अक्षय तातेड़ के खिलाफ लगाया मिथ्या अपहरण केस, परिजनों ने निष्पक्ष जांच की मांग की
बैतूल। व्यवसायी अक्षय तातेड़ पर उनके पुराने मित्र हिमांशु दुबे द्वारा अपहरण का आरोप लगाए जाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। शहर के वरिष्ठ नागरिकों ने अक्षय के पक्ष में आगे आकर एडिशनल एसपी को बताया कि अपहरण की यह पूरी कहानी झूठी है। मोटी रकम वापस नहीं करने की नियत से आवेदक पर अपहरण के मिथ्या आरोप लगाए गए हैं। इस पूरे मामले में पुलिस को भी गुमराह किया गया है।
अक्षय का दावा है कि उन्होंने हिमांशु को कारोबारी और पारिवारिक जरूरतों के चलते 20-25 लाख रुपये उधार दिए थे, जो अब लौटाए नहीं जा रहे हैं। जब उन्होंने अपनी रकम वापस मांगी, तो हिमांशु ने पुलिस में मिथ्या सूचना देकर अपहरण का केस दर्ज करा दिया। अक्षय के परिजनों और शहर के वरिष्ठ नागरिकों ने पुलिस से इस मामले की निष्पक्ष जांच और मिथ्या आरोप से मुक्त करने की मांग की है। उनका कहना है कि यह सिर्फ एक झूठी कहानी है, जो उधार के पैसे वापस नहीं देने के चलते गढ़ी गई है।
एडिशनल एसपी को सौंपे गए ज्ञापन में परिजनों ने बताया कि यह मामला पैसों के लेन-देन से संबंधित विवाद का नतीजा है, जिसे गलत तरीके से अपहरण का रूप देकर अपराध दर्ज करवाया गया है।
अक्षय तातेड़, पिता प्रकाश चंद्र तातेड़ ने बताया कि वह समाजसेवी और व्यवसायी हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके पुराने पारिवारिक मित्र हिमांशु दुबे ने उनकी ओर से दिए गए 20-25 लाख रुपये वापस नहीं लौटाए। अक्षय का कहना है कि इन पैसों का लेन-देन बैंक खातों के माध्यम से किया गया था, और उनके पास इस लेन-देन का प्रमाण भी है।
अक्षय तातेड़ के अनुसार, हिमांशु दुबे ने पैसों की मांग पर उन्हें चैक तो दिया, लेकिन चैक का भुगतान कराने से रोक दिया। साथ ही, हिमांशु ने लंबे समय से उनकी एवेंजर बाइक को भी अपने पास रख लिया है और मात्र 16 हजार रुपये के लिए उसे बंधक बना दिया। अक्षय ने बताया कि बार-बार पैसे और वाहन की मांग करने पर हिमांशु उनसे बचने लगा और उनका व्यवहार बदल गया।
झूठे अपहरण के आरोप का दावा
अक्षय के अनुसार, जब उन्होंने हिमांशु से पैसों की वापसी के बारे में बातचीत की तो उसी दौरान अचानक पुलिस का फोन आया और उन्हें सूचित किया गया कि उनके खिलाफ अपहरण का मामला दर्ज हो गया है। पुलिस को दी गई इस सूचना में यह कहा गया कि अक्षय ने हिमांशु का अपहरण कर लिया है, जबकि अक्षय का कहना है कि यह झूठी रिपोर्ट दर्ज करवाई गई है ताकि वह पुलिस के कानूनी अधिकारों का गलत इस्तेमाल कर सकें।
निष्पक्ष जांच की मांग
परिजनों ने पुलिस अधीक्षक से अनुरोध किया है कि इस मामले की गहराई से जांच की जाए और बैंक खातों के स्टेटमेंट्स की जांच कर यह सुनिश्चित किया जाए कि अक्षय पर लगाए गए आरोप मिथ्या हैं। उनका कहना है कि यदि बैंक खातों की जांच की जाती है, तो सच्चाई सामने आ जाएगी कि यह विवाद सिर्फ पैसों की लेन-देन से जुड़ा है और इसमें अपहरण जैसी कोई घटना नहीं हुई है।
पुलिस को गुमराह करने का आरोप
अक्षय के परिवार का आरोप है कि हिमांशु दुबे ने पुलिस को गुमराह करते हुए झूठी सूचना देकर इस केस को दर्ज कराया है ताकि वह पैसों की वापसी से बच सके। उन्होंने मांग की है कि इस मामले में निष्पक्ष जांच की जाए और मिथ्या सूचना देने वालों पर भी कार्रवाई की जाए।
परिवार की ओर से पुलिस अधीक्षक से अपील की गई है कि बैतूल थाने में दर्ज किए गए इस प्रकरण की गहराई से जांच की जाए और अक्षय तातेड़ को इस झूठे आरोप से सुरक्षा प्रदान की जाए, ताकि वह बिना किसी गलतफहमी के अपना व्यवसाय और समाज सेवा का कार्य जारी रख सकें।
इस तरह झूठे केस दर्ज होते रहे, तो प्रभावित होगा शहर का माहौल
बैतूल के व्यापारियों ने इस मामले पर गहरी चिंता जताते हुए कहा कि यदि किसी व्यापारी पर इस तरह झूठे केस दर्ज होते रहे, तो शहर का माहौल प्रभावित होगा और व्यापारियों का विश्वास कमजोर पड़ जाएगा। व्यापारियों का कहना है कि अगर किसी के पास उधार की रकम को लेकर विवाद होता है, तो उसे आपसी समझ से सुलझाना चाहिए, न कि झूठे आरोप लगाकर पुलिस को गुमराह करना चाहिए। उन्होंने मांग की है कि जांच की प्रक्रिया को निष्पक्ष और सटीक रूप से पूरा किया जाए।
अक्षय तातेड़ का कहना..
जिस दिन अपहरण की शिकायत की गई, उसी दिन गंज थाने से उज्ज्वल दुबे का फोन आया। उज्ज्वल दुबे ने 8269306505 नंबर से 12:33 बजे कॉल किया, जिसमें 1 मिनट 33 सेकंड की बातचीत की। जिसमें दुबे द्वारा कहा गया कि पासु ने अपहरण की शिकायत दर्ज करवाई है जबकि पासु उनके साथ ही था। इसके कुछ ही देर बाद 12:36 बजे टीआई कोतवाली देवकरण डेहरिया का फोन आया, टीआई से 5 मिनट 32 सेकंड तक बातचीत चली। फिर 12:41 बजे पासु, देवकरण और उज्ज्वल दुबे तीनों ने एक कॉन्फ्रेंस कॉल किया। कोतवाली टीआई के कहने पर उन्होंने हिमांशु दुबे को जैन दादावाड़ी स्थित उनके निवास पर छोड़ दिया। इस पूरे घटनाक्रम में अपहरण का कोई सवाल ही नहीं उठता।
हिमांशु दुबे की पैसा न देने की सोची समझी साजिश हैं जिसके लिए उसने टीआई से मिल कर अपहरण की झूठी कहानी लिखी।