महापुरुषों की कोई जाति नहीं होती- गोपाल जी 

महापुरुषों की कोई जाति नहीं होती- गोपाल जी 

 ब्यूरो सुनील त्रिपाठी

कुंडा प्रतापगढ़। महाराणा संग्राम सिंह राणा सांगा के जयंती पर करणी सेना द्वारा, आगरा में आयोजित रक्त सम्मान समारोह में ,शनिवार को जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व कैबिनेट मंत्री कुंडा विधायक कुंवर रघुराज प्रताप सिंह राजा भइया के निर्देश पर पूर्व सांसद वर्तमान एमएलसी कुंवर अक्षय प्रताप सिंह गोपाल जी, राष्ट्रीय महासचिव डॉक्टर कैलाश नाथ ओझा प्रदेश अध्यक्ष बाबागंज विधायक विनोद सरोज, जिला पंचायत अध्यक्ष प्रतापगढ़ प्रतिनिधि कुलदीप पटेल,प्रदेश महासचिव बृजेश सिंह राजावत के नेतृत्व में सैकड़ों वाहनों के काफिलों के साथ भारी संख्या में जनसत्ता दल के कार्यकर्ताओं ने आगरा में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए, कार्यक्रम में पहुंचे गोपाल जी ने कहा कि महापुरुषों की कोई जात नहीं होती और वह किसी एक बिरादरी के लिए नहीं सोचते सर्व समाज को साथ लेकर चलते हैं। इस दौरान वरिष्ठ समाजसेवी गंगा एक्सप्रेसवे के ठेकेदार धनंजय सिंह मनोज कनावा, अनूप सिंह, रमेश ओझा, रवि सिंह, विनोद पटेल जिला पंचायत सदस्य, संजय सिंह बछरौली, नफीस चौधरी, यमराज सिंह, अतुल सिंह राणा, युवराज सिंह मनगढ़ अमित पांडेय सहित हजारों जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के कार्यकर्ता मौजूद है।

वीरता स्वाभिमान और त्याग की मिसाल महाराणा सांगा जी को जनसत्ता दल की सच्ची श्रद्धांजलि

शनिवार को महाराणा संग्राम सिंह (राणा सांगा) की जयंती पर जनसत्ता दल के कार्यकर्ताओं ने चित्र पर पुष्प अर्पित करके सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित किए। पत्रकारों से बातचीत करते हुए पूर्व ब्लाक प्रमुख कुंडा वर्तमान जिला पंचायत सदस्य बबलू सिंह बछरौली ने कहां की राणा सांगा वीरता और वचन के प्रतीक थे । उन्होंने अपने जीवन काल में सनातन संस्कृति की रक्षा के लिए 100 युद्ध लड़े। सभी युद्धों में उन्हें विजय प्राप्त हुई। उस समय सनातन धर्म और संस्कृति खतरे में थी। कई प्राचीन सभ्यताएं और साम्राज्य नष्ट किया जा रहे थे। ऐसी विषम परिस्थितियों में राणा सांगा ने स्वाभिमान की ज्योति जलाए रखी। आगे उन्होंने कहा कि कि मेवाड़ के राजा राणा सांगा अपनी पत्नी रानी झाली के साथ काशी आते है, उन्हें पता लगता है कि कोई संत रविदास जी है जिनकी वाणी का प्रकाश बड़े स्तर पर फैल रहा है, वो स्वयं अपनी पत्नी झाली के साथ गुरु रविदास जी से मिलने जाते है और पहली मुलाकात में ही राणा सांगा व उनकी पत्नी महारानी झाली इतना प्रभावित होती है कि गुरु रविदास को अपना गुरु बना लेती है।

उन्होंने देश में स्वतंत्रता की भावना जागृत की। यही कारण था कि बाद में स्वतंत्रता संग्राम के दौरान वे सेनानियों के लिए प्रेरणा स्रोत बने । आज सभी देशवासियों को राणा सांगा की वीरता और राष्ट्रभक्त से सीख लेनी चाहिए