अकेले ओवैसी के पास लगभग 3 हजार करोड़ की संपत्ति, वक्फ में बदलाव जरूरी: जावेद अहमद

अकेले ओवैसी के पास लगभग 3 हजार करोड़ की संपत्ति, वक्फ में बदलाव जरूरी: जावेद अहमद

पिछड़े, कमजोर, असहाय और ग़रीब मुस्लिमों के साथ वक्फ बोर्ड का ये अन्याय क्यों?

क्यों इसका फायदा जरूरतमंदों, पिछड़े, कमजोर, असहाय और ग़रीब मुस्लिमों तक नहीं पहुंचता?

जिन देशों में इस्लामिक कानून है, वहां भी वक्फ नहीं है, फिर भारत में ही ये सब क्यों?

नई दिल्ली। वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड प्रदर्शन कर रहा है। कई धार्मिक-सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि और सिविल सोसाइटी के नेता भी प्रदर्शन का हिस्सा बन रहे हैं। वक्फ बिल के विरोध में शामिल होने के लिए गठबंधन ने बड़े बड़े नेता धरना स्थल पर पहुंच रहे हैं और प्रदर्शन में शामिल होकर कह रहे हैं कि भाईचार खत्म किया जा रहा है, लोकतंत्र खत्म हो रहा है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने को वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन की घोषणा की थी, जिसमें पहले चरण के तहत क्रमशः 26 और 29 मार्च को बड़े पैमाने पर धरना देने की योजना बनाई गई।

AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी सहित कई मुस्लिम लीडर इस बदलाव को धार्मिक आजादी से छेड़छाड़ बता रहे हैं. तो, वक्फ वेलफेयर फोरम के चेयरमैन जावेद अहमद ने सरकार की मंशा सही बताते हुए दावा किया कि नया बिल अगर ढंग से लागू हो सका तो माइनोरिटी को काफी फायदा होगा. कई मुस्लिम देशों में भी वक्फ नहीं है. जहां इस्लामिक कानून है, वहां अलग से कोई वक्फ कानून नहीं होता लेकिन वो काम फंक्शनल है. फिर भारत में ही ये सब क्यों?

AIMIMओवैसी के पास वक्फ की 3 हजार करोड़ से ज्यादा की प्रॉपर्टी है. उनके अलावा भी बहुत से लीडर और मजहबी संस्थाएं हैं, जिन्होंने वक्फ की संपत्ति लीज पर ले रखी है. मामूली किराये के साथ ये प्रॉपर्टी सालों से उनके पास है. इसका फायदा जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच रहा. ओवैसी जैसे नेता लगातार बिल के खिलाफ बोल रहे हैं. लेकिन तेलंगाना में 3 हजार करोड़ या इससे कुछ ज्यादा की प्रॉपर्टी पर ओवैसी का काम हो रहा है. ये प्रॉपर्टी वक्फ की है. एक्ट कहता है कि 30 सालों से ज्यादा वक्फ की दौलत लीज पर नहीं ली जा सकती. लेकिन इसके फॉलो नहीं किया जा रहा. साथ ही बदले में वक्फ को बहुत नॉमिनल किराया मिलता है, जबकि नियम से ये रेंट बाजार के हिसाब का होना चाहिए. ऐसे कई मजहबी नेता है जो वक्फ की प्रॉपर्टी को सालों से लीज पर लिए हुए हैं. दिल्ली में जमात ए उलेमा हिंद के पास काफी संपत्ति है, जो वक्फ की है. लेकिन इसका फायदा न बोर्ड को हो रहा है, न ही वंचित मुस्लिमों को. आईटीओ मस्जिद अब्दुल नबी के अलावा देश के कई राज्यों में इसके पास संपत्ति का एकाधिकार है. इसी तरह से महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष काजी समीर ने वक्फ की 275 एकड़ पर अतिक्रमण कर रखा है. ऐसे दो सौ नेता और संस्थान होंगे. अगर बिल आ गया तो पारदर्शिता आएगी. यही वजह हो सकती है.

वक्फ एक्ट में संशोधन हुआ तो काफी कुछ सामने आएगा. इस बीच वक्फ वेलफेयर फोरम के चेयरमैन जावेद अहमद ने सरकार की मंशा सही बताते हुए दावा किया कि नया बिल अगर ढंग से लागू हो सका तो माइनोरिटी को काफी फायदा होगा. अमेंडमेंट सरकार की रेगुलर प्रक्रिया का हिस्सा है.सालों पहले वक्फ में कई बार बदलाव हुआ था,अमेंडमेंट सरकार की रेगुलर प्रक्रिया का हिस्सा है. बदलाव उस दौर की जरूरत के मुताबिक होते हैं. जैसे साल 2013 में जो भावना थी, संशोधन उसे देखते हुए हुए. लेकिन सुधार की गुंजाइश रह गई थी. इसलिए अब दोबारा सुधार की बात उठी. मिसाल के तौर पर वक्फ के पास बेजा कब्जा हटाने की पावर नहीं. वे कह तो सकता है लेकिन डीएम उसे मानने को बाध्य नहीं. इस वजह से वक्फ की जमीन पर अतिक्रमण हो जाता है. सरकार की मंशा ठीक लगती है. वो जनहित में काम करेगी. वक्फ की प्रॉपर्टी का भी अगर वैरिफिकेशन हो तो बहुत सी छूटी हुई संपत्ति लौटेंगी.