High Court Lawyer Suicide: ग्वालियर में एक चौंकाने वाली घटना में हाईकोर्ट (High Court Lawyer) के प्रसिद्ध वकील सुरेश अग्रवाल का शव उनके बलवंत नगर स्थित फ्लैट में फांसी के फंदे पर लटका मिला। अग्रवाल ने यह फ्लैट तीन महीने पहले ही खरीदा था। वे सम्राट मिहिर भोज जाति विवाद और संत पॉल चर्च के फादर की मौत के मामलों में अपनी पैरवी के लिए जाने जाते थे। इसके अलावा भी कई बड़े केसों में वे पैरवी कर चुके थे। खुद उनपर जज से अभद्रता मामले में केस चल रहा है जिसकी सुनवाई अगले 2 दिन में होनी है।
शव के पास में मिली जन्म कुंडली
हाईकोर्ट के वकील सुरेश अग्रवाल (Lawyer Suicide Case) को 4 महीने पहले बार एसोसिएशन निलंबित हो गए थे। जिसके बाद से डिप्रेशन में चल रहे थे। उनका शव उनके फ्लैट में फांसी के फंदे पर लटका मिला।उनके खिलाफ क्रिमिनल केस भी चल रहा था जिसकी सुनवाई अगले 2 दिन में होनी है। पुलिस ने बताया कि निलंबन के बाद से वे डिप्रेशन में थे और इसका इलाज भी करा रहे थे। उनके शव के पास बचपन की जन्म कुंडली मिली। वकील का पोस्टमॉर्टम आज यानी सोमवार को होगा।
सुबह घर से निकले ऑफिस नहीं पहुंचे
सुरेश अग्रवाल, थाटीपुर के रहने वाले हैं। रविवार सुबह 9 बजे घर से निकले थे, लेकिन ऑफिस नहीं पहुंचे। परिजन और वकील साथियों ने शाम को जब उनकी तलाश की, तो पता चला कि वे मनोहर एन्क्लेव स्थित अपने फ्लैट पर हैं। वहां पहुंचे तो उनका शव फांसी के फंदे पर मिला। विश्वविद्यालय थाना पुलिस और फोरेंसिक एक्सपर्ट ने घटनास्थल की जांच की और शव को कब्जे में लिया
शव के पास मिली जन्मपत्रि और एक रजिस्टर
पुलिस को वकील के शव के पास से एक जन्मपत्रि और एक रजिस्टर मिला। जन्म पत्रिका सुरेश अग्रवाल की ही है जिसे बचपन में हाथ से बनाया गया था। पास ही में एक रजिस्टर रखा हुआ था। इसमें वे अपने रूटीन की बातें लिखते थे। जून 2024 के बाद से इसमें कुछ भी नहीं लिखा गया। पुलिस को आशंका है कि लगातार चीजें खराब होने के कारण वे डिप्रेशन में चले गए थे
इन केसों में पैरवी कर चुके थे सुरेश
– सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा मामला: उन्होंने इस मामले में स्वतंत्र याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी की, जिसके बाद हाईकोर्ट ने प्रतिमा को फैसला नहीं आने तक ढकने का आदेश दिया।
– फादर थॉमस थन्नॉट की मौत का मामला: अग्रवाल ने इस मामले को उठाया, जिसमें फादर की बहन ने हत्या की आशंका जताई थी। इसके बाद पोस्टमार्टम कराया गया।
– आर्य समाज में बिना अनुमति के शादियों का मामला: उन्होंने इस मामले में भी याचिका दायर की, जिसके बाद हाईकोर्ट ने ऐसी शादियों पर रोक लगा दी और माता-पिता की सहमति अनिवार्य की।
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