पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया था कि कमलनाथ सरकार में ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरफ से गोविंद सिंह राजपूत को परिवहन और राजस्व विभाग देने का दबाव था। बाद में शिवराज सरकार में भी यही हुआ। इसके जवाब में गुरुवार को कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन सेंटर में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, दिग्विजय को कोई गंभीरता से नहीं लेता।
राजपूत ने कहा कि जांच एजेंसियां अपना काम कर रही हैं। जिनके घर शीशे के होते हैं वे दूसरों के मकान पर पत्थर नहीं फेंका करते। बात निकली है तो दूर तलक जाएगी। जब उनसे पूछा कि इस डायलॉग के क्या मायने हैं। इस पर उन्होंने कहा, कांग्रेस काल में दिग्विजय सिंह का परिवहन विभाग से कितना लगाव था, यह सब जानते हैं।
दरअसल, आरटीओ के पूर्व कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा के यहां छापेमारी में कैश, गोल्ड और करोड़ों की संपत्ति मिली है। एक डायरी भी मिली है, जिसमें कई जिलों के आरटीओ के नंबर और एक साल में हुआ करोड़ों का लेनदेन लिखा है। जिससे कई अफसर जांच के घेरे में हैं। परिवहन विभाग में भ्रष्टाचार का खुलासा होने को लेकर दिग्विजय सिंह पीएम मोदी के पत्र लिखकर इस केस से लोकायुक्त को हटाकर ईडी और आयकर विभाग को सौंपने की मां की है।
भोपाल पहुंचे दिग्विजय सिंह ने कहा था कि जब कमलनाथ की सरकार बनी थी, तब उन पर ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरफ से दबाव था कि परिवहन और राजस्व विभाग गोविंद सिंह राजपूत को दिया जाए। इसके बाद हमारी सरकार ने एक बोर्ड का गठन किया था, जो यह फैसला करता था कि कहां किसकी पोस्टिंग होगी।
मुझे जानकारी है कि जब शिवराज सिंह चौहान फिर से मुख्यमंत्री बने तो सिंधिया जी ने दबाव डालकर बोर्ड भंग करवा दिया। परिवहन विभाग गोविंद सिंह राजपूत को फिर सौंप दिया गया। इसके बाद एक नई प्रक्रिया शुरू हो गई। वसूली करने वाले व्यक्ति यानी कटर की नियुक्ति होने लगी।
दिग्विजय ने कहा था- सौरभ शर्मा नाकों पर वसूली करता था दिग्विजय ने कहा था कि सौरभ शर्मा को कटर बताते हुए कहा कि वह टोल नाकों पर वसूली करता था। उसके साथ संजय श्रीवास्तव, वीरेश तुमरात और दशरथ सिंह पटेल नाकों की नीलामी करके वसूली करते थे। वसूली का पैसा कहां जाता था, इसकी जांच अगर इनकम टैक्स अथॉरिटी करे तो मनी ट्रेल का पता चल जाएगा। मनी ट्रेल का पता लगते ही प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) में गिरफ्तारी होनी चाहिए।
दिग्विजय ने कहा- 20 साल भ्रष्टाचार का आलम रहा
दिग्विजय सिंह बोले कि प्रधानमंत्री जी ने कहा था कि ना खाऊंगा ना खाने दूंगा। उन्होंने पूछा आपके कार्यकाल में किसी नेता या अधिकारी को भ्रष्टाचार में कोई सजा दिलवाई हो तो बता दीजिए।
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से पूछा कि 20 साल के शासन में भ्रष्टाचार के प्रकरण में कार्रवाई की हो या किसी को सजा दी हो तो बताइए।
खूब खाओ, खूब खिलाओ और पकड़े जाओ तो हम बैठे हैं। इसी कारण पूरे 20 साल भ्रष्टाचार का आलम रहा।
फूड सिविल सप्लाई विभाग में हर महीने कहां-कहां से राशि आ रही है, इस पर भी मेरी रिसर्च जारी है।
वेयर हाउसिंग कॉर्पोरेशन आलोट में भाजपा के 2 लोगों ने वेयरहाउस से 1200 बोरी माल निकाल लिया। वेयर हाउस में जो गेट लगता है उसकी पट्टी को काट देते थे। इससे ताला तो लगा रहता है लेकिन गेट खुल जाता है। पट्टी काटकर कॉर्पोरेशन से अच्छा माल निकाल दिया जाता था और मिट्टी भरा माल डाल दिया जाता था।
वेयरहाउस मैनेजर शर्मा ने शिकायत की, लेकिन अधिकारियों ने संज्ञान नहीं लिया तो उसने आत्महत्या कर ली। उसने सुसाइड नोट में मनोज काला और राजेश परमार का नाम लिखा है। इन दोनों के वेयरहाउस से 1200 बोरी निकाल ली गई थी।