इतिहास का सबसे बड़ा एंटी-नक्सल ऑपरेशन जारी , 7,000 जवानों की घेराबंदी से नक्सली हुए कमजोर
छ्त्तीसगढ़ और तेलंगाना के बॉर्डर पर चल रही मुठभेड़ के बीच नक्सल संगठन हिल चुका है. नक्सलियों ने सरकार से शांति वार्ता की अपील की है.

बीजापुर: तेलंगाना और बीजापुर के बार्डर एरिया में चल रही मुठभेड़ अभी भी जारी है. सूत्रों के मुताबिक जवानों ने माओवादियों के छिपने की एक गुफा का पता लगाया है. फोर्स जब इस गुफा तक पहुंची तो माओवादी वहां से भाग चुके थे.
1 हजार लोग इस गुफा में रह सकते हैं:बताया जा रहा है कि ये गुफा इतनी बड़ी है कि उसमें एक वक्त में 1 हजार से ज्यादा लोग छिपकर रह सकते हैं. माओवादियों के लिए ये सुरक्षित ठिकाना था लेकिन जवानों को अपनी ओर आता देख माओवादी यहां से भागने में कामयाब रहे. इस गुफा में सर्च ऑपरेशन पूरा करने के बाद जवान दुर्गमराज गुट्टा और कर्रेगुट्टा के पहाड़ में बने गुफाओं की सर्चिंग कर रहे हैं.
गुफा छोड़कर भागे नक्सली:सूत्र बताते हैं कि जवान जिस पहली गुफा में माओवादियों की तलाश में घुसे वहां तक पहुंचने में उनको 15 आईईडी को डिफ्यूज कर पहुंचना पड़ा. नक्सलियों ने गुफा के चारो और बम लगा रखे हैं. अब जिन दो गुफाओं की सर्चिंग की जा रही है वहां पर भी जवान काफी एहतियात बरत रहे हैं. शक है कि वहां पर भी माओवादियों ने कई बम लगा रखे हैं.
ऑपरेशन खत्म होने पर फोर्स दे सकती है जानकारी:फोर्स की ओर से अभी ये खुलासा नहीं हुआ है कि गुफा में उनको क्या क्या मिला. मुठभेड़ में कितने माओवादी मारे गए. कहा जा रहा है कि एनकाउंटर खत्म होने के बाद फोर्स अपनी ओर से मुठभेड़ से जुड़ी पूरी जानकारी मुहैया कराएगा.
दुर्गमगुट्टा और कर्रेगुट्टा की गुफाओं में सर्चिंग जारी:फोर्स दुर्गमगुट्टा और कर्रेगुट्टा की पहाड़ियों में बने गुफाओं तक पहुंच चुकी है. घने जंगलों के बीच इन गुफाओं में माओवादियों के छिपे होने की खबर है. फोर्स बड़ी सावधान के साथ लगातार आगे बढ़ रही है. घना जंगल और पहाड़ होने के चलते जवान फूंक फूंककर कदम आगे बढ़ा रहे हैं.
नक्सलियों के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा ऑपरेशन
छत्तीसगढ़ के इतिहास में पहली बार सुरक्षा बलों ने नक्सलियों के खिलाफ 'निर्णायक अभियान' छेड़ दिया है. इसका ऐलान सुरक्षा बलों ने खुद ही प्रेस नोट जारी करके किया है. दरअसल, नक्सलियों के खिलाफ बीते चार दिनों से छत्तीसगढ़, तेलंगाना और महाराष्ट्र की सीमाएं जहां मिलती हैं, वहां मुठभेड़ जारी है. बताया जा रहा है कि इस मुठभेड़ में करीब 10 हजार विशेष कमांडों ने सैकड़ों नक्सलियों को घेर रखा है. कर्रेगट्टा, नाडपल्ली और पुजारी कांकेर के घने जंगलों से घिरे इस इलाके को नक्सल बटालियन नंबर 1 का गढ़ माना जाता है. जानकार बताते हैं कि ये सामान्य घेराबंदी नहीं, यह युद्ध है — वो भी ऐसा जिसमें पीछे हटने का विकल्प नहीं है.
शांति वार्ता की पहल करने की अपील
यही नहीं भीषण गर्मी में भी जवानों का हौसला बुलंद है. लेकिन माओवादियों की हालत पस्त हो रही है. यही वजह हो सकती है कि माओवादियों के नेता रूपेश को एक प्रेस नोट जारी कर सरकार से अपील करना पड़ा कि ऑपरेशन को तुरंत रोका जाए और शांति वार्ता की पहल की जाए. कर्रेगुट्टा के पहाड़ियों में छिपे नक्सली लीडरों को एक तरफ पहाड़ के चारों तरफ जवानों कि घेराबंदी और गोलियों से मारे जाने का खतरा है तो वहीं दूसरी तरफ भीषण गर्मी और लंबे समय तक चल रहे मुठभेड़ से पहाड़ों में खाने और पानी की समस्या के कारण डिहाइड्रेशन से मौत का खतरा बढ़ गया है.