वक्फ कानून पर सुनवाई से कन्नी काटती सबसे बडी अदालत

राकेश अचल
भारत की सबसे बडी अदालत सबसे विवादास्पद वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में दायर याचिकाओं पर तत्काल सुनवाई से कन्नी काटती नजर आ रही है.की गई है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने तत्काल सुनवाई से इनकार किया है।
आपको बता दें कि सुको के मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने कहा है कि उल्लेख पत्र देखने के बाद अदालत निर्णय लेगी। वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। सोमवार को दायर की गई याचिका को लेकर भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने तत्काल सुनवाई से इनकार किया।
मजे की बात ये है कि पीठ ने ये बात जरूर कही कि जब ईमेल भेजकर तत्काल लिस्टिंग कराने की व्यवस्था है तो फिर मौलिक उल्लेख क्यों किया जा रहा है। पीठ ने कहा है कि उचित समय पर याचिका पर सुनवाई की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और ए एम सिंघवी ने पीठ के समक्ष तत्काल सुनवाई का आग्रह किया। पीठ ने कहा कि ईमेल के जरिए जब भेजने की व्यवस्था है तो तत्काल सुनवाई का कोई औचित्य नहीं। जिसके बाद सीजेआई ने फिर अपनी बात दोहराई कि हर रोज सभी मामले दोपहर में पेश किए जाते हैं, बाद मेंअदालत उन्हें सूचीबद्ध करने पर निर्णय लेती है।
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में अलग-अलग कुल 11 याचिका दायर की जा चुकी है। कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद, हैदराबाद से सांसद और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी, आप विधायक अमानतुल्ला खान, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी, केरल सुन्नी विद्वानों की संस्था केरल जमीयतुल उलेमा, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया की ओर से वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर याचिका दायर की गई है।
उल्लेखनीय है कि बैशाखियों पर टिकी मोदीजी की सरकार ने वक्फ बोर्ड के नये कानून को अपनी नाक का सवाल बना दिया है.संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा से वक्फ संशोधन अधिनियम पास होने के बाद पास होने के बाद बीते 5 अप्रैल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपनी मंजूरी दे दी।
आप शायद न भूले हों कि संसद में अधिनियम जब विधेयक के रूप में पेश हुआ तो विपक्ष द्वारा खूब हंगामा किया गया। लोकसभा में 2 अप्रैल को 12 घंटे की लंबी बहस के बाद वोटिंग हुई जिसमें 288 वोट पक्ष में जबकि 232 वोट बिल के विपक्ष में पड़े थे। वहीं उसके अगले दिन राज्यसभा में करीब 14 घंटे की बहस के बाद रात के 3 बजे वोटिंग हुई। इस दौरान पक्ष में 128 जबकि विपक्ष में 95 वोट पड़े थे.अब सत्ता पक्ष और संघ का वाट्सअप विश्वविद्यालय विधेयक का विरोध करने वाले सभी सांसदों को काफिर, राष्ट्रविरोधी यहहां तक कि जयचंद कहने से नहीं हिचक रहा.
मेरा अपना अनुभव कहता है कि मौजूदा मुख्य न्यायाधीश जस्टिस खन्ना इस नये कानून पर न तो जल्द सुनवाई करेंगे और न इस कानून के खिलाफ कोई फैसला देंगे. मुमकिन है कि वे देश के लिए दूसरे गोगोई बन जाएं.वैसे भी उन्हे 15मयी 2025को सेवानिवृत होना है. वे कोई इतिहास नहीं बनाना चाहेंगे. हालांकि उनके लिए ऐसा करने का मौका है.