कांग्रेस अधिवेशन: ‘न्यायपथ’ पर कांग्रेस का संकल्प, पटेल की विरासत पर BJP के दावे को बताया छलावा
अहमदाबाद में कांग्रेस के अधिवेशन में 'न्याय-पथ' प्रस्ताव पारित किया गया. इसमें देश के तमाम मुद्दों पर कांग्रेस के संकल्प और मौजूदा केंद्र सरकार पर हमला बोला गया है. संविधान, महंगाई, बेरोजगारी, किसान, आर्थिक असमानता, ध्रुवीकरण, अमेरिकी टैरिफ जैसे मुद्दों को लेकर बीजेपी को घेरा गया है.

गुजरात के अहमदाबाद में कांग्रेस के अधिवेशन में ‘न्याय-पथ’ प्रस्ताव पारित किया गया. इसमें कहा गया है कि महात्मा गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष चुने जाने के शताब्दी वर्ष में और सरदार वल्लभ भाई पटेल के 150वें जयंती वर्ष में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ‘न्याय-पथ’ का संकल्प लेती है. न्याय-पथ क्यों? इसकी कांग्रेस ने वजह भी बताई है. पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि सरदार पटेल ने कहा था जब जनता एकजुट हो जाती है तब क्रूर से क्रूर शासन भी उसके सामने नहीं टिक सकता. आज भाजपा सरकार ने देशवासियों के साथ महंगाई, बेरोजगारी, आर्थिक असमानता, ध्रुवीकरण और क्रूरता की सारी हदें पार कर कुठाराघात किया है. यही नहीं सरकार में बैठे हुक्मरानों ने सत्ता की स्वार्थ सिद्धि के लिए संविधान पर सीधा हमला बोल रखा है. आइए जानते हैं अधिवेशन में पारित प्रस्ताव की खास बातें.
पारित प्रस्ताव में कहा गया है, कांग्रेस का राष्ट्रवाद समाज को जोड़ने का है. भाजपा-आरएसएस का राष्ट्रवाद समाज को तोड़ने का है. कांग्रेस का राष्ट्रवाद भारत की अनेकता को एकता में पिरोने का है. भाजपा-आरएसएस का राष्ट्रवाद भारत की अनेकता को खत्म करने का है. कांग्रेस का राष्ट्रवाद हमारी साझी विरासत में निहित है और भाजपा-आरएसएस का राष्ट्रवाद पूर्वाग्रह से ग्रसित है.
प्रजातंत्र की प्रहरी, संविधान की रक्षक कांग्रेस
भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ. बाबा साहेब ने खुद 25 नवंबर 1949 को संविधान सभा में कहा था कि कांग्रेस पार्टी के बिना संविधान बनाना असंभव था. संविधान ने एक क्षण में हजारों सालों के भेदभाव, रूढ़ियों की बेड़ियों और दासता को तोड़कर आजाद भारत में सबको समानता, न्याय व बराबरी का अधिकार दिया. पर भाजपा के पितृ-संगठन, आरएसएस-जनसंघ के नेताओं को भारत का संविधान रास नहीं आया और उन्होंने संविधान को खारिज करना शुरू कर दिया. संविधान में दिए अधिकारों के प्रति उनकी यह दुर्भावना आज तक कायम है.
जैसे ही भाजपा पहली बार केंद्र सरकार में सत्ता में आई तो फरवरी 2000 में ‘संविधान की समीक्षा’ के लिए आयोग बनाकर संविधान पर आक्रमण की साजिश की. पर कांग्रेस के विरोध के चलते उनके मंसूबे कामयाब नहीं हो सके. साल 2024 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर भाजपा के नेताओं व उनके संसदीय उम्मीदवारों ने 400 पार का नारा देकर संविधान को बदलने की अपनी दुर्भावना का खुलकर इजहार किया. पर देशवासियों ने एक बार फिर भाजपाई सत्ता को बैसाखियों पर लाकर उनकी बदनीयति पर पानी फेर दिया. इसके बावजूद भी 17 दिसंबर 2024 को गृह मंत्री ने राज्यसभा में बाबा साहेब अंबेडकर का अपमान किया. भाजपा के संवैधानिक संस्थाओं पर हमले बदस्तूर जारी हैं.
न्याय का संकल्प – संघर्ष का पथ!
आज महात्मा गांधी और सरदार पटेल की पावन भूमि देश भर से आए कांग्रेस कार्यकर्ताओं से आह्वान कर रही है कि हम सब एकजुट हो जाएं और पूरी दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ न्याय का संकल्प लेकर संघर्ष के पथ पर आगे बढ़ते जाएं. आज देश बेहद कठिन दौर से गुजर रहा है. अपने सब साथी कार्यकर्ताओं की मौजूदगी में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस यह प्रतिज्ञा लेती है कि कांग्रेस अपनी असीम संगठनात्मक क्षमता, दक्षता और कार्यकुशलता के आधार का अधिकाधिक विस्तार करेगी और भारतवासियों के लिए न्याय के संघर्ष का संकल्प साकार करेगी. यह संघर्ष रंग लाएगा और न्याय को विजय दिलाएगा.
बीजेपी आरएसएस पर राहुल गांधी ने साधा निशाना
अहमदाबाद अधिवेशन में राहुल गांधी ने बीजेपी समेत आरएसएस के खिलाफ जमकर आग उगला. लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा “आरएसएस की विचारधारा संविधान के खिलाफ है. वे लोकतंत्र को खत्म करना चाहते हैं. वे भारत की सभी संस्थाओं पर नियंत्रण करना चाहते हैं और देश का पैसा अंबानी अडानी को सौंपना चाहते हैं. वक्फ संशोधन विधेयक धार्मिक स्वतंत्रता और संविधान पर हमला है. हमारे दलित नेता टीकाराम जूली के मंदिर जाने के बाद बीजेपी नेताओं ने मंदिर की सफाई करवाई. यह हमारा धर्म नहीं है.”