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20 Jan 2025, Mon

बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था को निखारने में, हिन्दुओं ने भरपूर योगदान दिया और वहीं से अपनी गर्दने कटवा दीं| पवन सिंहना 

रिपोर्ट: सुनील त्रिपाठी/रविंद्र आर्य

प्रखर न्यूज़ व्यूज एक्सप्रेस

आख़िर यह बांग्लादेश का मुद्दा इतना महत्वपूर्ण है क्यों? यह हमारे लिए आगे आने वाले समय में कौनसी चुनैतियां ला रहा है? यह सभी देशवासियों के लिए जानना बहुत आवश्यक है|

जो अभी हम बंगलादेश में देख रहे हैं। यह कोई नई बात नहीं है बल्कि 1971 और उससे भी पूर्व की बात है। यह नौखाली में गाँधी के समय की बात है जिस समय बांग्लादेश में रह रहे मुसलमानों ने हिन्दु सनातन समाज को मरना-काटना प्रारम्भ किया और 1971 के बाद तो हिन्दुओं का पलायन शुरू हो गया और आज वहाँ कुल 7.97% हिन्दू वहाँ रह गए हैं। ज़रा सोच के देखिए 17 करोड़ लोगों में से 1,35,00,000 हिन्दू मात्र|

यह सभी आंकड़े उपलब्ध होने के बाद भी जब बांग्लादेश में घटनाएं जुलाई 2024 से शुरू हुई, जो घटना अगस्त में चरम पर पहुंच गई। हमने उसका कितना प्रतिरोध किया? पूरे देश भर में नाम मात्र का ही प्रतिरोध हुआ है। क्या बांग्लादेश में रहने वाले हिन्दू हमारे भाई-बहन, बच्चे या बुज़ुर्ग नहीं हैं? यदि विश्व में पूरा इस्लाम एक परिवार हो सकता है, पूरी ईसाइयत एक परिवार हो सकती है तो हम क्यों नहीं हो सकते| हम हिन्दू उस संस्कृति से आते हैं जो जिस धरती पर रहते हैं उसे सजाते हैं, सँवारते हैं| बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था को निखारने में, हिन्दुओं ने भरपूर योगदान दिया और वहीं से अपनी गर्दने कटवा दीं| यह सब देख बाबा साहिब भीमराव आंबेडकर की कही बात स्पष्ट नज़र आती है कि मुस्लिम भाई चारा का अर्थ केवल मुस्लिमों का मुस्लिमों से भाई चारा है, हिन्दुओं से नहीं | यदि उनमें कुछ लोग निभाना भी चाहें तो अन्य लोग एक जुट हो उन्हें निभाने नहीं देंगे, वे सब एक होंगे|

यह कहानी 13.8 बिलियन डॉलर के व्यापार की कहानी है| वहां हिन्दुओं से उनका व्यापार और नौकरी छीनी जा रही है जिससे वे हिन्दू मजबूर हो जाएँ, उनके घरों पर वह कब्ज़ा ले लें और उन्हें भारत भगा दिया जाए|

कुल चालीस लाख हिन्दू यहाँ आए और उनसे उन्हें परेशानी हुई, जब पाकिस्तान से बेबस हिन्दू लौट कर भरत आए तभ भी उन्हें परेशानी हुई और सोची-समझी रणनीति के तहत जब भरत ने सी.ए.ए लागु किया तो पुर्ज़ोररूप से उसका विरोध किया गया जिससे हिन्दू सुरक्षित न हो जाए| हिन्दू जागरूक हो इन रणनीतियों को समझना होगा। हमें हिंसा नहीं करनी है केवल सम्विधान का पक्ष लेना है। लेकिन यह समझना आवश्यक है कि जब मुस्लिम समुदाय के 10 लोग मारे गए तो जमात-ए-इस्लाम द्वारा कितने बढ़े जुलूस निकाले गए, तौकीर रज़ा कितना बढ़ा-बढ़ा बोले महमूद मदनी ने किस प्रकार के भाषण दिए लेकिन अब जब बांग्लादेश में हिन्दू भाई मरे तब किसी का भाई चारा सामने नहीं आया|

इस बात से यह तात्पर्य नहीं है की सभी लड़ना झगड़ना प्रारम्भ करदें बल्कि सतर्क हो क्योंकि बांग्लादेश की जो घटनाएं हैं, उसका सीधा प्रभाव भारत की राजनीति, अर्थव्यस्था तथा साम्प्रदायिकता पर पढता है|

बांग्लादेश में हो रही बर्बरता को जानिए जहाँ 67 में से कुल चार ज़िलों में बस 20 परसेंट हिन्दू हो पाए और यहीं पर उन्होंने सबसे ज़्यादा आतंक मचाया हिन्दू औरतों और बच्चों का बलात्कार किया और उन्हें ज़िन्दा जला दिया|

इतना सब बांग्लादेश में बीत रहा है फिर भी भारत का हिन्दू सन 1971 से आज तक सचेत नहीं हुआ है|

हिन्दू पूजा-पाठ में, मंदिर जाने में प्राथमिकता देता है, अच्छी बात है| लेकिन अगर भगवान राम को याद करता है तो भगवान का कोदंडधारी रूप याद रखना चाहिए| यदि हिन्दू श्री कृष्ण के गीत गाता है तो योगेश्वर श्री कृष्ण के गीत गाने चाहिए जो कहीं नहीं थके, कही नहीं डरे और धर्म की स्थापना के लिए कितना बढ़ा युद्ध किया। यदि हमारे भगवान के इस स्वरूप को याद रखेंगे तो जीवन में क्रियात्मकता लायेंगे और दुष्टता के विरुद्ध खड़े होंगे नहीं तो हम सब परिणाम देख ही रहे हैं।

जमात-ए-इस्लाम समस्त मानवता के ऊपर एक बदनुमा दाग है।| भारत में ये लोग खुले घूमते हैं, हालांकि पिछले

10 सालों में बहुत सारे लोग अंदर सलाखों के पीछे है, लेकिन अभी बहुत लोग और होने चाहिए।

इन सबका ऊपरी शोक प्रकट करना केवल एक दिखावा है क्यूंकि हज़ारों हिन्दुओं की हत्या होने पर भी अभी तक एक भी जांच समिति नहीं बैठी।

मैं यह भी कहना चाहूँगा कि ऐसे बहुत लोग हैं जो जानते हैं कि किस मार्ग से बांग्लादेशी भारत आते हैं, किस स्थान पर किशनगंज में उनका प्रशिक्षण होता है और फिर समस्त भारत में वे लोग किस प्रकार फैल जाते हैं| उन सभी पर देशद्रोह का मुकदमा लगाना चाहिए चाहे उनका औदा कितना ही बढ़ा क्यूँ न हो जो इनको संरक्षण देते हैं। जब ये कहा जाता है कि एक वोट की कीमत बहुत होती है तो याद रखिए बांग्लादेश से जो इतने सारे लोग आए हैं, पाकिस्तान से इतने लोग आते हैं, उनके वोट की कितनी कीमत होगी। हमें यह आंकलन करना चाहिए और त्वरित कार्यवाही करनी चाहिए| मैं किसी एक पार्टी की बात नहीं कर रहा हूँ लेकिन ऐसे स्थान पर किसी ऐसी पार्टी का होना आवश्यक है जो हिंदुओं की बात कर सके और जिसके राज में हिन्दू बात तो कर सके। आज से 10-11 साल पहले हम भी ऐसी बात खुले मंचों से नहीं कर सकते थे लेकिन आज वे स्थिति नहीं है।

वर्तमान में जो सनातनियों की ताकत है, उस ताकत को और मजबूत करना है जिससे यह केवल कुछ सनातनियों की ताकत न रह जाए| ये हम सब की ताकत होनी चाहिए और हम पूरे विश्व में विश्वगुरु बनकर उभरेंगे| विश्व में एक देश को तो हम हिन्दू राष्ट्र घोषित करवाने की कोशिश करें तभी हमारा विश्व में मान्यता पाना सम्भव है अन्यथा हम काट दिए जायेंगे। अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश और ऑस्ट्रेलिया, कनाडा में क्या क्या अत्याचार हम कब तक सहेंगे। नौकरियां तो फिर भी नहीं बचनी, व्यापार तो फिर भी नहीं बचना इसलिए अच्छा ये है कि हम सबकुछ छोड़ छाड़कर जितने पैसे हैं उससे कफन खरीदकर इनकी एम्बेसी के सामने जाकर बैठ जाए कि हमें न्याय का आश्वासन अभी चाहिए और अन्तराष्ट्रीय मीडिया के सामने ये बोले क्यूंकि जहाँ हज़ारों हिन्दुओं की हत्या करदी गई और यह मुद्दा नहीं उठाया गया। यह याद रखिएगा कि यह मुद्दा उठाया जाएगा भी नहीं क्यूंकि यह मीडिया कहीं और से चलाया जाता है जिसमें हम अभी पीछे हैं।| क्या आपको पता है कि बांग्लादेश के मेजर शरीफ ने क्या धमकी दी है, कि 30 लाख विद्यार्थियों के साथ जब चाहूँ कोलकाता को कब्जा लूँगा। क्या हम भारतीय ऐसा कुछ कह सकते हैं ? कभी नहीं क्यूंकि न हमारी संस्कृति ऐसी, न हमारे संस्कार ऐसे और न ही कोई रणनीति है हमारे पास ऐसा सोंचने के लिए भी।

अतः सभी से यह आग्रह है कि अपना राष्ट्रवाद याद रखें और उसे कायम रखें। हम जिस संस्कृति की संतान हैं, उस संस्कृति की धरोहर को सीने से लगाकर रखना होगा| यदि हम काम आ सके तो हमें स्वयं भी निडर होना है और अपने साथ हिन्दू भाई बहनों को भी निडर बनाना है|

By archana

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