सकता है. परिवार और पार्टी से 6 साल के लिए निलंबन का सामना कर रहे तेज प्रताप यादव के इस ऐलान से आरजेडी में हड़कंप मच गया है. तेज प्रताप के इस ऐलान के बाद तेजस्वी यादव की रातों की नींद गायब हो सकती है. तेज प्रताप यादव ने महुआ में कुछ ऐसा ही भीष्म प्रतिज्ञा की, जो देवव्रत ने अपने पिता शांतनु के सत्यवती से विवाह करने के लिए ली थी. भीष्म पितामह की तरह तेज प्रताप यादव ने भी अपने समर्थकों को वचन दिया है कि जब तक वह जिंदा रहेंगे, महुआ की जनता का साथ नहीं छोड़ेंगे..
तेज प्रताप ने महुआ की जनता के बीच यह ऐलान कि वह ‘मरना कबूल करेंगे, लेकिन महुआ नहीं छोड़ेंगे’. तेज प्रताप के इस ऐलान के बाद आरजेडी प्रत्याशी की नींद तो गायब हो ही गई है, तेजस्वी यादव भी धर्मसंकट में फंस गए हैं. तेज प्रताप का यह बयान राजनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है. यह सिर्फ एक चुनावी वादा नहीं, बल्कि परिवार के भीतर और पार्टी के खिलाफ उनकी बगावत को एक नैतिक आधार देने की कोशिश है. यह बयान देकर तेज प्रताप खुद को कर्तव्यनिष्ठ और वचनबद्ध साबित करने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि परोक्ष रूप से वह परिवार और पार्टी के फैसलों के खिलाफ खड़े हैं.
तेज प्रताप यादव का बड़ा ऐलान
महाभारत में भीष्म ने जो प्रतिज्ञा ली थी, वह त्याग और उच्च नैतिकता का प्रतीक थी.तेज प्रताप इसे भुनाकर अपनी छवि एक त्यागी, जन-समर्पित नेता के रूप में स्थापित करना चाहते हैं, जो सत्ता नहीं बल्कि जनता की सेवा चाहता है. तेज प्रताप का तेजस्वी यादव के बेटे को ही अपना ‘सबकुछ सौंप देंगे’ वाला बयान भी देते हैं. छोटे भाई के प्रति स्नेह और आशीर्वाद भी जताते हैं, लेकिन दूसरी ओर यह एक लंबी राजनीतिक पारी खेलने और फिलहाल नेतृत्व छोड़ने से इनकार करने का स्पष्ट संकेत है. यह बताता है कि वह खुद को वंश के भविष्य के संरक्षक के रूप में देखते हैं, न कि वर्तमान के प्रतिस्पर्धी के रूप में.
महुआ के मौजूदा विधायक मुश्किल में
तेज प्रताप आरजेडी से अलग होकर अपनी पार्टी ‘जनशक्ति जनता दल’ के बैनर तले चुनाव लड़ रहे हैं. महुआ से उनका चुनाव लड़ना आरजेडी के मौजूदा विधायक मुकेश रोशन के लिए बड़ी चुनौती है, क्योंकि यह सीधे तौर पर यादव वोट बैंक में सेंध लगाएगा और पार्टी को अपनी ही सीट पर विभाजित कर देगा. तेज प्रताप के इस भावनात्मक दांव ने लालू परिवार और आरजेडी को एक धर्मसंकट में डाल दिया है. तेज प्रताप की बगावत तेजस्वी के नेतृत्व पर सवाल खड़ा करती है और विपक्ष को पारिवारिक कलह को हवा देने का मौका देती है.
तेज प्रताप का महुआ से चुनाव लड़ना आरजेडी को सीधे नुकसान पहुंचाएगा. तेजस्वी को अब न सिर्फ बाहरी विरोधियों से लड़ना है, बल्कि अपने ही भाई के कारण यादव-मुस्लिम समीकरण में होने वाले संभावित बिखराव को भी संभालना है. तेजस्वी को बहुत संयम से काम लेना होगा. भाई पर सीधा हमला करने से लालू परिवार की छवि और खराब होगी. उन्हें विकास और रोजगार के अपने एजेंडे पर अडिग रहते हुए तेज प्रताप की बगावत को अनर्गल या अप्रभावशाली बताने की कोशिश करनी होगी. लालू यादव के लिए यह फैसला सबसे कठिन है. एक तरफ बड़े बेटे का भावनात्मक विद्रोह है, तो दूसरी तरफ छोटे बेटे तेजस्वी का राजनीतिक भविष्य और पार्टी की एकता.
प्रखर न्यूज़ व्यूज एक्सप्रेस