सूरत,भारतीय अर्थव्यवस्था हमेशा कृषि प्रधान रही है । कृषि के बाद भारत के विकास और रोज़गार में योगदान देने वाला है कपड़ा । कपड़ा उद्योग ने अर्थव्यवस्था व रोज़गार को बढ़ाने के हर समय बढ़ती देश की आबादी के साथ साथ रोज़गार पैदा करने में भी अहम् भूमिका निभाई है ।
कपड़ा उद्योग भारतीय अर्थव्यवस्था में कुल सकल घरेलू उत्पादन के 2% से अधिक और विनिर्माण क्षेत्र के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 12% से अधिक उत्पादन करता है । यह अनुमानित 45 मिलियन लोगो को प्रत्यक्ष रूप से और अन्य 60मिलियन लोगो को अप्रत्यक्ष रूप से रोज़गार प्रदान करता है ।कपड़ा क्षेत्र अत्यधिक श्रम वाला होने के साथ साथ अकुशल और अर्धकुशल श्रम शक्ति को भी रोज़गार देता है ।यह वर्षों से महिलाओं के लिए रोज़गार का एक महत्वपूर्ण स्रोत भी है
बांग्लादेश में सियासी उथल पुथल के बाद वहाँ के हालात ने तथा अमेरिका के चुनाव में डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के बाद उनके चायना के प्रति टैरिफ़ बढ़ाने के बयानों से लगता है भारत को एक बार फिर वैश्विक कपड़ा बाज़ार में अपना दबदबा बना सकता है । भारत सरकार और राज्य सरकारे यदि कपड़ा उद्योग को नीतिगत नीतियों को धरातल
स्थिति को ध्यान रखकर प्राथमिकता दे तो व्यापार व रोज़गार बढ़ सकता है ।
भारत टेक्सटाइल इण्डस्ट्रीज का हब बने इसके लिए समझना होगा कि कपड़ा उद्योग में वर्तमान में चायना का दबदबा है भारत अभी कपड़ा निर्यात में पाँचवे स्थान पर है । जबकि भारत का कपड़ा उद्योग 5 हज़ार सालों से भी अधिक पुराना है इसकी शुरुआत गाँवों में हथकरघा के रूप में हुई थी जो अब आधुनिक कपड़ा मिलो तक आ गई है । भारत के कपडे विदेशों में हमारी पहचान उस समय भी बन गये थे । प्राचीन ग्रीस और बेबीलोन में भारत से
कपास पश्चिमी देशों को निर्यात की जाने वाली सबसे महत्वपूर्ण वस्तुयें थी । उस जमाने में टेक्सटाइल यानी कपड़ा उद्योग में भारत की तूती बोलती थी यहाँ से दुनिया भर के बाज़ारो में कपड़ा का निर्यात होता था लेकिन अब चीन, जर्मनी , वियतनाम और बांग्लादेश में कपड़ा बाज़ार पर अपनी मज़बूत पकड़ बना ली है ।
हालाँकि वर्तमान परिस्थितियो में बांग्लादेश में सियासी उथलपुथल और हिंसा तथा अमेरिका के ट्रम्प सरकार द्वारा चायना के सामने टैरिफ़ को 60% को करने की बातें भारत के लिए व्यापार बढ़ाने की संभावनाओं के दरवाज़े खोल दिए है ।
आज चायना का उत्पादन लागत काफ़ी कम है और उसके पास उन्नत मशीनरी भी है । वहाँ अच्छा कच्चा रॉ मैटेरियल भी काफ़ी आसानी से उपलब्ध है इसलिए चायना का नंबर एक पे स्थान हैं उसके बाद जर्मनी ,वियेतनाम और बांग्लादेश का का नम्बर आता है भारत 5 वें स्थान पर है । समझने वाली बात ये है कि बांग्लादेश जैसा देश हमसे आगे कैसे है जबकि भारत की टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज़ 150 अरब डॉलर की है वही बांग्लादेश की इंडस्ट्रीज़ साइज में काफ़ी छोटी है फिर भी निर्यात मामले में वह हमारे से आगे है वर्तमान में भारत का निर्यात 40 अरब डॉलर का है तो बांग्लादेश का निर्यात 45 अरब डालर का है ।
भारत का रेडीमेड गारमेंट एक्सपोर्ट बांग्लादेश के सामने एक तिहाई है ।
कनफ़ेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के टेक्सटाइल & गारमेंट कमेटी के राष्ट्रीय चेयरमैन (CAIT) ने अमेरिका के राष्टपति के रूप में डोनाल्ड ट्रम्प का कपड़ा उद्योग स्वागत करता है और उम्मीद जताते है कि इससे भारत के कपड़ा और परिधान के व्यापार को अपने सबसे बड़े अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार के साथ मज़बूती मिलेगी ।
भारत का 2023 में टेक्सटाइल & एपेरिल का निर्यात अमेरिका में लगभग 27% था । भारत के अप्रैल से अगस्त के आँकडो के अनुसार 6% हिस्सा एक्सपोर्ट का बढ़ा है । चीन 2% वियतनाम 0.4 % बांग्लादेश 2.2% की गिरावट दर्ज की गयी है ।
भारत का बढ़ता एक्सपोर्ट अमेरिकी ख़रीददार द्वारा लोगो की बढ़ती पसंद को दर्शाता है।
अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प के बयान के अनुसार चायना पे निर्भरता कम करने और टैरिफ़60% बढ़ा के लगाने की बात का ध्यान करे तो भारत अमेरिकी बाज़ार में अपनी स्थिति मज़बूत करने की स्थिति में आ सकता है ।
भारत के लिए वर्तमान में उच्च टैरिफ़ दरो के रूप में एक्सपोर्ट करना एक मुख्य बाधा बना हुआ है । अमेरिका और भारत मिलके काम करे तो भारत एक बड़ा अमेरिका में आपूर्तिकर्ता के रूप में स्थापित हो सकता है ।
इसके लिए भारत सरकार और राज्य सरकारों को प्राथमिकता से कदम उठाकर नीतिगत सुधारो में बिना समय गवायें आगे आना होगा
घरेलू कपड़ा उद्योग को प्रोत्साहन देना होगा ।
कच्चा रो मैटेरियल की उपलब्धता और उन्नत मशीनरी का व्यवस्था करना होगा ।
कपास उत्पादन को बढ़ाना और मैन मेड फ़ाइबर को प्रोत्साहन देना होगा ।
यूरोप , अमेरिका जैसे बड़े कपड़ा बाज़ारो में अपने GSP/ FTA एग्रिमेंट करने में अपनी पहुँच बढ़ानी होगी ।
टेक्सटाइल उद्योग की देश विदेश में ब्रांडिंग मार्केटिंग में पहुँच बढ़ाने वाली मदद और सरकारी प्लानिंग करनी होगी
कपड़े पे सभी देशों की लागत कॉस्ट का अध्यन कर घरेलू व्यापारियो को ड्यूटी ,इंसेंटिव आदि का लाभ देना होगा ।
कौशल विकास को बढ़ाना होगा ।
एमएसएमई में सभी व्यापारियो के लिये समान नीति बनाके छोटे बड़े सभी उद्योग को एक समान धारा में जोड़कर काम में सहयोग देना होगा । क्योंकि टेक्सटाइल प्रोसेस इंडस्ट्रीज़ सर्विस इंडस्ट्रीज़ ज़्यादा है । जो लागत लगा के माल को फाइनल प्रोडक्ट बनाके ग्राहक को बेच सरकार को टैक्स रेवन्यू दिलाता है उसको लाभ मिले।
टेक्सटाइल में आयकर की धारा 43B(h) की समीक्षा कर पेमेंट समय सीमा 90 दिन कर सभी एमएसएमई 250 करोड़ तक काम करने वाले के लिए समान क़ानून बने ।
गारमेंट में घर घर महिला को गली मोहल्ले में ट्रेनिंग सेंटर खोल के कौशल बनाया जाये और उन्हें घर से काम के लिए प्रोहत्साहित करगारमेंट सिलाई का पैकिंग का काम दिलाया जाये तो छोटे छोटे व्यापारी की लागत कॉस्ट कम आएगी और वो ऑनलाइन डोमेस्टिक बाज़ारो मे अपना व्यापार बढ़ा सकेंगे ।
शीघ्र ही कनफ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के राष्ट्रीय महामंत्री एवम् सांसद श्री प्रवीण खंडेलवाल जी के साथ टेक्सटाइल & गारमेंट कमेटी कपड़ा मंत्रालय , वाणिजय मंत्रालय , वित्त मंत्रालय में अपनी रजुआत करेगी ।