अरुण कुमार शेंडे
रायसेन मध्यप्रदेश में ग्राम पंचायत सचिवों और ग्राम रोजगार सहायकों के वार्षिक गोपनीय प्रतिवेदन लिखने के अधिकार ग्राम पंचायत के सरपंचों को प्रदान किये जा रहे है, इस खबर से पूरे प्रदेश में ग्राम पंचायत सचिवों और ग्राम रोजगार सहायकों में खेद सहित रोष का माहौल व्याप्त हो गया है. ग्राम पंचायतों में प्रशासनिक रूप से सचिव और ग्राम रोजगार सहायक शासन की विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं को निःस्वार्थ बिना किसी के दबाव में आये आम जन मानस तक पहुंचाते है ऐसे में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के द्वारा उठाये जा रहे इस कदम से पंचायत सचिवों और ग्राम रोजगार सहायकों के द्वारा नियमों के तहत किये जाने वाले विभिन्न कार्य दबाव में आकर प्रभावित हो सकते है. यही नहीं गोपनीय प्रतिवेदन सरपंचों के द्वारा लिखें जाने से मध्यप्रदेश की बहुतायत ग्राम पंचायतों में विवाद की स्थिति बन सकती है। उपरोक्त कारणों से यह आवश्यक है की ग्राम पंचायत सचिवों और ग्राम रोजगार सहायकों के वार्षिक गोपनीय प्रतिवेदन पूर्णतः शासकीय कृत होकर पंचायत सचिवों के ए.सी.आर. में प्रथम मत पंचायत समन्वय अधिकारी अथवा खण्ड पंचायत अधिकारी के द्वारा दर्ज किया जायें एवं समीक्षाकर्ता अधिकारी मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत को तथा स्वीकृतकर्ता अधिकारी जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को बनाया जाना चाहिये, तथा ग्राम रोजगार सहायकों के लिये म.प्र. राज्य रोजगार गारंटी परिषद के पत्र क. 2677 दिनांक 15.04.2017 के अनुसार वार्षिक गोपनीय प्रतिवेदन हेतु नियत अधिकारी पूर्ववत मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत को ही रखा जाना चाहिये। अतः मान्यवर से सादर अनुरोध है की पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के रीढ़ की हड्डी कहे जाने वाले पंचायत सचिवों और ग्राम रोजगार सहायकों के वार्षिक गोपनीय प्रतिवेदन लिखने के अधिकार सरपंचों को ना दिया जाकर उपरोक्तनुसार व्यवस्था किये जाने के संबंध में निवेदन सादर प्रस्तुत है।