खरतरगच्छ परंपरा के गौरव का प्रतीक — मोडल टाउन, सूरत में बाड़मेर भवन का जिनोद्धार एवं उद्घाटन समारोह

सूरत के मोडल टाउन स्थित बाड़मेर भवन में खरतरगच्छ परंपरा के गौरव का प्रतीक जिनोद्धार एवं उद्घाटन समारोह आचार्य भगवंत श्री जिनपियूषसागर सूरीश्वरजी म.सा. और साध्वीश्री प्रमोदिता श्रीजी म.सा. के सान्निध्य में संपन्न हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत शोभायात्रा और शांतिनाथ जिनालय में दर्शन से हुई। मुनिप्रवर श्री शाश्वतसागरजी म.सा. ने अपने प्रवचन में उपाश्रय की 22 वर्ष पुरानी धरोहर और इसकी धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्ता पर प्रकाश डाला।

खरतरगच्छ परंपरा के गौरव का प्रतीक — मोडल टाउन, सूरत में बाड़मेर भवन का जिनोद्धार एवं उद्घाटन समारोह

खरतरगच्छ परंपरा के उत्थान का प्रतीक — आचार्य जिनपियूषसागर सूरीश्वरजी म.सा. के सान्निध्य में मोडल टाउन सूरत स्थित बाड़मेर भवन का भव्य जिनोद्धार एवं उद्घाटन संपन्न

सूरत, युगनायक धर्मशिरोमणि संयमसारथी शाशनप्रभावक आचार्य भगवंत श्री जिनपियूषसागर सूरीश्वरजी म.सा. आदी ठाणा एवं प. पू. साध्वीश्री प्रमोदिता श्रीजी म.सा. आदी ठाणा*के पावन सान्निध्य में आज मोडल टाउन स्थित बाड़मेर भवन में अत्यंत भव्य एवं भावपूर्ण जिनोद्धार एवं उद्घाटन समारोह संपन्न हुआ।

आचार्यश्री एवं साध्वीश्री के साथ सकल श्रावक-श्राविका मंडल कुशल दर्शन दादावाड़ी से शोभायात्रा स्वरूप मोडल टाउन पहुँचा। मार्ग में शांतिनाथ जिनालय में प्रभु के दर्शन-बंदन एवं दादा गुरुदेव की प्रतिमा के पावन दर्शन कर, आचार्यश्री ने मंगलाचरण कर शासन-प्रभावना गीत प्रस्तुत किया। तत्पश्चात् मुनिप्रवर श्री शाश्वतसागरजी म.सा. के मंगल वचनों से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ।

मुनिश्री ने अपने प्रवचन में कहा—

“बाड़मेर जैन श्रीसंघ का यह उपाश्रय लगभग 22 वर्षों पुरानी धरोहर है, जिसने संघ को छोटे रूप से बढ़ाकर आज विशाल स्वरूप दिया है। अनेक श्रावक जो यहाँ से आगे बढ़ गए, उनके संस्कार आज भी इस भवन की दीवारों में बसे हैं। सभी को प्रति सप्ताह यहाँ आकर मंदिर-उपाश्रय दर्शन, समायिक व स्वाध्याय का लाभ लेना चाहिए।”

उन्होंने यह भी बताया कि इस उपाश्रय में जिनेश्वर धार्मिक पाठशाला में प्रतिदिन लगभग 100 बालक-बालिकाएँ ज्ञान आराधना में जुटी रहती हैं, जो संघ के उज्ज्वल भविष्य का प्रतीक है।

इस अवसर पर पहली बार खरतरगच्छ के संस्थापक आचार्य श्री जिनेश्वरसूरीजी म.सा. की स्मृति में महापूजन का आयोजन हुआ, जिसमें समस्त संघजनों ने भक्ति-भाव से सहभाग किया। संगीतमय पूजन, आरती और मंगलदीपक के मधुर वातावरण में उपस्थित श्रद्धालु भाव-विभोर हो उठे।

कार्यक्रम के समापन पर बाड़मेर जैन श्रीसंघ के वरिष्ठ सदस्य श्री चम्पालाल बोथरा ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा—

“आज का यह उपाश्रय केवल एक भवन नहीं, बल्कि हमारी परंपरा, हमारी संस्कृति और हमारी भावनाओं का सजीव प्रतीक है। इसने पुरानी स्मृतियों को फिर जीवंत कर दिया है। आचार्य भगवंत के चरणों से प्रेरणा लेकर हम सभी को संघ की सेवा, धर्म की आराधना और गुरु-भक्ति में निरंतर अग्रसर रहना चाहिए।”

उद्घाटन समारोह में अनेक श्रावक-श्राविकाएँ, बालक-बालिकाएँ एवं धर्मप्रेमी जन उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में अल्पाहार एवं मंगलकामना के साथ समारोह का समापन हुआ।

सादर:-चम्पालाल बोथरा( जैन ) 
सूरत